"कीर्तिवर्मा द्वितीय": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला")
 
(4 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*[[विक्रमादित्य द्वितीय]] के बाद 744 ई. के लगभग कीर्तिवर्मा द्वितीय विशाल [[चालुक्य साम्राज्य]] का स्वामी बना। पर वह अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित साम्राज्य को क़ायम रखने में असमर्थ रहा।
'''कीर्तिवर्मा द्वितीय''' (745 से 753 ई.), [[विक्रमादित्य द्वितीय]] का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था।
*अपने पिता की मृत्यु के बाद वह विशाल [[चालुक्य साम्राज्य]] का स्वामी बना।
*इसने अपने युवराज काल में ही [[पल्लव वंश|पल्लव]] नरेश नन्दि वर्मन को परास्त कर बहुमूल्य [[रत्न]], [[हाथी]] एवं सुवर्ण प्राप्त किया था।
*कीर्तिवर्मा द्वितीय ही सम्भवतः [[बादामी]] के चालुक्य शासकों की श्रृंखला का अंतिम शासक था।
*उसने 'सार्वभौम', 'लक्ष्मी', 'पृथ्वी का प्रिय', 'राजाओं का राज' एवं 'महाराज' आदि की उपाधियाँ धारण की थीं।
*चालुक्यों के सामंत [[दंतिदुर्ग]] ([[राष्ट्रकूट वंश|राष्टकूट]]) ने कीर्तिवर्मा द्वितीय को परास्त कर लगभग 753 ई. में अपने को स्वतंत्र शासक के रूप में स्थापित किया।
*दंतिदुर्ग की इस विजय के विषय में 'समनगढ़' अभिलेख से जानकारी मिलती है।


{{प्रचार}}
{{प्रचार}}
पंक्ति 9: पंक्ति 15:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{चालुक्य साम्राज्य}}
{{चालुक्य साम्राज्य}}
{{भारत के राजवंश}}
 
[[Category:इतिहास_कोश]]
[[Category:इतिहास_कोश]]
[[Category:दक्षिण भारत के साम्राज्य]]
[[Category:दक्षिण भारत के साम्राज्य]]
[[Category:चालुक्य साम्राज्य]]
[[Category:चालुक्य साम्राज्य]]
__INDEX__
__INDEX__

11:16, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

कीर्तिवर्मा द्वितीय (745 से 753 ई.), विक्रमादित्य द्वितीय का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था।

  • अपने पिता की मृत्यु के बाद वह विशाल चालुक्य साम्राज्य का स्वामी बना।
  • इसने अपने युवराज काल में ही पल्लव नरेश नन्दि वर्मन को परास्त कर बहुमूल्य रत्न, हाथी एवं सुवर्ण प्राप्त किया था।
  • कीर्तिवर्मा द्वितीय ही सम्भवतः बादामी के चालुक्य शासकों की श्रृंखला का अंतिम शासक था।
  • उसने 'सार्वभौम', 'लक्ष्मी', 'पृथ्वी का प्रिय', 'राजाओं का राज' एवं 'महाराज' आदि की उपाधियाँ धारण की थीं।
  • चालुक्यों के सामंत दंतिदुर्ग (राष्टकूट) ने कीर्तिवर्मा द्वितीय को परास्त कर लगभग 753 ई. में अपने को स्वतंत्र शासक के रूप में स्थापित किया।
  • दंतिदुर्ग की इस विजय के विषय में 'समनगढ़' अभिलेख से जानकारी मिलती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख