"हैली धूमकेतु": अवतरणों में अंतर
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'''हैली धूमकेतु ( Halley's Comet )''' | |+ हैली धूमकेतु | ||
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हैली की मृत्यु 14 जनवरी 1742 को हो गयी यानि उन्होंने अपनी भविष्यवाणी सच होते नहीं देखी। इसके बाद यह पुच्छल तारा नवम्बर 1835, अप्रैल 1910, और | |[[चित्र:Halley-Edmund.jpg|150px|एडमंड हैली<br />Edmond Halley]] | ||
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इस धूमकेतु के साथ एक अन्य प्रसिद्घ व्यक्ति भी जुड़ा है। वे हैं प्रसिद्घ लेखक '''मार्क ट्वैन ( Mark Twain )'''। आपका जन्म 30 | | एडमंड हैली<br />Edmond Halley | ||
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पुच्छल तारे सारी सभ्यताओं में अशुभ माने जाते हैं। इस गणना ने यह सिद्घ कर दिया कि यह किसी अशुभ घटना या दैविक प्रकोप का कारण नहीं है पर विज्ञान से जुड़ी घटना है। यदि हम पीछे की गणना करें तो यह 12 | |[[चित्र:halleys-comet- 1986.jpg|150px|हैली धूमकेतु 1986]] | ||
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* पुच्छल तारा, अन्य तारों से भिन्न होता है। सारी सभ्यताओं में पुच्छल तारा को पुच्छल तारा कह कर ही बताया गया है। | | हैली धूमकेतु के दृश्य 1986 | ||
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'''हैली धूमकेतु ([[अंग्रेज़ी]]: Halley's Comet)''' सबसे प्रसिद्घ पुच्छल तारा है। इसका नाम प्रसिद्घ खगोलशास्त्री ''एडमंड हैली (Edmond Halley)'' के नाम पर रखा गया है। हैली, न्यूटन के समकालीन थे। उन्होंने धूमकेतुओं के बारे में अध्ययन किया। उनका कहना था कि जो धूमकेतु सन् 1682, में दिखायी दिया था यह वही धूमकेतु है जो सन् 1531 व 1607 तथा संभवत: सन् 1465 में भी दिखायी पड़ा था। उन्होंने गणना द्वारा भविष्यवाणी की कि यह सन् 1758 के अन्त के समय पुन: दिखायी पड़ेगा। ऎसा हुआ भी कि यह पुच्छल तारा 1758 के बड़े दिन की रात्रि (क्रिसमस रात्रि) को दिखलायी दिया। तब से इसका नाम हैली का धूमकेतु पड़ गया। | |||
==रोचक तथ्य== | |||
* हैली की मृत्यु 14 जनवरी 1742 को हो गयी यानि उन्होंने अपनी भविष्यवाणी सच होते नहीं देखी। इसके बाद यह पुच्छल तारा [[नवम्बर]] 1835, [[अप्रैल]] 1910, और [[फ़रवरी]] 1986 में दिखायी पड़ा। यह पुन: 2061 में दिखायी पड़ेगा। क्योंकि यह 75 - 76 सालों में [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] के पास आता है। इस धूमकेतु के साथ एक अन्य प्रसिद्घ व्यक्ति भी जुड़ा है। वे हैं प्रसिद्घ लेखक '''मार्क ट्वैन (Mark Twain)'''। आपका जन्म 30 नवंबर 1835 को हैली धूमकेतु के आने पर हुआ था और मृत्यु 21 अप्रॅल 1910 को, जब यह धूमकेतु अगली बार आया। | |||
* पुच्छल तारे सारी सभ्यताओं में अशुभ माने जाते हैं। इस गणना ने यह सिद्घ कर दिया कि यह किसी अशुभ घटना या दैविक प्रकोप का कारण नहीं है पर [[विज्ञान]] से जुड़ी घटना है। यदि हम पीछे की गणना करें तो यह 12 BC में या फिर 66 AD में पृथ्वी पर दिखायी दिया होगा। यदि बेथलेहम का तारा हैली धूमकेतु था तो प्रभू [[ईसा मसीह|ईसा]] का जन्म या 12 BC में या फिर 66 AD में हुआ होगा। | |||
* पुच्छल तारा, अन्य तारों से भिन्न होता है। सारी सभ्यताओं में पुच्छल तारा को पुच्छल तारा कह कर ही बताया गया है। | |||
* सारी सभ्यताओं में, पुच्छल तारे अशुभ माने जाते हैं। यदि प्रभू ईसा के जन्म के समय पुच्छल तारा निकला था तो वह कम से कम वे लोग पुच्छल तारे को अशुभ नहीं मानते। | * सारी सभ्यताओं में, पुच्छल तारे अशुभ माने जाते हैं। यदि प्रभू ईसा के जन्म के समय पुच्छल तारा निकला था तो वह कम से कम वे लोग पुच्छल तारे को अशुभ नहीं मानते। | ||
