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| <quiz display=simple>
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| {सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण [[रामायण]] में कितने सर्ग मिलते हैं?
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| |type="()"}
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| -621
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| -651
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| +645
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| -655
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| ||[[रामायण]] [[कवि]] [[वाल्मीकि]] द्वारा लिखा गया [[संस्कृत]] का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके 24,000 [[श्लोक]] [[हिन्दू]] स्मृति का वह अंग हैं, जिसके माध्यम से [[रघुवंश]] के राजा [[राम]] की गाथा कही गयी। रामायण के कुल सात अध्याय हैं, इस प्रकार सात काण्डों में वाल्मीकि ने रामायण को निबद्ध किया है। इन सात काण्डों में कथित सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण रामायण में 645 सर्ग मिलते हैं। सर्गानुसार श्लोकों की संख्या 23,440 आती है, जो 24,000 से 560 श्लोक कम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामायण]]
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| {निम्न में से कौन [[लक्ष्मण]] एवं [[शत्रुघ्न]] की [[माता]] थीं?
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| +[[सुमित्रा]]
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| -[[कौशल्या]]
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| -[[कैकेयी]]
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||'सुमित्रा' [[रामायण]] की प्रमुख पात्र और राजा [[दशरथ]] की तीन महारानियों में से एक हैं। सुमित्रा [[अयोध्या]] के राजा दशरथ की पत्नी तथा [[लक्ष्मण]] एवं [[शत्रुघ्न]] की माता थीं। महारानी [[कौशल्या]] पट्टमहिषी थीं। महारानी [[कैकेयी]] महाराज को सर्वाधिक प्रिय थीं और शेष में सुमित्रा जी ही प्रधान थीं। महाराज दशरथ प्राय: कैकेयी के महल में ही रहा करते थे। सुमित्रा महारानी कौशल्या के सन्निकट रहना तथा उनकी सेवा करना ही अपना [[धर्म]] समझती थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुमित्रा]]
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| {[[राम]] को वनवास देने की प्रेरणा [[कैकेयी]] को किससे मिली थी?
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| |type="()"}
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| +[[मन्थरा]]
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| -[[उर्मिला]]
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| -[[कैकसी]]
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| -[[मंदोदरी]]
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| {[[मथुरा|मधुरापुरी]] नगरी की स्थापना किसने की थी?
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| |type="()"}
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| -[[राम]]
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| -[[लक्ष्मण]]
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| -[[भरत]]
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| +[[शत्रुघ्न]]
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| ||शत्रुघ्न का शौर्य भी अनुपम था। वनवास के बाद एक दिन [[ऋषि|ऋषियों]] ने भगवान श्री [[राम]] की सभा में उपस्थित होकर [[लवणासुर]] के अत्याचारों का वर्णन किया और उसका वध करके उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। [[शत्रुघ्न]] ने भगवान श्री राम की आज्ञा से वहाँ जाकर प्रबल पराक्रमी लवणासुर का वध किया और 'मधुरापुरी', आधुनिक [[मथुरा]], को बसाकर वहाँ बहुत दिनों तक शासन किया। भगवान राम के परमधाम पधारने के समय मथुरा में अपने पुत्रों का राज्यभिषेक करके शत्रुघ्न [[अयोध्या]] पहुँच गये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शत्रुघ्न]]
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| {[[हनुमान]] ने [[अशोक वाटिका]] में [[सीता]] को किस वृक्ष के नीचे बैठा देखा?
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| |type="()"}
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| -[[वट]]
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| +शिंशपा
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| -[[अशोक वृक्ष|अशोक]]
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| -[[पीपल]]
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| {[[राम]] और [[हनुमान]] का मिलन किस [[पर्वत]] के पास हुआ था?
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| |type="()"}
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| +[[ऋष्यमूक]]
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| -गंधमादन
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| -[[कैलास पर्वत|कैलास]]
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| -[[पारसनाथ शिखर|पारसनाथ]]
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| ||[[वाल्मीकि रामायण]] में वर्णित वानरों की राजधानी [[किष्किंधा]] के निकट यह '[[ऋष्यमूक पर्वत]]' स्थित था। ऋष्यमूक पर्वत, [[रामायण]] की घटनाओं से सम्बद्ध [[दक्षिण भारत]] का पवित्र गिरि है। [[विरूपाक्ष मन्दिर]] के पास से ऋष्यमूक पर्वत तक मार्ग जाता है। यहीं [[सुग्रीव]] और [[राम]] की मैत्री हुई थी। यहाँ [[तुंगभद्रा नदी]] धनुष के आकार में बहती है। [[सुग्रीव]] किष्किंधा से निष्कासित होने पर अपने भाई [[बालि]] के डर से इसी [[पर्वत]] पर छिप कर रहता था।
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| </quiz>
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| __NOTOC__
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| ||text{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-
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