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'''मार्च''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''March'') [[ग्रेगोरी कैलंडर]] के अनुसार [[वर्ष]] का तीसरा [[माह|महीना]] है। यह उन सात महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 31 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह [[जूलियन कलॅण्डर|जूलियन कालदर्शक]] का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई [[दिन]] होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित [[पंचांग]] हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 [[सप्ताह]] (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था। | |||
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====शिवरात्रि==== | |||
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यह एक धार्मिक पर्व है और सम्पूर्ण भारत में गहरी आस्था के साथ मनाया जाता है। [[दिन]] व्रत और पूजा के साथ-साथ मंदिर में दर्शन की विशेष परंपरा है। प्रसिद्ध शिव मंदिरों जैसे [[विश्वनाथ मंदिर|काशी विश्वनाथ मंदिर]], [[आंध्र प्रदेश|आंध्र]] के कलाहासी मंदिर और [[तमिलनाडु]] के [[चिदंबरम मंदिर]] अपने कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध हैं।[[चित्र:Kolaz-Holi.jpg|thumb|left|[[ब्रज]] में [[होली]] के विभिन्न दृश्य]] | |||
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मार्च के महीने में होली का पर्व [[उत्तर भारत]] में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह [[वसंत ऋतु]] के स्वागत और जन सामान्य के मनोरंजन का पर्व है। लोग एक दूसरे पर रंगीन पानी की बौछार करते हैं और चेहरे पर [[अबीर]] [[गुलाल]] लगाते हैं। [[नृत्य]] और [[संगीत]] इस पर्व में जान डाल देते हैं। [[ब्रज]] और [[मथुरा]] नगरों की होली दर्शनीय होती है। इन नगरों को [[श्रीकृष्ण]] ने अपने जन्म से कृतार्थ किया था। यहाँ रंग-गुलाल उत्सव पूरे एक सप्ताह तक चलता है जिसमें जलूस, जमघट, गीत, संगीत और उत्साह की पराकाष्ठा देखते ही बनती है। [[नंदगाँव]] और [[बरसाना]] की [[लट्ठमार होली]] महिलाओं की लाठियों और कोड़ों के कारण प्रसिद्ध है। आनंदपुर साहब में इस अवसर पर [[सिख]] एक विशेष पर्व मनाते हैं जिसे [[होला मोहल्ला]] कहते हैं। इस अवसर पर प्राचीन युद्धकला का प्रदर्शन किया जाता है। | |||
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13:46, 21 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण
मार्च
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विवरण | ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का तीसरा महीना है। |
हिंदी माह | फाल्गुन - चैत्र |
हिजरी माह | रबीउल आख़िर - जमादी-उल-अव्वल |
कुल दिन | 31 |
व्रत एवं त्योहार | शिवरात्रि (फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी), होली (फाल्गुन पूर्णिमा) |
जयंती एवं मेले | खजुराहो नृत्य महोत्सव (मध्य प्रदेश में), होयसला महोत्सव (कर्नाटक में), एलोरा महोत्सव (महाराष्ट्र में), गज महोत्सव (राजस्थान में) |
महत्त्वपूर्ण दिवस | अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8), विश्व जल दिवस (22), शहीद दिवस (23) |
पिछला | फ़रवरी |
अगला | अप्रॅल |
अन्य जानकारी | मार्च वर्ष के उन सात महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 31 होती है। |
मार्च (अंग्रेज़ी: March) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का तीसरा महीना है। यह उन सात महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 31 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह जूलियन कालदर्शक का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित पंचांग हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 सप्ताह (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।
