"प्रयोग:Asha": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
(7 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 135 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{| class="bottomtemplate"   
<caption>
[[त्रिपुरा]]
</caption>
! '''त्रिपुरा प्रदेश के ज़िले'''
|
[[District::उत्तर त्रिपुरा ज़िला]] '''.'''
[[District::दक्षिण त्रिपुरा ज़िला]] '''.'''
[[District::धलाई ज़िला]] '''.'''
[[District::पश्चिम त्रिपुरा ज़िला]]
|}
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}


{| class="wikitable"
|-
!कहावत लोकोक्ति मुहावरे
!अर्थ
|-
| style="width:30%"|
1- घर में नहीं हैं दाने और अम्मा चली भुनाने।
| style="width:70%"|
अर्थ -झूठी शान दिखाना, न होने पर ढोंग करना।
|-
|2- घड़ी में घर जले, अढ़ाई घड़ी भद्रा।
|
अर्थ - संकट को होशियारी से दूर करें।
|-
|3- घड़ी में तोला, घड़ी में माशा।
|
अर्थ - चंचल मन वाला।
|-
|4- घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते।
|
अर्थ - घर में आने वाले का सत्कार करना चाहिए।
|-
|5- घर का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध।
|
अर्थ - अपने घर में योग्यता का आदर नहीं होता और बाहर का व्यक्ति योग्य समझा जाता है।
|-
|6- घर का भेदी लंका ढाए।
|
अर्थ - घर की फूट का परिणाम बुरा होता है।
|-
|7- घर की खांड़ किरकिरी, लगे पड़ोसी का गुड़ मीठा।
|
अर्थ - अपनी वस्तु़ खराब लगती है और दूसरे की अच्छी।
|-
|8- घर की मुर्गी दाल बराबर।
|
अर्थ -  अपनी चीज़ या अपने आदमी की कदर नहीं होती।
|-
|9- घर खीर तो, बाहर खीर।
|
अर्थ - अपने पास कुछ हो तो, बाहर भी आदर होता है।
|-
|10- घर का घोड़ा, नखास मोल।
|
अर्थ - चीज़ घर में पड़ी है और उसकी कोई कीमत नहीं है।
|-
|11- घायल की गति घायल जाने।
|
अर्थ - जो कष्ट भोगता है वही दूसरों का कष्ट समझता है।।
|-
|12- घी कहाँ गया ? खिचड़ी में।
|
अर्थ - वस्तु का प्रयोग ठीक जगह हो गया।
|-
|13- घी सँवारे काम, बड़ी बहू का नाम।
|
अर्थ - काम तो साधन से हुआ, नाम करने वाले का हो गया।
|-
|14- घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या।
|
अर्थ - पेशेवर को किसी की से रियायत नहीं करनी चाहिए।
|-
|15- घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ाएगा।
|
अर्थ - उन्नति करके आदमी अपना ही भला करता है।
|-
|16- घोड़े को लात, आदमी को बात।
|
अर्थ - उत्तम वस्तु  थोड़ी भी हो तो अच्छी है।।
|-
|17- घडियाँ गिनना।
|
अर्थ - बेचैनी से प्रतीक्षा करना। 
|-
|18- घड़ों पानी पड़ जाना।
|
अर्थ - बहुत शर्मिंदा होना।
|-
|19- घर काट खाने को आना।
|
अर्थ - अकेलापन अखरना।
|-
|20- घर का न घाट का।
|
अर्थ - कहीं का भी नहीं रहना।
|-
|21- घर फूँक तमाशा देखना।
|
अर्थ - अपनी हानि करके मौज उड़ाना। 
|-
|22- घर में गंगा बहना।
|
अर्थ - अच्छी चीज पास ही में मिल जाना।
|-
|23- घाव पर नमक छिड़कना।
|
अर्थ - दु:खी को और दु:खी करना।
|-
|24- घाव हरा करना।
|
अर्थ - भूले हुए दु:ख की याद दिलाना।
|-
|25- घास काटना।
|
अर्थ - फूहड़ काम करना। ।
|-
|26- घास छीलना।
|
अर्थ - व्यर्थ समय गवाँना।।
|-
|27- घिग्घी बँधना।
|
अर्थ - स्पष्ट बोल न सकना।
|-
|28- घी घना मुट्ठी चना।
|
अर्थ -
|-
|29- घी के दिये जलना।
|
अर्थ - आनंद मंगल होना, खुशियाँ मनाना।
|-
|30- घी खिचड़ी होना।
|
अर्थ - खूब मिल- जुल जाना।।
|-
|31- घोंघा बसंत।
|
अर्थ - मूर्ख होना।
|-
|32- घोड़े बेचकर सोना।
|
अर्थ - निश्चिंत हो जाना।
|-
|}
|33- ख़ून खौलना / उबलना।
|
अर्थ - जोश में आना।
|-
|34-  ख़ून-पसीना एक करना।
|
अर्थ - कड़ी मेहनत करना।
|-
|35- खेत रहना।
|
अर्थ - रणभूमि में मारा जाना।
|-
|36- खेल खेलना।
|
अर्थ - परेशान करना।
|-
|}
|37- काठ की हाँडी एक  ही बार चढ़ती है।
|
अर्थ - धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है।
|-
|38- कान में तेल डाले बैठे हैं।
|
अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की खबर ही नहीं।
|-
|39- काम  का ना काज का , दुश्मन अनाज का।
|
अर्थ - निकम्मा  आदमी।
|-
|40- काबुल में क्या गधे नहीं होते।
|
अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।
|-
|41- काम को काम सिखाता है।
|
अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है।
|-
|42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान,<br />
काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक।
|
