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'''हेमंत चौहान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Hemant Chauhan'') [[गुजराती भाषा]] के जाने-माने भजन गायक एवं लोकगायक हैं। उन्हें [[9 अक्टूबर]], [[2012]] को वर्ष [[2011]] के 'अकादमी रत्व अवॉर्ड] से सम्मानित किया गया था। गुजराती भजन, गरबा इत्यादि गुजरात की लोकागायकी में हेमंत चौहान का अनुठा योगदान रहा है। हेमंत चौहान दशकों से भजनों के माध्यम से पूरे [[गुजरात]] में ही नहीं अपितु देश और दुनिया में भी भक्ति की गंगा फैला रहे हैं। उनके भजन सम्राट और गुजरात के लोकप्रिय गायक बनने का सफर काफी अनूठा है। मूल रूप से राजकोट जिले के जसदण जिले से आने वाले हेमंत चौहान पहले आरटीओ की नौकरी करते थे, [[संगीत]] को अपने अंदर महसूस करने वाले हेमंत चौहान ने आखिर में आरटीओ की नौकरी छोड़ दी और संगीत साधना से जुड़ गए। [[भारत सरकार]] ने हेमंत चौहान को [[पद्म श्री]], [[2023]] से सम्मानित किया है। | {{सूचना बक्सा कलाकार | ||
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10:53, 23 जुलाई 2023 के समय का अवतरण
हेमंत चौहान
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पूरा नाम | हेमंत चौहान |
संतान | पुत्री- गीता, पुत्र- मयूर |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भक्ति संगीत |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, 2023 |
प्रसिद्धि | भजन गायक व लोक गायक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हेमंत चौहान को 'पंखिड़ा' के नाम से जानते हैं। यह हेमंत चौहान के लिए बेहद गर्व का पल है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें उनके संगीत से पहचानते हैं। |
अद्यतन | 16:22, 23 जुलाई 2023 (IST)
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हेमंत चौहान (अंग्रेज़ी: Hemant Chauhan) गुजराती भाषा के जाने-माने भजन गायक एवं लोकगायक हैं। उन्हें 9 अक्टूबर, 2012 को वर्ष 2011 के 'अकादमी रत्व अवॉर्ड] से सम्मानित किया गया था। गुजराती भजन, गरबा इत्यादि गुजरात की लोकागायकी में हेमंत चौहान का अनुठा योगदान रहा है। हेमंत चौहान दशकों से भजनों के माध्यम से पूरे गुजरात में ही नहीं अपितु देश और दुनिया में भी भक्ति की गंगा फैला रहे हैं। उनके भजन सम्राट और गुजरात के लोकप्रिय गायक बनने का सफर काफी अनूठा है। मूल रूप से राजकोट जिले के जसदण जिले से आने वाले हेमंत चौहान पहले आरटीओ की नौकरी करते थे, संगीत को अपने अंदर महसूस करने वाले हेमंत चौहान ने आखिर में आरटीओ की नौकरी छोड़ दी और संगीत साधना से जुड़ गए। भारत सरकार ने हेमंत चौहान को पद्म श्री, 2023 से सम्मानित किया है।
परिचय
हेमंत चौहान ने विरासत में अपने दादा और पिता से संगीत को आगे ले जाने का सफर संघर्ष के साथ तय किया और आज नई ऊंचाइयों पर अपनी पहचान बनाई है। राजकोट (गुजरात) के रहने वाले हेमंत चौहान के दादा और पिता भी संतवाणी गाया करते थे। उन्हीं को देखते-देखते उन्होंने भी संगीत में अपना मन लगाना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि शुरुआत में वह आरटीओ ऑफिस में काम करते थे और आरटीओ ऑफिस में रहते-रहते भक्ति संगीत के लिए समय नहीं मिल पाता था। ऐसे में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर अपने आप को पूरे तरीके से भक्ति संगीत को समर्पित कर दिया।[1] उन्होंने बताया कि उनका बेटा मयूर और बेटी गीता भी उनके साथ भजन गीत गाते हैं। धार्मिक गीत गाते हैं और उन्होंने अपना एक स्टूडियो तैयार किया है, जिसमें वह अपने सभी भजनों को रिकॉर्ड करते हैं। उनका पूरा काम उनका बेटा मयूर संभालता है।
अभ्यास
हेमंत चौहान का कहना है कि "कला एक साधना है और इसे सच्चा भक्त ही ठीक तरीके से सीख सकता है। उन्होंने इस साधना के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। घंटों-घंटों तक रियाज करते हैं और खुद को संगीत में डुबो दिया है।" वह गुजराती और हिंदी दोनों भाषाओं में भजन गाते हैं और इस भजन ने उन्हें एक नई पहचान दी है।
देश-विदेश में पहचान