मार्च माह के पर्व
मार्च का महीना होली, शिवरात्रि जैसे पर्वो का है। ये सामाजिक तथा धार्मिक पर्व हैं तथा पूरे भारत में धूमधाम से मनाए जाते हैं। साथ ही भारत सरकार की ओर से कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है जो इस माह को पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाते हैं। निम्नलिखित पर्व एवं त्योहार अधिकांशत मार्च माह में पड़ते हैं। स्मरणीय तथ्य यह है कि हिन्दुओं के पर्व एवं त्योहारों का संबंध ग्रेगोरी कैलंडर से न होकर विक्रम संवत से होता है।
शिवरात्रि
यह एक धार्मिक पर्व है और सम्पूर्ण भारत में गहरी आस्था के साथ मनाया जाता है। दिन व्रत और पूजा के साथ-साथ मंदिर में दर्शन की विशेष परंपरा है। प्रसिद्ध शिव मंदिरों जैसे काशी विश्वनाथ मंदिर, आंध्र के कलाहासी मंदिर और तमिलनाडु के चिदंबरम मंदिर अपने कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध हैं।
होली
मार्च के महीने में होली का पर्व उत्तर भारत में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह वसंत ऋतु के स्वागत और जन सामान्य के मनोरंजन का पर्व है। लोग एक दूसरे पर रंगीन पानी की बौछार करते हैं और चेहरे पर अबीर गुलाल लगाते हैं। नृत्य और संगीत इस पर्व में जान डाल देते हैं। ब्रज और मथुरा नगरों की होली दर्शनीय होती है। इन नगरों को श्रीकृष्ण ने अपने जन्म से कृतार्थ किया था। यहाँ रंग-गुलाल उत्सव पूरे एक सप्ताह तक चलता है जिसमें जलूस, जमघट, गीत, संगीत और उत्साह की पराकाष्ठा देखते ही बनती है। नंदगाँव और बरसाना की लट्ठमार होली महिलाओं की लाठियों और कोड़ों के कारण प्रसिद्ध है। आनंदपुर साहब में इस अवसर पर सिख एक विशेष पर्व मनाते हैं जिसे होला मोहल्ला कहते हैं। इस अवसर पर प्राचीन युद्धकला का प्रदर्शन किया जाता है।
खजुराहो नृत्य महोत्सव
मध्य प्रदेश के खजुराहो में चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए खजुराहो के मंदिर अपने उत्कृष्ट पाषाण शिल्प के लिए विश्वविख्यात हैं। इसमें से अवशेष 22 मंदिर प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में भारतीय शास्त्रीय नृत्य के सप्ताह भर लम्बे कार्यक्रमों द्वारा सजीव हो उठते हैं। इस समय भारत के अनेक विश्वविख्यात कलाकार यहाँ अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
होयसला महोत्सव
कर्नाटक के वेल्लूर और हलेबिड में होने वाला यह एक शानदार नृत्य महोत्सव है। इस महोत्सव के अवसर पर होयसला के आकर्षक पाषाण मंदिरों की उत्कृष्ट मूर्तिकला भारतीय शास्त्रीय नृत्यों की पारंपरिक पृष्ठभूमि में परिवर्तित हो जाती है और कार्यक्रमों की शोभा देखते ही बनती है।
एलोरा महोत्सव
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 600 से 1000 वीं शताब्दी के मध्य निर्मित बेहतरीन पाषाण कारीगरी वाली 34 एलोरा गुफाएँ मार्च के महीने में संगीत व नृत्य के शास्त्रीय कार्यक्रमों से गुंजायमान हो उठती हैं इस अवसर पर यहाँ भारत के सर्वश्रेष्ठ कलाकार अपना प्रदर्शन करते हैं।
गज महोत्सव
राजस्थान की राजधानी जयपुर में गज महोत्सव का विशेष आकर्षण हाथियों, घोड़ों और ऊँटों का जलूस होता है। लोकनर्तकों के रंगारंग कार्यक्रम इसमें राग और रंग का सुंदर संयोजन करते हैं। हाथियों की दौड़ व पोलो की प्रतियोगिताएँ इस उत्सव की विशेषताएँ हैं। हाथी और पुरुषों के बीच रस्साकशी का खेल भी कुछ कम मनोरंजक नहीं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मार्च माह के पर्व (हिंदी) अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 1 जून, 2013।
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