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'''अबन्ध्य''' ([[विशेषण]]) [बन्धे (फल प्रतिबन्धे) साधुः इति विग्रहे बन्ध+यत न. त.] | '''अबन्ध्य''' ([[विशेषण]]) [बन्धे (फल प्रतिबन्धे) साधुः इति विग्रहे बन्ध+यत न. त.] | ||
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07:11, 17 मई 2024 के समय का अवतरण
अबन्ध्य (विशेषण) [बन्धे (फल प्रतिबन्धे) साधुः इति विग्रहे बन्ध+यत न. त.]
- सफल, जिसका फल या परिणाम न रुके।[1]
अबन्ध्य (विशेषण) [नञ् तत्पुरुष समास] जो बंजर न हो, उर्वर, उपजाऊ।[2]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 75 |
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 119 |
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