"भारतकोश:Quotations/सोमवार": अवतरणों में अंतर
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* | *जिस समय जो कार्य करना उचित हो, उसे उसी समय शंकारहित होकर शीघ्र करना चाहिए, क्योंकि समय पर हुई वर्षा फ़सल की पोषक होती है, असमय की वर्षा विनाशिनी होती है। -शक्रनीति (1|286-287) | ||
*अनेक विद्याओं का अध्ययन करके भी जो समाज के साथ मिलकर आचरण्युक्त जीवन व्यतीत करना नहीं जानते, वे अज्ञानी ही समझे जायेंगे। - तिरुवल्लुवर (तिरुक्कुरल, 140) [[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]] | |||
*अनेक विद्याओं का अध्ययन करके भी जो समाज के साथ मिलकर आचरण्युक्त जीवन व्यतीत करना नहीं जानते, वे अज्ञानी ही समझे जायेंगे। - |
06:12, 14 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- जिस समय जो कार्य करना उचित हो, उसे उसी समय शंकारहित होकर शीघ्र करना चाहिए, क्योंकि समय पर हुई वर्षा फ़सल की पोषक होती है, असमय की वर्षा विनाशिनी होती है। -शक्रनीति (1|286-287)
- अनेक विद्याओं का अध्ययन करके भी जो समाज के साथ मिलकर आचरण्युक्त जीवन व्यतीत करना नहीं जानते, वे अज्ञानी ही समझे जायेंगे। - तिरुवल्लुवर (तिरुक्कुरल, 140) .... और पढ़ें