अर्थ - मृत्यु सब को आती है।
|-
|43- काला अक्षर भैंस बराबर।
|
अर्थ - पढ़ा  लिखा ना होना।
|-
|44- काली के ब्याह को सौ जोखो।
|
अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।
|-
|45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान।
|
अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।
|-
|46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है।
|
अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात नगण्य है।
|-
|47- किसी का घर जले कोई तापे।
|
अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना।
|-
|48- कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता।
|
अर्थ - कोई अपने माल को खराब नहीं बताता।
|-
|49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है।
|
अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।
|-
|50- कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे।
|
अर्थ - जब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्या रास्ता है ?
|-
|51-  कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है।
|
अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।
|-
|52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी।
|
अर्थ - लाख प्रयत्न  करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।
|-
|53- कुत्ते को घी नहीं पचता।
|
अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।
|-
|54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते।
|
अर्थ - महापुरूष  नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।
|-
|55- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है।
|
अर्थ - हर कोई अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है।
|-
|56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय।
|
अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।
|-
|57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे।
|
अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।
|-
|58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत।
|
अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई गरीबी में भी संतुष्ट है।
|-
|59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे।
|
अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, गरीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।
|-
|60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ।
|
अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।
|-
|61- कोयलों की दलाली में हाथ काले।
|
अर्थ -  बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।
|-
|62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग की सैर।
|
अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।
|-
|63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं।
|
अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।
|-
|64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
|
अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।
|-
|65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा।
|
अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।
|-
|66- का वर्षा  जब कृषि सुखानी।
|
अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।
|-
|67- कच्ची गोली नहीं खेलना।
|
अर्थ - अनुभवहीन नही होना , पारंगत होना।
|-
|68- कट जाना।
|
अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।
|-
|69- कटे पर नमक छिड़कना।
|
अर्थ -  दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।
|-
|70- कढ़ी का सा उबाल।
|
अर्थ - मामूली से जोश में आना।
|_
|71- कदम उखड़ना।
|
अर्थ - भाग खड़े होना।
|-
|72- कन्नी काटना।
|
अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना।
|-
|73- कमर कसना।
|
अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।
|-
|74- कलम का धनी।
|
अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।
|-
|75- कलम तोड़ना।
|
अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।
|-
|76- कली खिलना।
|
अर्थ - बहुत खुश होना।
|-
|77- कलेजा ठंडा होना।
|
अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।
|-
|78- कलेजा धक से रह जाना।
|
अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।
|-