हेमंत चौहान ने बताया कि जब उन्होंने संतवाणी गाने की शुरुआत की तो कभी नहीं सोचा था कि जिंदगी में बड़े मौके मिलेंगे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने जब गाना शुरू किया तो उन्हें लगा कि सौराष्ट्र तक वह सिर्फ अपने इस भजन को गाकर पहचान बना पाएंगे; लेकिन सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें देश-विदेश में पहचान मिलेगी। उन्होंने बताया कि नवरात्रों के दिनों में वह अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया में जाकर अपनी भजन प्रस्तुति देते हैं। इसके साथ ही पूरे भारत में भी अलग-अलग जगह पर जाकर उन्हें अपनी भजन संध्या देने का कई बार मौका मिला है।[1]
वर्ल्ड रिकॉर्ड
पद्म श्री से सम्मानित हेमंत चौहान को गुजरात सरकार की तरफ से गुजरात गौरव सम्मान, राष्ट्रपति सम्मान भी मिल चुका है। इसके साथ ही उन्होंने 8,000 से अधिक धार्मिक भजन गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है और अब पद्म श्री उनके लिए गर्व का पल है। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि इतना बड़ा सम्मान मिलेगा। पद्म श्री मिलने के बाद उन्होंने कहा कि एक सम्मान मिलने के बाद उसका सम्मान करना सबसे बड़ी चुनौती होती है और एक बड़ी जिम्मेदारी आती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें 'पंखिड़ा' के नाम से जानते हैं और उनके लिए बेहद गर्व का पल है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें उनके संगीत से पहचानते हैं।
स्वप्न
हेमंत चौहान का कहना है कि भजन उनके लिए एक औषधि की तरह है। जड़ी-बूटी की तरह है। बिना भक्ति संध्या के उनके जीवन में कुछ भी नहीं है। उनका सपना है कि वह अपने ही जैसे और भी बच्चों को धार्मिक संगीत के लिए प्रशिक्षित करें।
अलग पहचान
हेमंत चौहान चार दशक से राजकोट के मावड़ी इलाके में रह रहे हैं। उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा त्रंबा में पूरी की। इसके बाद वे राजकोट में अर्थशास्त्र में बीए की डिग्री ली। इसके बाद आरटीओ में सरकारी नौकरी लग गई। उन्होंने नौकरी भी छोड़ दी क्योंकि विरासत में मिली गायकी के लिए सरकारी नौकरी एक बाधा बन गई थी। हेमंत चौहान के पिता भजनिक और दादा महाभारत और रामायण के उपासक थे। गुजरात में कहा जाता है कि 'मोर के अंडों पर रंग नहीं लगाना चाहिए'। हेमंत चौहान गायिकी की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई और फिर संगीत साधना के बूते से गुजरात में भजन सम्राट बन गए।[2]
स्कूल में आई थीं इंदिरा गांधी
अपने जीवन में पांच हजार से ज्यादा स्टेज प्रोग्राम कर चुके हेमंत चौहान बेहद सरल व्यक्तित्व वाले हैं। उन्होंने अपने भजन का पहला कैसेट 1978 में निकाला था। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। हेमंत चौहान के जीवन से एक दिलचस्प वाकया जुड़ा हुआ है। जब वे बेहद छोटे और एक बच्चे की उम्र के थे तो उन्हें इंदिरा गांधी से मिलने का मौका मिला था। हेमंत चौहान ने स्कूल के कार्यक्रम में एक गाना गाया था। इससे इंदिरा गांधी काफी प्रभावित हुई थी। चलते समय वे हेमंत चौहान के पास आई थीं और पूछा था कि "बेटा क्या बनना चाहते हो?" चौहान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सवाल के सवाल में कुछ नहीं बोल पाए थे। भजन सम्राट बन चुके हेमंत चौहान ने यह फोटो संभाल कर रखा हुआ है।
पद्म श्री
केंद्र सरकार की तरफ से पद्म श्री, 2023 दिए जाने के सवाल पर उन्होंने वीटीवी नाम के एक गुजराती चैनल से बातचीत में कहा कि मुझे खुशी है। मैंने 42 साल तक संतवाणी की, पूजा की, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह अवॉर्ड मिलेगा। मैंने सिर्फ भक्ति की। मैंने भजनों के साथ-साथ माताजी का गरबा गाया और संतों के वचनों के साथ उनके आश्रमों को प्रकट किया। संतों के वचन पुस्तक में थे और मैंने उनमें से भजन बनाए, कुल 9000 रचनाएं, जो मैंने स्टूडियो में रिकॉर्ड कीं और अब भी गाता हूं। मुझे सम्मानित करने के लिए केंद्र सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 हेमंत चौहान ने कुछ यूं तय किया पद्मश्री तक का सफर (हिंदी) hindi.news18.com। अभिगमन तिथि: 23 जुलाई, 2023।
- ↑ बचपन में इंदिरा गांधी ने पूछा था, क्या बनना चाहते हो? जवानी में छोड़ी RTO की नौकरी (हिंदी) navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 23 जुलाई, 2023।
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