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| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
| | {{हिन्दी सामान्य ज्ञान नोट}} |
| {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} | | {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} |
| {{सामान्य ज्ञान नोट}}
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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {'लहरें व्योम चूमती उठती। चपलाएँ असंख्य नचती।' पंक्ति [[जयशंकर प्रसाद]] के किस रचना का अंश है?
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| |type="()"}
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| -लहर
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| -झरना
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| -आँसू
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| +कामायनी
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| {'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात, अपरिचित जरा-मरण-भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं? | | {'[[प्रेमसागर]]' के रचनाकार हैं- |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]] | | -[[सदल मिश्र]] |
| -[[जयशंकर प्रसाद]] | | -[[उसमान]] |
| +[[सुमित्रानंदन पंत]] | | +[[लल्लू लालजी]] |
| -[[महादेवी वर्मा]] | | -सुन्दर दास |
| ||[[चित्र:Sumitranandan.jpg|150px|सुमित्रानंदन पंत|right]] सुमित्रानंदन पंत हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक हैं। सुमित्रानंदन पंत उस नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। सुमित्रानंदन पंत का जन्म [[20 मई]] [[1900]] में कौसानी, [[उत्तराखण्ड]], [[भारत]] में हुआ था। जन्म के छह घंटे बाद ही माँ को क्रूर मृत्यु ने छीन लिया। शिशु को उसकी दादी ने पाला पोसा। शिशु का नाम रखा गया गुसाई दत्त।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सुमित्रानंदन पंत]]
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| {'निराला के [[राम]] [[तुलसीदास]] के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचक का है?
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| |type="()"}
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| -डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी
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| -डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित
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| +डॉ. रामविलास शर्मा
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| -डॉ. गंगाप्रसाद पाण्डेय
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| {'राम की शक्तिपूजा' में [[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|निराला]] की इन दो कविताओं का सारतत्व समाहित है?
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| |type="()"}
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| -तुलसीदास और सरोजस्मृति
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| -तुलसीदास और बादल
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| -सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर
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| +जागो फिर एक बार और तुलसीदास
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| {किस छायावादी कवि ने संवाद शैली का सर्वाधिक उपयोग किया है?
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| |type="()"}
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| +[[जयशंकर प्रसाद]]
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| -[[सुमित्रानंदन पंत]]
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| -[[महादेवी वर्मा]]
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| -[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]
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| || [[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|जयशंकर प्रसाद|150px|right]] महाकवि जयशंकर प्रसाद हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]]
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| {व्यवस्थाप्रियता और विद्रोह का विलक्षण संयोग किस प्रयोगवादी कवि में सबसे अधिक मिलता है?
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| |type="()"}
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| -[[गजानन माधव मुक्तिबोध]] में
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| -भारतभूषण अग्रवाल में
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| -नेमिचन्द्र जैन में
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| +अज्ञेय में
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| {[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र|भारतेन्दु]] कृत 'भारत दुर्दशा' किस साहित्य रूप का हिस्सा है?
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| |type="()"}
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| -कथा साहित्य
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| +नाटक साहित्य
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| -संस्मरण साहित्य
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| -जीवनी साहित्य
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| {'जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज़्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र द्वारा कहा गया है?
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| |type="()"}
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| -मालती
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| -ओंकारनाथ
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| +महतो
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| -खन्ना
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| {'पवित्रता की माप है मलिनता, सुख का आलोचक है दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?
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| |type="()"}
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| -विजया
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| +देवसेना
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| -भटार्क
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| -प्रपंचबुद्धि
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| {'मनुष्य के आचरण के प्रवर्तक भाव या मनोविकार ही होते हैं, बुद्धि नहीं।' यह कथन है?
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| |type="()"}
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| -सरदार पूर्णसिंह का
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| +[[रामचन्द्र शुक्ल]] का
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| -[[महावीर प्रसाद द्विवेदी]] का
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| -बालकृष्ण भट्ट का
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| {'रस मीमांसा' रस-सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक हैं?