|79- कलेजा मुँह को आना।
|
अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।
|-
|80- कलेजा का टुकड़ा।
|
अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।
|-
|81- कलेजे पर साँप लोटना।
|
अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।
|-
|82- कहा-सुनी होना।
|
अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।
|-
|83- काँटा दूर होना।
|
अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।
|-
|84- काँटे बिछाना।
|
अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।
|-
|85- काँटों पर लेटना।
|
अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।
|-
|86- काँटों पर घसीटना।
|
अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।
|-
|87- कागजी घोड़े दौड़ाना।
|
अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।
|-
|88- काजल की कोठरी।
|
अर्थ - कलंक लगने का स्थान।
|-
|89- काठ का उल्लू।
|
अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।
|-
|90- काठ मार जाना।
|
अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।
|-
|91- कान कतरना।
|
अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।
|-
|92- कान खड़े होना।
|
अर्थ -  चौकन्ना  होना।
|-
|93- कान खोलना।
|
अर्थ -  सावधान  कर देना।
|-
|94- कान गरम करना।
|
अर्थ - पिटाई करना।
|-
|95- कान देना।
|
अर्थ - ध्यान से सुनना।
|-
|96- कान पकड़ना।
|
अर्थ -  गलती मान लेना।
|-
|97- कान पर जूँ तक न रेंगना।
|
अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।
|-
|98- कान भरना।
|
अर्थ - चुगली करना।
|-
|99- कान में बात डाल देना।
|
अर्थ -  सुना देना, कह देना।
|-
|100- कान में तेल डालकर बैठना।
|
अर्थ -  सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।
|-
|101- कान में फूँकना।
|
अर्थ - चुपचाप से कह देना।
|-
|102- कान लगाना।
|
अर्थ - ध्यान देकर सुनना।
|-
|103- काफूर होना।
|
अर्थ - गायब हो जाना।
|-
|104- काम आना।
|
अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना।
|-
|105- काम तमाम करना।
|
अर्थ -  मार डालना। 
|-
|106- काया पलट जाना।
|
अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।
|-
|107- काल कवलित होना।
|
अर्थ -  मर जाना।
|-
|108- काल के गाल में जाना।
|
अर्थ - मर जाना।
|-
|109- काला नाग।
|
अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।
|-
|110- काला मुँह करना।
|
अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना।
|-
|111- काले कोसों।
|
अर्थ -  बहुत दूर।
|-
|112- क़िताबी कीड़ा होना।
|
अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
|-
|113- किरकिरी हो जाना।
|
अर्थ - विघ्न पड़ना।
|-
|114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा।
|
अर्थ - किसी भी काम का न होना।
|-
|115- किस्मत फूटना।
|
अर्थ - बुरे दिन आना।
|-
|116- कीचड़ उछालना।
|
अर्थ -  निंदा करना।
|-
|117- कुआँ खोदना।
|
अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना।
|-
|118- कुएँ में गिरना।
|
अर्थ -  विपत्ति में पड़ जाना।
|-
|119- कुएँ में भाँग पड़ना।
|
अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।
|-
|120- कुछ उठा न रखना।
|
अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।
|-
|121- कुत्ते की दुम।
|
अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।
|-
|122- कुत्ते की मौत मरना।
|
अर्थ -  बुरी तरह मरना। 
|-
|123- कूच कर जाना।
|
अर्थ -  चले जाना।
|-
|124- कूप मंडूक होना।
|
अर्थ -  सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।
|-
|125- कोई दम भर का मेहमान होना।
|
अर्थ -  मरने के क़रीब होना।
|-
|126- कोढ़ में खाज होना।
|
अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना।
|-
|127- कोर दबना।
|
अर्थ - दबाव में होना।
|-
|128- कोल्हू का बैल।
|
अर्थ -  दिन रात काम में लगे रहने वाला।
|-
|129- कौए उड़ाना।
|
अर्थ -  घटिया या छोटे काम करना।
|-
|130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना।
|
अर्थ - कंजूस होना।
|-
|131- कंधे से कंधा छिलना।
|
अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।
|-
|132- ककड़ी-खीरा समझना।
|
अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।
|-
|133- कच्चा चिट्ठा खोलना।
|
अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।
|-
|}


