"शिवताण्डवस्तोत्रम्": अवतरणों में अंतर
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==रावण द्वारा भगवान शिव की स्तुति== | ==रावण द्वारा भगवान शिव की स्तुति== | ||
*कथा है की अहंकार वश [[रावण]] ने अपने आराध्य देव [[शिव]] के निवास स्थान [[कैलास]] पर्वत को अपने हाथों पर उठा लिया था| | *कथा है की अहंकार वश [[रावण]] ने अपने आराध्य देव [[शिव]] के निवास स्थान [[कैलास]] पर्वत को अपने हाथों पर उठा लिया था| | ||
*क्रोधित हो शिव ने रावण के हाथों को पर्वत के नीचे दबा दिया| | *क्रोधित हो शिव ने रावण के हाथों को पर्वत के नीचे दबा दिया| | ||
*रावण ने शिव की स्तुति में निम्न | *रावण ने शिव की स्तुति में निम्न स्रोत कहा तो शिव ने प्रसन्न हो कर रावण को क्षमा कर दिया| | ||
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| [[चित्र:Shiva.jpg|शिव|200px|center]] | |||
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|<small>[[शिव]]</small> | |||
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| [[चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-2.jpg|रावण के वेश में, रामलीला कलाकार, मथुरा|200px|center]] | |||
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|<small>[[रावण]] के वेश में, रामलीला कलाकार, [[मथुरा]]</small> | |||
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| [[चित्र:Kailash-Mount.jpg|कैलास पर्वत|200px|center]] | |||
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|<small>[[कैलास पर्वत]]</small> | |||
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स्फुर-द्दिगन्त-सन्तति प्रमोद-मान-मानसे<br /> | स्फुर-द्दिगन्त-सन्तति प्रमोद-मान-मानसे<br /> | ||
कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरापदि<br /> | कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरापदि<br /> | ||
क्वचि-द्दिगम्बरे-मनो विनोदमेतु वस्तुनि .. | क्वचि-द्दिगम्बरे-मनो विनोदमेतु वस्तुनि .. 3.. | ||
जटा-भुजङ्ग-पिङ्गल-स्फुरत्फणा-मणि प्रभा<br /> | जटा-भुजङ्ग-पिङ्गल-स्फुरत्फणा-मणि प्रभा<br /> | ||
कदम्ब-कुङ्कुम-द्रव प्रलिप्त-दिग्व-धूमुखे<br /> | कदम्ब-कुङ्कुम-द्रव प्रलिप्त-दिग्व-धूमुखे<br /> | ||
मदान्ध-सिन्धुर-स्फुरत्त्व-गुत्तरी-यमे-दुरे<br /> | मदान्ध-सिन्धुर-स्फुरत्त्व-गुत्तरी-यमे-दुरे<br /> | ||
मनो विनोदमद्भुतं-बिभर्तु-भूतभर्तरि .. | मनो विनोदमद्भुतं-बिभर्तु-भूतभर्तरि .. 4.. | ||
सहस्र लोचन प्रभृत्य-शेष-लेख-शेखर<br /> | सहस्र लोचन प्रभृत्य-शेष-लेख-शेखर<br /> | ||
प्रसून-धूलि-धोरणी-विधू-सराङ्घ्रि-पीठभूः<br /> | प्रसून-धूलि-धोरणी-विधू-सराङ्घ्रि-पीठभूः<br /> | ||
भुजङ्गराज-मालया-निबद्ध-जाटजूटक:<br /> | भुजङ्गराज-मालया-निबद्ध-जाटजूटक:<br /> | ||
श्रियै-चिराय-जायतां चकोर-बन्धु-शेखरः .. | श्रियै-चिराय-जायतां चकोर-बन्धु-शेखरः .. 5.. | ||
ललाट-चत्वर-ज्वलद्धनञ्जय-स्फुलिङ्गभा-<br /> | ललाट-चत्वर-ज्वलद्धनञ्जय-स्फुलिङ्गभा-<br /> | ||
निपीत-पञ्च-सायकं-नमन्नि-लिम्प-नायकम्<br /> | निपीत-पञ्च-सायकं-नमन्नि-लिम्प-नायकम्<br /> | ||
सुधा-मयूख-लेखया-विराजमान-शेखरं<br /> | सुधा-मयूख-लेखया-विराजमान-शेखरं<br /> | ||
महाकपालि-सम्पदे-शिरो-जटाल-मस्तुनः .. | महाकपालि-सम्पदे-शिरो-जटाल-मस्तुनः .. 6.. | ||
कराल-भाल-पट्टिका-धगद्धगद्धग-ज्ज्वल<br /> | कराल-भाल-पट्टिका-धगद्धगद्धग-ज्ज्वल<br /> | ||
द्धनञ्ज-याहुतीकृत-प्रचण्डपञ्च-सायके<br /> | द्धनञ्ज-याहुतीकृत-प्रचण्डपञ्च-सायके<br /> | ||
धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-कुचाग्रचित्र-पत्रक<br /> | धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-कुचाग्रचित्र-पत्रक<br /> | ||
-प्रकल्प-नैकशिल्पिनि-त्रिलोचने-रतिर्मम … | -प्रकल्प-नैकशिल्पिनि-त्रिलोचने-रतिर्मम … 7.. | ||
नवीन-मेघ-मण्डली-निरुद्ध-दुर्धर-स्फुरत्<br /> | नवीन-मेघ-मण्डली-निरुद्ध-दुर्धर-स्फुरत्<br /> | ||
कुहू-निशी-थिनी-तमः प्रबन्ध-बद्ध-कन्धरः<br /> | कुहू-निशी-थिनी-तमः प्रबन्ध-बद्ध-कन्धरः<br /> | ||
निलिम्प-निर्झरी-धरस्त-नोतु कृत्ति-सिन्धुरः<br /> | निलिम्प-निर्झरी-धरस्त-नोतु कृत्ति-सिन्धुरः<br /> | ||