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| |type="()"}
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| -[[डॉ. श्यामसुन्दर दास]]
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| -डॉ. गुलाब राय
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| -डॉ. नगेन्द्र
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| +[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]]
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| ||[[चित्र:RamChandraShukla.jpg|150px|right|रामचन्द्र शुक्ल]] रामचन्द्र शुक्ल जी का जन्म [[बस्ती ज़िला|बस्ती ज़िले]] के अगोना नामक गाँव में सन 1884 ई. में हुआ था। सन 1888 ई. में वे अपने पिता के साथ राठ हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। सन 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्ज़ापुर में सदर क़ानूनगो के रूप में हो गई और वे पिता के साथ [[मिर्ज़ापुर]] आ गये। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचन्द्र शुक्ल]]
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| {'यह युग (भारतेन्दु) बच्चे के समान हँसता-खेलता आया था, जिसमें बच्चों की सी निश्छलता, अक्खड़पन, सरलता और तन्मयता थी।' यह कथन किस आलोचक का है? | | {'यह युग (भारतेन्दु) बच्चे के समान हँसता-खेलता आया था, जिसमें बच्चों की सी निश्छलता, अक्खड़पन, सरलता और तन्मयता थी।' यह कथन किस आलोचक का है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल | | -डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल |
| -डॉ. रामविलास शर्मा | | -[[रामविलास शर्मा|डॉ. रामविलास शर्मा]] |
| -[[डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी]] | | -[[डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] |
| +[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] | | +[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] |
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| {मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विश्वास और विधान के सम्मुख ही मनुष्य विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार ने लिखा है? | | {मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विश्वास और विधान के सम्मुख ही मनुष्य विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस [[उपन्यासकार]] ने लिखा है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]] | | -[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]] |
| -भगवतीचरण वर्मा | | -[[भगवतीचरण वर्मा]] |
| +[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] | | +[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] |
| -यशपाल | | -[[यशपाल]] |
| ||[[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी |150px|right]] डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थानीय साहित्यकारों में से हैं। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यास लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] | | ||[[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी |150px|right]] डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थानीय साहित्यकारों में से हैं। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यास लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] |
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| {वीरों का कैसा हो वसंत कविता के रचयिता हैं? | | {'वीरों का कैसा हो वसंत' [[कविता]] के रचयिता हैं? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -केदारनाथ | | -[[केदारनाथ अग्रवाल]] |
| -अज्ञेय | | -[[अज्ञेय, सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन|अज्ञेय]] |
| -धर्मवीर भारती | | -[[धर्मवीर भारती]] |
| +सुभद्रा कुमारी चौहान | | +[[सुभद्रा कुमारी चौहान]] |
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| {'संदेश रासक' के रचयिता हैं? | | {'[[आँसू -जयशंकर प्रसाद|आँसू]]' (काव्य) के रचयिता हैं- |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[अमीर ख़ुसरो]] | | -[[सुमित्रानंदन पंत]] |
| -रसनिधि
| | +[[जयशंकर प्रसाद]] |
| -रसलीन
| | -[[मैथिलीशरण गुप्त]] |
| +अब्दुल रहमान | | -[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]] |
| | | || [[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|जयशंकर प्रसाद|100px|right]] महाकवि जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। [[कथा साहित्य]] के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]] |
| {'साखी' के रचयिता हैं?
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| |type="()"}
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| -[[रसखान]]
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| -[[सूरदास]] | |
| -[[रहीम]] | |
| +[[कबीरदास]]
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| || [[चित्र:Kabirdas.jpg|कबीरदास|150px|right]] कबीरदास के जन्म के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। कुछ लोगों के अनुसार वे गुरु [[स्वामी रामानंद|रामानन्द]] स्वामी के आशीर्वाद से [[काशी]] की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को लहरतारा ताल के पास फेंक आयी। उसे नीरु नाम का जुलाहा अपने घर ले आया। उनकी माता का नाम 'नीमा' था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]] | |
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| {मसि कागद छुयो नहीं कलम गही नहिं हाथ॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?