|}
 
====================
 
 
 
 
==हिंदी विश्वकोश पर बने लेखों की सूची==
<poem>
अंग्रेज़ी भाषा
अक्षरअनन्य
अज्ञेय, सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन
अतिशयोक्ति अलंकार
अनुप्रास अलंकार
अनूप शर्मा
अपभ्रंश भाषा
अमरेश
अमीर ख़ुसरो
अमृता प्रीतम
अयोध्याप्रसाद खत्री
अयोध्यासिंह उपाध्याय
अरबिंदो घोष
अरबी भाषा
अर्जुनदास केडिया
अर्थालंकार
अलंकार
अली मुहिब खाँ
अवधी भाषा
अवहट्ट
अविकारी शब्द
अश्वघोष
अष्टछाप कवि
असमिया भाषा
आंडाल
आठवीं अनुसूची
आदि शंकराचार्य
आधुनिक हिंदी
आरमाइक भाषा
आरमाइक लिपि
आरसी प्रसाद सिंह
आलम
उड़िया भाषा
उत्प्रेक्षा अलंकार
उदय प्रकाश
उद्धरण चिह्न
उपमा अलंकार
उपमेयोपमा अलंकार
उपवाक्य
उपसर्ग
उर्दू भाषा
उल्लेख अलंकार
उसमान
कन्नड़ भाषा
कन्नौजी बोली
कबीर
कलकतिया हिंदी
कलिंग लिपि
कल्हण
कवींद्र
कश्मीरी भाषा
क़ादिर बख्श
काका हाथरसी सम्मान
कारक
काल
कालिदास
कालिदास त्रिवेदी
कासिमशाह
कुतबन
कुमायूँनी बोली
कुमार मणिभट्ट
कुम्भनदास
कुरुख भाषा
कुलपति मिश्र
कृपाराम
कृष्ण (कवि)
कृष्णदास
केशव
कोंकणी भाषा
कोष्ठक चिह्न
कौरवी बोली
क्रिया
क्रियाविशेषण
खड़ी बोली
खरोष्ठी
गंग
गंजन
गढ़वाली बोली
गदाधर भट्ट
गुजराती भाषा
गुयानी हिंदी
गुरुमुखी लिपि
गोविंदस्वामी
ग्रन्थ लिपि
घनानन्द
चंदबरदाई
चतुर्भुजदास
चिंतामणि त्रिपाठी
चौपाई
छत्तीसगढ़ी बोली
छन्द
छीतस्वामी
छीहल
जगजीवनदास
जमाल
जयदेव
जयशंकर प्रसाद
टोडरमल
डिंगल
डोगरी भाषा
तमिल भाषा
तमिल लिपि
ताजुज़्बेकी हिंदी
तुकाराम
तुलसीदास
तेलुगु एवं कन्नड़ लिपि
तेलुगु भाषा
तोरु दत्त
तोषनिधि
त्रिनिदादी हिंदी
त्रुटिबोधक चिह्न
दंडी
दक्खिनी हिंदी
दक्षिण अफ़्रीक़ी हिंदी
दलपतराम
दलपति राय
दशकुमारचरित
दूलह
दृष्टान्त अलंकार
देव
देवनागरी लिपि
देवनागरी लिपि का विकास
देवनागरी लिपि के गुण और दोष
दोहा
धर्मदास
धर्मवीर भारती
ध्रुवदास
नंददास
नरोत्तमदास
नवोदित लेखक पुरस्कार
नागरीप्रचारिणी सभा
नागार्जुन
नाभादास
निरर्थक शब्द (व्याकरण)
निर्मल वर्मा
नूर मुहम्मद
नेपाली भाषा
नेपाली हिंदी
नेवाज
पंजाबी भाषा
परमानंद दास
पश्चिमी पहाड़ी बोली
पहलवी भाषा
पहाड़ी बोली
पालि भाषा
पुल्लिंग
पुष्पदंत
पुहकर कवि
प्रत्यय
प्रश्नवाचक चिह्न
प्राकृत भाषा
प्राणचंद चौहान
प्रेमचन्द
फणीश्वरनाथ रेणु
फ़ारसी भाषा
फिजी हिंदी
बंसीधर
बघेली बोली
बनारसी दास
बलभद्र मिश्र
बांग्ला भाषा
बांग्ला लिपि
बाणभट्ट
बाल भारत
बालकृष्ण शर्मा नवीन
बिहारी भाषा
बिहारी लाल
बीर
बीरबल
बुन्देली बोली
बेनी
बैरीसाल
बैसवाड़ी बोली
बोडो भाषा
ब्रजभाषा
ब्राह्मी लिपि
भक्तिकाल
भगवतीचरण वर्मा
