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| valign="top" style="width:30%" | | *जब तक जीना, तब तक सीखना - अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। '''-स्वामी विवेकानन्द''' | ||
---- | *यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग करता है, वह उस-उस को ही प्राप्त होता हैं; क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है । '''- [[गीता|श्रीमद्भागवत गीता]]''' | ||
* | *इतिहास याने अनादिकाल से अब तक का सारा जीवन । पुराण याने अनादि काल से अब तक टिका हुआ अनुभव का अमर अंश। '''-विनोबा भावे''' | ||
* | *जीवन का कार्यक्रम है रचनात्मक, विनाशात्मक नहीं;<br /> मनुष्य का कर्तव्य है अनुराग, विराग नहीं। '''-भगवतीचरण वर्मा''' | ||
*ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता । - '''हजारीप्रसाद द्विवेदी''' | |||
*शब्द खतरनाक वस्तु हैं । सर्वाधिक खतरे की बात तो यह है कि वे हमसे यह कल्पना करा लेते हैं कि हम बातों को समझते हैं जबकि वास्तव में हम नहीं समझते । - '''चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य'''<br /> | |||
[[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]] | |||
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14:02, 18 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
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