"नंदि वर्मन द्वितीय": अवतरणों में अंतर

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*'''नंदि वर्मन द्वितीय''' (731-795 ई.) के शासन काल में [[पल्लव वंश|पल्लवों]] का [[चालुक्य वंश|चालुक्यों]], [[पाण्ड्य साम्राज्य|पाण्ड्यों]] तथा [[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूटों]] से संघर्ष हुआ।
#REDIRECT [[नन्दि वर्मन द्वितीय]]
*यद्यपि पूर्वी चालुक्य राज्य पर नंदि वर्मन द्वितीय ने कब्जा कर लिया, किन्तु राष्ट्रकूटों ने [[कांची]] को विजित कर लिया।
*[[गोविन्द तृतीय]] के अभिलेख से यह प्रमाणित होता है कि, राष्ट्रकूट नरेश [[दंतिदुर्ग]] ने पल्लवों की राजधानी कांची पर विजय प्राप्त कर अपनी पुत्री का विवाह नंदि वर्मन द्वितीय से कर दिया था।
*इन दोनों के संयोग से [[दंति वर्मन]] नामक पुत्र ने जन्म लिया।
*[[उदय चन्द्र]] [[नरसिंह वर्मन द्वितीय]] का योग्य सेनापति था।
*नंदि वर्मन द्वितीय [[वैष्णव धर्म]] का अनुयायी था।
*उसके समय में समकालीन वैष्णव सन्त तिरुमंगै अलवार ने वैष्णव धर्म का प्रचार-प्रसार किया।
*नंदि वर्मन द्वितीय ने बैकुंठ, पेरुमल एवं मुक्तेश्वर मन्दिर का निर्माण करवाया था।
*कशाक्कुण्डि लेख में इसके लिए पल्लवमल्ल, क्षत्रिय मल्ल, राजाधिराज, परमेश्वर एवं महाराज आदि उपाधियों का प्रयोग किया गया है।
*इसने पल्लव राजाओं में सबसे अधिक समय (65 वर्ष) तक शासन किया।
 
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==संबंधित लेख==
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