भट्टोजिदीक्षित
भवभूति
भारत रत्न
भारतेन्दु हरिश्चंद्र
भारवि
भास
भिखारी दास
भूपति राज गुरुदत्त सिंह
भूषण
भोजपुरी भाषा
मंखक
मंझन
मंडन
मगही बोली
मणिपुरी भाषा
मतिराम
मनोहर
मराठी भाषा
मलयालम भाषा
मलूकदास
महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय
महादेवी वर्मा
महापात्र नरहरि बंदीजन
महावीर प्रसाद द्विवेदी
माखन लाल चतुर्वेदी
मागधी भाषा
माघ कवि
मारवाड़ी बोली
मीरां
मुक्तिबोध गजानन माधव
मुम्बईया हिंदी
मृच्छकटिकम
मैथिली भाषा
मैथिलीशरण गुप्त
मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ
मॉरिशसी हिंदी
मोहन राकेश
यमक अलंकार
यशपाल
योजक चिह्न
रंगलाल बनर्जी
रघुनाथ (कवि)
रघुवीर सहाय
रस
रसखान
रसलीन
रसिक सुमति
रहीम
राजभाषा हिंदी
राजशेखर
राजस्थानी भाषा
राजेश जोशी
राम (कवि)
रामकुमार वर्मा
रामचन्द्र शुक्ल
रामधारी सिंह दिनकर
रामनरेश त्रिपाठी
रामविलास शर्मा
राय कृष्णदास
राष्ट्रभाषा हिंदी
रूपक अलंकार
रूपसाहि
रेखांकन चिह्न
रैदास
लाघव चिह्न
लालच दास
लालचंद
लिंग
लिपि
लोप चिह्न
वचन (हिंदी)
वट्टेळुत्तु लिपि
वर्णमाला (व्याकरण)
वर्तनी (हिंदी)
विकारी शब्द
विद्यालय हिन्दी शिक्षक सम्मान
विराम चिह्न
विरोधाभास अलंकार
विशाखदत्त
विशेषण
विश्व हिंदी दिवस
विष्णु प्रभाकर
विस्मयसूचक चिह्न
विस्मयादिबोधक
व्यंजन (व्याकरण)
व्याकरण
व्यास जी
शंकरदेव
शंभुनाथ मिश्र
शती
शब्द (व्याकरण)
शलाका सम्मान
शारदा लिपि
शिलांगी हिंदी
शिवसहाय दास
शूद्रक
शेख नबी
शौरसेनी
श्रीधर
श्रीपति (कवि)
श्रीभट्ट
श्रीलाल शुक्ल
श्रीहर्ष
श्लेष अलंकार
संज्ञा
संथाली भाषा
संधि
संवत
संस्कृत भाषा
समुच्यबोधक
सम्बन्धबोधक
सरोजिनी नायडू
सर्वनाम
सार्थक शब्द (व्याकरण)
साहित्यकार सम्मान
साहित्यिक कृति सम्मान
सिंधी भाषा
सिंहली
सिन्धु लिपि
सुंदर दास
सुखदेव मिश्र
सुन्दरदास खण्डेलवाल
सुभद्रा कुमारी चौहान
सुमित्रानंदन पंत
सूरति मिश्र
सूरदास
सूरदास मदनमोहन
सूरीनामी हिंदी
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
सेनापति
सैय्यद मुबारक़ अली बिलग्रामी
सोमनाथ माथुर
स्त्रीलिंग
स्वयंभू देव
स्वर (व्याकरण)
स्वामी अग्रदास
स्वामी हरिदास
हड़प्पा लिपि
हरियाणवी बोली
हरिवंश राय बच्चन
हरिषेण
हिंदी
हिंदी अकादमी
हिंदी अकादमी की संचालन समिति
हिंदी अकादमी के सम्मान और पुरस्कार
हिंदी अकादमी: योजनाएँ एवं कार्यक्रम
हिंदी का मानकीकरण
हिंदी की अखिल भारतीयता का इतिहास
हिंदी की उपभाषाएँ एवं बोलियाँ
हिंदी के अर्थ और नाम
हिंदी दिवस
हिंदी वर्णमाला (व्याकरण)
हिंदी साहित्य
हितहरिवंश
हृदयराम
हॉलैंडी हिंदी
</poem>
=================
पेज - 117
 