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| |type="()"}
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| -[[दादू दयाल]]
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| -[[रैदास]]
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| +[[कबीरदास]]
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| -सुन्दर दास | |
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| {लोगहिं लागि कवित्त बनावत, मोहिं तौ मेरे कवित्त बनावत॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?
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| |type="()"}
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| -[[केशवदास]]
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| -भिखारी दास
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| +[[घनानन्द]]
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| -पद्माकर
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| ||[[हिन्दी भाषा]] के रीतिकाल के कवि घनानन्द के सम्बंध में निश्चित जानकारी नहीं है। कुछ लोग इनका जन्मस्थान [[उत्तर प्रदेश]] के जनपद बुलन्दशहर को मानते हैं। इनका जन्म 1658 से 1689 ईस्वी के बीच और निधन 1739 ईस्वी (लगभग) माना जाता है। इनका निधन अब्दाली दुर्रानी द्वारा [[मथुरा]] में किये गये कत्लेआम में हुआ था। घनानन्द श्रृंगार धारा के कवि थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[घनानन्द]]
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| {बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है, यह कथन किसका है?
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| |type="()"}
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| -[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]]
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| -[[गजानन माधव मुक्तिबोध]]
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| +[[रामचन्द्र शुक्ल]]
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| -[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
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| || [[चित्र:RamChandraShukla.jpg|150px|right|रामचन्द्र शुक्ल]] रामचन्द्र शुक्ल जी का जन्म [[बस्ती ज़िला|बस्ती ज़िले]] के अगोना नामक गाँव में सन 1884 ई. में हुआ था। सन 1888 ई. में वे अपने पिता के साथ राठ हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। सन 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्ज़ापुर में सदर क़ानूनगो के रूप में हो गई और वे पिता के साथ [[मिर्ज़ापुर]] आ गये। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचन्द्र शुक्ल]]
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| {[[रहीम]] द्वारा लिखित इन पंक्तियों में 'बड़े' शब्द का प्रयोग जिस रूप में हुआ है, वह है-
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| <poem>बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोलें बोल।
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| रहिमन [[हीरा]] कब कहै, लाख टका मेरो मोल॥</poem>
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| |type="()"}
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| -[[विशेषण]]
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| +[[संज्ञा (व्याकरण)|संज्ञा]]
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| -[[सर्वनाम]]
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| -[[क्रियाविशेषण]]
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| {रामभक्त कवि नहीं हैं-
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| |type="()"}
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| -नाभादास
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| -अग्रदास
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| +नरोत्तम दास
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| -सेनापति
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| {जीवन में हास्य का महत्व इसलिए है कि, वह जीवन को-
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| |type="()"}
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| -प्रयोग देता है
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| -आनन्दित करता है
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| -आगे बढ़ाता है
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| +सरस बनाता है
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| {श्रृंगार रस का स्थायी भाव है-
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| |type="()"}
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| +रति
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| -हास
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| -शोक
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| -निर्वेद
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| {किस रस का संचारी भाव उग्रता, गर्व, हर्ष आदि है?
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| |type="()"}
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| -श्रृंगार
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| +वीर
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| -वात्सल्य
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| -रौद्र
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| | |
| {निम्नलिखित में से [[सूर्य]] का शत्रु माना जाता है-
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| |type="()"}
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| +राहू
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| -केतु
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| -[[धूमकेतु]]
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| -उल्टा
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| </quiz> | | </quiz> |
| |} | | |} |
पंक्ति 198: |
पंक्ति 50: |
| {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} | | {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} |
| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
| {{प्रचार}}
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| [[Category:सामान्य ज्ञान]] | | [[Category:सामान्य ज्ञान]] |
| | [[Category:हिन्दी सामान्य ज्ञान]] |
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| | [[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]] |
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