* यदि वह हैली के अतिरिक्त कोई और धूमकेतु था तो वह फिर क्यों नहीं आया। | * यदि वह हैली के अतिरिक्त कोई और धूमकेतु था तो वह फिर क्यों नहीं आया। | ||
* धूमकेतु की पूंछ हमेशा सूर्य से दूर रहती है यानी कि पूंछ पश्चिम की ओर। इसलिये धूमकेतु कभी भी पश्चिम दिशा की ओर इंगित नहीं कर सकते हैं। यदि पश्चिम से लोग आते तो शायद कहा जा सकता कि वह धूमकेतु था पर यहां तो पूरब से लोग आये थे। | * धूमकेतु की पूंछ हमेशा सूर्य से दूर रहती है यानी कि पूंछ पश्चिम की ओर। इसलिये धूमकेतु कभी भी पश्चिम दिशा की ओर इंगित नहीं कर सकते हैं। यदि पश्चिम से लोग आते तो शायद कहा जा सकता कि वह धूमकेतु था पर यहां तो पूरब से लोग आये थे।<ref>{{cite web |url=http://pa.girgit.chitthajagat.in/unmukth.wordpress.com/feed/ |title=हैली धूमकेतु |accessmonthday=21 जनवरी |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref> | ||
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08:22, 16 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण
एडमंड हैली Edmond Halley |
हैली धूमकेतु के दृश्य 1986 |
हैली धूमकेतु के दृश्य 1910 |
हैली धूमकेतु (अंग्रेज़ी: Halley's Comet) सबसे प्रसिद्घ पुच्छल तारा है। इसका नाम प्रसिद्घ खगोलशास्त्री एडमंड हैली (Edmond Halley) के नाम पर रखा गया है। हैली, न्यूटन के समकालीन थे। उन्होंने धूमकेतुओं के बारे में अध्ययन किया। उनका कहना था कि जो धूमकेतु सन् 1682, में दिखायी दिया था यह वही धूमकेतु है जो सन् 1531 व 1607 तथा संभवत: सन् 1465 में भी दिखायी पड़ा था। उन्होंने गणना द्वारा भविष्यवाणी की कि यह सन् 1758 के अन्त के समय पुन: दिखायी पड़ेगा। ऎसा हुआ भी कि यह पुच्छल तारा 1758 के बड़े दिन की रात्रि (क्रिसमस रात्रि) को दिखलायी दिया। तब से इसका नाम हैली का धूमकेतु पड़ गया।
रोचक तथ्य
- हैली की मृत्यु 14 जनवरी 1742 को हो गयी यानि उन्होंने अपनी भविष्यवाणी सच होते नहीं देखी। इसके बाद यह पुच्छल तारा नवम्बर 1835, अप्रैल 1910, और फ़रवरी 1986 में दिखायी पड़ा। यह पुन: 2061 में दिखायी पड़ेगा। क्योंकि यह 75 - 76 सालों में पृथ्वी के पास आता है। इस धूमकेतु के साथ एक अन्य प्रसिद्घ व्यक्ति भी जुड़ा है। वे हैं प्रसिद्घ लेखक मार्क ट्वैन (Mark Twain)। आपका जन्म 30 नवंबर 1835 को हैली धूमकेतु के आने पर हुआ था और मृत्यु 21 अप्रॅल 1910 को, जब यह धूमकेतु अगली बार आया।
- पुच्छल तारे सारी सभ्यताओं में अशुभ माने जाते हैं। इस गणना ने यह सिद्घ कर दिया कि यह किसी अशुभ घटना या दैविक प्रकोप का कारण नहीं है पर विज्ञान से जुड़ी घटना है। यदि हम पीछे की गणना करें तो यह 12 BC में या फिर 66 AD में पृथ्वी पर दिखायी दिया होगा। यदि बेथलेहम का तारा हैली धूमकेतु था तो प्रभू ईसा का जन्म या 12 BC में या फिर 66 AD में हुआ होगा।
- पुच्छल तारा, अन्य तारों से भिन्न होता है। सारी सभ्यताओं में पुच्छल तारा को पुच्छल तारा कह कर ही बताया गया है।
- सारी सभ्यताओं में, पुच्छल तारे अशुभ माने जाते हैं। यदि प्रभू ईसा के जन्म के समय पुच्छल तारा निकला था तो वह कम से कम वे लोग पुच्छल तारे को अशुभ नहीं मानते।
- यदि वह हैली के अतिरिक्त कोई और धूमकेतु था तो वह फिर क्यों नहीं आया।
- धूमकेतु की पूंछ हमेशा सूर्य से दूर रहती है यानी कि पूंछ पश्चिम की ओर। इसलिये धूमकेतु कभी भी पश्चिम दिशा की ओर इंगित नहीं कर सकते हैं। यदि पश्चिम से लोग आते तो शायद कहा जा सकता कि वह धूमकेतु था पर यहां तो पूरब से लोग आये थे।[1]
इन्हें भी देखें: धूमकेतु एवं ल्यूलिन धूमकेतु
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हैली धूमकेतु (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 21 जनवरी, 2011।