* महाभारत का फारसी अनुवाद अकबर के काल में हुआ जिसे 'रज्मनामा' के नाम से जाना गया।
* रामचरितमानस को ग्रियर्सन ने  'करोड़ों लोगों की बाइबिल' कहा है।
* कॉबेल ने मुकुंद राम को ' बंगाल का क्रेव' कहा है।
* अकबर ने  बीरबल को 'कविप्रिय' कहा है।
* नरहरि को 'महापात्र' की उपाधि दी गयी थी।
* मीर सैयद अली व ख्वाजा अब्दुस्समद कोप 'सिरिकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था।
* मुहम्मद हुसैन को 'जरींकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था।
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
 
=====================

06:11, 27 नवम्बर 2024 के समय का अवतरण


========

हिंदी विश्वकोश पर बने लेखों की सूची

अंग्रेज़ी भाषा
अक्षरअनन्य
अज्ञेय, सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन
अतिशयोक्ति अलंकार
अनुप्रास अलंकार
अनूप शर्मा
अपभ्रंश भाषा
अमरेश
अमीर ख़ुसरो
अमृता प्रीतम
अयोध्याप्रसाद खत्री
अयोध्यासिंह उपाध्याय
अरबिंदो घोष
अरबी भाषा
अर्जुनदास केडिया
अर्थालंकार
अलंकार
अली मुहिब खाँ
अवधी भाषा
अवहट्ट
अविकारी शब्द
अश्वघोष
अष्टछाप कवि
असमिया भाषा
आंडाल
आठवीं अनुसूची
आदि शंकराचार्य
आधुनिक हिंदी
आरमाइक भाषा
आरमाइक लिपि
आरसी प्रसाद सिंह
आलम
उड़िया भाषा
उत्प्रेक्षा अलंकार
उदय प्रकाश
उद्धरण चिह्न
उपमा अलंकार
उपमेयोपमा अलंकार
उपवाक्य
उपसर्ग
उर्दू भाषा
उल्लेख अलंकार
उसमान
कन्नड़ भाषा
कन्नौजी बोली
कबीर
कलकतिया हिंदी
कलिंग लिपि
कल्हण
कवींद्र
कश्मीरी भाषा
क़ादिर बख्श
काका हाथरसी सम्मान
कारक
काल
कालिदास
कालिदास त्रिवेदी
कासिमशाह
कुतबन
कुमायूँनी बोली
कुमार मणिभट्ट
कुम्भनदास
कुरुख भाषा
कुलपति मिश्र
कृपाराम
कृष्ण (कवि)
कृष्णदास
केशव
कोंकणी भाषा
कोष्ठक चिह्न
कौरवी बोली
क्रिया
क्रियाविशेषण
खड़ी बोली
खरोष्ठी
गंग
गंजन
गढ़वाली बोली
गदाधर भट्ट
गुजराती भाषा
गुयानी हिंदी
गुरुमुखी लिपि
गोविंदस्वामी
ग्रन्थ लिपि
घनानन्द
चंदबरदाई
चतुर्भुजदास
चिंतामणि त्रिपाठी
चौपाई
छत्तीसगढ़ी बोली
छन्द
छीतस्वामी
छीहल
जगजीवनदास
जमाल
जयदेव
जयशंकर प्रसाद
टोडरमल
डिंगल
डोगरी भाषा
तमिल भाषा