कला-निधान-बन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः .. | कला-निधान-बन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः .. 8.. | ||
प्रफुल्ल-नीलपङ्कज-प्रपञ्च-कालिमप्रभा-<br /> | प्रफुल्ल-नीलपङ्कज-प्रपञ्च-कालिमप्रभा-<br /> | ||
-वलम्बि-कण्ठ-कन्दली-रुचिप्रबद्ध-कन्धरम् .<br /> | -वलम्बि-कण्ठ-कन्दली-रुचिप्रबद्ध-कन्धरम् .<br /> | ||
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं<br /> | स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं<br /> | ||
गजच्छिदांधकछिदं तमंतक-च्छिदं भजे .. | गजच्छिदांधकछिदं तमंतक-च्छिदं भजे .. 9.. | ||
अखर्व सर्व-मङ्ग-लाकला-कदंबमञ्जरी<br /> | अखर्व सर्व-मङ्ग-लाकला-कदंबमञ्जरी<br /> | ||
रस-प्रवाह-माधुरी विजृंभणा-मधुव्रतम्<br /> | रस-प्रवाह-माधुरी विजृंभणा-मधुव्रतम्<br /> | ||
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं<br /> | स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं<br /> | ||
गजान्त-कान्ध-कान्तकं तमन्तकान्तकं भजे .. | गजान्त-कान्ध-कान्तकं तमन्तकान्तकं भजे .. 10.. | ||
जयत्व-दभ्र-विभ्र-म-भ्रमद्भुजङ्ग-मश्वस-<br /> | जयत्व-दभ्र-विभ्र-म-भ्रमद्भुजङ्ग-मश्वस-<br /> | ||
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विमुक्त-दुर्मतिः सदा शिरःस्थ-मञ्जलिं वहन् .<br /> | विमुक्त-दुर्मतिः सदा शिरःस्थ-मञ्जलिं वहन् .<br /> | ||
विमुक्त-लोल-लोचनो ललाम-भाललग्नकः<br /> | विमुक्त-लोल-लोचनो ललाम-भाललग्नकः<br /> | ||
शिवेति मन्त्र-मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् .. | शिवेति मन्त्र-मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् .. 13.. | ||
इदम् हि नित्य-मेव-मुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं<br /> | इदम् हि नित्य-मेव-मुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं<br /> | ||
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धि-मेति-संततम्<br /> | पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धि-मेति-संततम्<br /> | ||
हरे गुरौ सुभक्ति-माशु याति नान्यथा गतिं<br /> | हरे गुरौ सुभक्ति-माशु याति नान्यथा गतिं<br /> | ||
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् .. | विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् .. 14.. | ||
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः<br /> | पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः<br /> | ||
शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे<br /> | शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे<br /> | ||
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां<br /> | तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां<br /> | ||
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः .. | लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः .. 15.. | ||
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11:02, 23 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
रावण द्वारा भगवान शिव की स्तुति
- कथा है की अहंकार वश रावण ने अपने आराध्य देव शिव के निवास स्थान कैलास पर्वत को अपने हाथों पर उठा लिया था|
- क्रोधित हो शिव ने रावण के हाथों को पर्वत के नीचे दबा दिया|
- रावण ने शिव की स्तुति में निम्न स्रोत कहा तो शिव ने प्रसन्न हो कर रावण को क्षमा कर दिया|
शिव |
रावण के वेश में, रामलीला कलाकार, मथुरा |
कैलास पर्वत |
जटाटवी-गलज्जल-प्रवाह-पावित-स्थले जटा-कटा-हसं-भ्रम भ्रमन्नि-लिम्प-निर्झरी- धरा-धरेन्द्र-नंदिनी विलास-बन्धु-बन्धुर जटा-भुजङ्ग-पिङ्गल-स्फुरत्फणा-मणि प्रभा सहस्र लोचन प्रभृत्य-शेष-लेख-शेखर ललाट-चत्वर-ज्वलद्धनञ्जय-स्फुलिङ्गभा- कराल-भाल-पट्टिका-धगद्धगद्धग-ज्ज्वल नवीन-मेघ-मण्डली-निरुद्ध-दुर्धर-स्फुरत् प्रफुल्ल-नीलपङ्कज-प्रपञ्च-कालिमप्रभा- अखर्व सर्व-मङ्ग-लाकला-कदंबमञ्जरी जयत्व-दभ्र-विभ्र-म-भ्रमद्भुजङ्ग-मश्वस- दृष-द्विचित्र-तल्पयोर्भुजङ्ग-मौक्ति-कस्रजोर् कदा निलिम्प-निर्झरीनिकुञ्ज-कोटरे वसन् इदम् हि नित्य-मेव-मुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः |