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1. पाप-सहसा संहतिमंहसां विहन्तुं... अलम् | 1. पाप-सहसा संहतिमंहसां विहन्तुं... अलम्<ref>कि. 5/17</ref> | ||
2. व्याकुलता, कष्ट, चिन्ता।-'''पति''', '''अंहस्पति''' ([[पुल्लिंग]])-1. चिंता या पाप का स्वामी, 2. मलमास। -'''पत्य''' (नं.) चिंता या कष्ट के ऊपर विजय पाना।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=02|url=|ISBN=}}</ref> | 2. व्याकुलता, कष्ट, चिन्ता।-'''पति''', '''अंहस्पति''' ([[पुल्लिंग]])-1. चिंता या पाप का स्वामी, 2. मलमास। -'''पत्य''' (नं.) चिंता या कष्ट के ऊपर विजय पाना।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=02|url=|ISBN=}}</ref> |
12:18, 11 मई 2024 के समय का अवतरण
अंहस् (नपुं.)–(अंहः-हँसी आदि) [अम्+असुन् हुक् च]
1. पाप-सहसा संहतिमंहसां विहन्तुं... अलम्[1]
2. व्याकुलता, कष्ट, चिन्ता।-पति, अंहस्पति (पुल्लिंग)-1. चिंता या पाप का स्वामी, 2. मलमास। -पत्य (नं.) चिंता या कष्ट के ऊपर विजय पाना।[2]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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