तमिल लिपि
ताजुज़्बेकी हिंदी
तुकाराम
तुलसीदास
तेलुगु एवं कन्नड़ लिपि
तेलुगु भाषा
तोरु दत्त
तोषनिधि
त्रिनिदादी हिंदी
त्रुटिबोधक चिह्न
दंडी
दक्खिनी हिंदी
दक्षिण अफ़्रीक़ी हिंदी
दलपतराम
दलपति राय
दशकुमारचरित
दूलह
दृष्टान्त अलंकार
देव
देवनागरी लिपि
देवनागरी लिपि का विकास
देवनागरी लिपि के गुण और दोष
दोहा
धर्मदास
धर्मवीर भारती
ध्रुवदास
नंददास
नरोत्तमदास
नवोदित लेखक पुरस्कार
नागरीप्रचारिणी सभा
नागार्जुन
नाभादास
निरर्थक शब्द (व्याकरण)
निर्मल वर्मा
नूर मुहम्मद
नेपाली भाषा
नेपाली हिंदी
नेवाज
पंजाबी भाषा
परमानंद दास
पश्चिमी पहाड़ी बोली
पहलवी भाषा
पहाड़ी बोली
पालि भाषा
पुल्लिंग
पुष्पदंत
पुहकर कवि
प्रत्यय
प्रश्नवाचक चिह्न
प्राकृत भाषा
प्राणचंद चौहान
प्रेमचन्द
फणीश्वरनाथ रेणु
फ़ारसी भाषा
फिजी हिंदी
बंसीधर
बघेली बोली
बनारसी दास
बलभद्र मिश्र
बांग्ला भाषा
बांग्ला लिपि
बाणभट्ट
बाल भारत
बालकृष्ण शर्मा नवीन
बिहारी भाषा
बिहारी लाल
बीर
बीरबल
बुन्देली बोली
बेनी
बैरीसाल
बैसवाड़ी बोली
बोडो भाषा
ब्रजभाषा
ब्राह्मी लिपि
भक्तिकाल
भगवतीचरण वर्मा
भट्टोजिदीक्षित
भवभूति
भारत रत्न
भारतेन्दु हरिश्चंद्र
भारवि
भास
भिखारी दास
भूपति राज गुरुदत्त सिंह
भूषण
भोजपुरी भाषा
मंखक
मंझन
मंडन
मगही बोली
मणिपुरी भाषा
मतिराम
मनोहर
मराठी भाषा
मलयालम भाषा
मलूकदास
महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय
महादेवी वर्मा
महापात्र नरहरि बंदीजन
महावीर प्रसाद द्विवेदी
माखन लाल चतुर्वेदी
मागधी भाषा
माघ कवि
मारवाड़ी बोली
मीरां
मुक्तिबोध गजानन माधव
मुम्बईया हिंदी
मृच्छकटिकम
मैथिली भाषा
मैथिलीशरण गुप्त
मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ
मॉरिशसी हिंदी
मोहन राकेश
यमक अलंकार
यशपाल
योजक चिह्न
रंगलाल बनर्जी
रघुनाथ (कवि)
रघुवीर सहाय
रस
रसखान
रसलीन
रसिक सुमति
रहीम
राजभाषा हिंदी
राजशेखर
राजस्थानी भाषा
राजेश जोशी
राम (कवि)
रामकुमार वर्मा
रामचन्द्र शुक्ल
रामधारी सिंह दिनकर
रामनरेश त्रिपाठी
रामविलास शर्मा
राय कृष्णदास
राष्ट्रभाषा हिंदी
रूपक अलंकार
रूपसाहि
रेखांकन चिह्न
रैदास
लाघव चिह्न
लालच दास
लालचंद
लिंग
लिपि
लोप चिह्न
वचन (हिंदी)
वट्टेळुत्तु लिपि
वर्णमाला (व्याकरण)
वर्तनी (हिंदी)
विकारी शब्द
विद्यालय हिन्दी शिक्षक सम्मान
विराम चिह्न
विरोधाभास अलंकार
विशाखदत्त
विशेषण
विश्व हिंदी दिवस
विष्णु प्रभाकर
विस्मयसूचक चिह्न
विस्मयादिबोधक
व्यंजन (व्याकरण)
व्याकरण
व्यास जी
शंकरदेव
शंभुनाथ मिश्र
शती
शब्द (व्याकरण)
शलाका सम्मान
शारदा लिपि
शिलांगी हिंदी
शिवसहाय दास
शूद्रक
शेख नबी
शौरसेनी
श्रीधर
श्रीपति (कवि)
श्रीभट्ट
श्रीलाल शुक्ल
श्रीहर्ष
श्लेष अलंकार
संज्ञा
संथाली भाषा
संधि
संवत
संस्कृत भाषा
समुच्यबोधक
सम्बन्धबोधक
सरोजिनी नायडू
सर्वनाम
सार्थक शब्द (व्याकरण)
साहित्यकार सम्मान
साहित्यिक कृति सम्मान
सिंधी भाषा
सिंहली
सिन्धु लिपि
सुंदर दास
सुखदेव मिश्र
सुन्दरदास खण्डेलवाल
सुभद्रा कुमारी चौहान
सुमित्रानंदन पंत
सूरति मिश्र
सूरदास
सूरदास मदनमोहन
सूरीनामी हिंदी
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
सेनापति
सैय्यद मुबारक़ अली बिलग्रामी
सोमनाथ माथुर
स्त्रीलिंग
स्वयंभू देव
स्वर (व्याकरण)
स्वामी अग्रदास
स्वामी हरिदास
हड़प्पा लिपि
हरियाणवी बोली
हरिवंश राय बच्चन
हरिषेण
हिंदी
हिंदी अकादमी
हिंदी अकादमी की संचालन समिति
हिंदी अकादमी के सम्मान और पुरस्कार
हिंदी अकादमी: योजनाएँ एवं कार्यक्रम
हिंदी का मानकीकरण
हिंदी की अखिल भारतीयता का इतिहास
हिंदी की उपभाषाएँ एवं बोलियाँ
हिंदी के अर्थ और नाम
हिंदी दिवस
हिंदी वर्णमाला (व्याकरण)
हिंदी साहित्य
हितहरिवंश
हृदयराम
हॉलैंडी हिंदी

=====

पेज - 117

  • महाभारत का फारसी अनुवाद अकबर के काल में हुआ जिसे 'रज्मनामा' के नाम से जाना गया।
  • रामचरितमानस को ग्रियर्सन ने 'करोड़ों लोगों की बाइबिल' कहा है।
  • कॉबेल ने मुकुंद राम को ' बंगाल का क्रेव' कहा है।
  • अकबर ने बीरबल को 'कविप्रिय' कहा है।
  • नरहरि को 'महापात्र' की उपाधि दी गयी थी।
  • मीर सैयद अली व ख्वाजा अब्दुस्समद कोप 'सिरिकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था।
  • मुहम्मद हुसैन को 'जरींकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था।

टीका टिप्पणी और संदर्भ


=========