"साँचा:ताजमहल पर कविता": अवतरणों में अंतर
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|+ '''संगमरमर का संगीत''' | |+ '''संगमरमर का संगीत''' ([[अशोक चक्रधर]] द्वारा नाट्य कविता) | ||
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दिल के दमामे। </poem> | दिल के दमामे। </poem> | ||
(गुम्बद का आंतरिक स्वरूप) | (गुम्बद का आंतरिक स्वरूप) | ||
<poem>नाद गूँज उठता है | |||
आकाश तक। </poem> | आकाश तक। </poem> | ||
(क़ब्रों के विविध कोण) | (क़ब्रों के विविध कोण) | ||
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दर्दो- अहसासात की तश्कील ताज।</poem> | दर्दो- अहसासात की तश्कील ताज।</poem> | ||
(ताज के बाहर सड़क पर विदेशी महिला और भारतीय गाइड) | (ताज के बाहर सड़क पर विदेशी महिला और भारतीय गाइड) | ||
<poem>'''गाइड-''' ऐक्सक्यूज़ मी मैडम! | <poem>'''गाइड-''' ऐक्सक्यूज़ मी मैडम! | ||
नीड अ गाइड? | नीड अ गाइड? | ||
पंक्ति 68: | पंक्ति 66: | ||
ज़माना गौर से सुन रहा है | ज़माना गौर से सुन रहा है | ||
पर जी नहीं भरता है। </poem> | पर जी नहीं भरता है। </poem> | ||
(ताजमहल के विभिन्न शॉट्स, कमैण्ट्री के अनुसार) | (ताजमहल के विभिन्न शॉट्स, कमैण्ट्री के अनुसार) | ||
<poem>ख़ुदा मालूम | <poem>ख़ुदा मालूम | ||
इसके मरमरी ज़िस्म में | इसके मरमरी ज़िस्म में | ||
पंक्ति 217: | पंक्ति 213: | ||
हुज़ूर क्या ख़ूबसूरत ऊँचाइयां हैं | हुज़ूर क्या ख़ूबसूरत ऊँचाइयां हैं | ||
एक सौ बासठ फिट छः इंच।</poem> | एक सौ बासठ फिट छः इंच।</poem> | ||
(ताज की दीवारों पर लिखावट) | (ताज की दीवारों पर लिखावट) | ||
<poem>सजावट के लिए | <poem>सजावट के लिए | ||
आयतों और सूरतों को | आयतों और सूरतों को | ||
पंक्ति 228: | पंक्ति 222: | ||
लिखावट में कि | लिखावट में कि | ||
हुस्न में इज़ाफ़ा हो।</poem> | हुस्न में इज़ाफ़ा हो।</poem> | ||
<poem>तराशे हुए गुलदस्ते | <poem>तराशे हुए गुलदस्ते | ||
और बेलबूटे | और बेलबूटे | ||
दीवारों को | दीवारों को सज़ा रहे हैं, | ||
मज़ार की ओर झुके हुए | मज़ार की ओर झुके हुए | ||
मुस्कुराते फूल खिलती हुई कलियाँ | मुस्कुराते फूल खिलती हुई कलियाँ | ||
पंक्ति 237: | पंक्ति 230: | ||
महसूस यूँ होता है जैसे | महसूस यूँ होता है जैसे | ||
लगातार कोर्निश बजा रहे हैं।</poem> | लगातार कोर्निश बजा रहे हैं।</poem> | ||
<poem>ये जो देख रहे हैं | <poem>ये जो देख रहे हैं | ||
संगमरमर की जाली, | संगमरमर की जाली, | ||
पंक्ति 252: | पंक्ति 244: | ||
देखने वाले उस पर निसार हैं।</poem> | देखने वाले उस पर निसार हैं।</poem> | ||
(ताज की जाली / गुम्बद / क़ब्र / कलस / मस्जिद- मेहमान-खाने के विभिन्न दृश्य।) | (ताज की जाली / गुम्बद / क़ब्र / कलस / मस्जिद- मेहमान-खाने के विभिन्न दृश्य।) | ||
<poem>जाली के बीचों-बीच | <poem>जाली के बीचों-बीच | ||
मुमताज़ की क़ब्र है | |||
पहलू में ही शाहजहां की | पहलू में ही शाहजहां की | ||
दोनों मिलकर अकेले में | दोनों मिलकर अकेले में | ||
बातें करते होंगे | बातें करते होंगे | ||
जाने कहाँ-कहाँ की।</poem> | जाने कहाँ-कहाँ की।</poem> | ||
<poem>एक शायर ने लिखा है- | <poem>एक शायर ने लिखा है- | ||
'ताजमहल से पूछ के देखो | 'ताजमहल से पूछ के देखो | ||
कैसी थी | कैसी थी मुमताज़ महल | ||
शाहजहां का लहजा बनकर | शाहजहां का लहजा बनकर | ||
पत्थर-पत्थर बोलेगा'। | पत्थर-पत्थर बोलेगा'। | ||
पंक्ति 278: | पंक्ति 268: | ||
इसकी ख़ूबियाँ बताता होगा</poem> | इसकी ख़ूबियाँ बताता होगा</poem> | ||
(गुम्बद / चाँद का क़ायदा / लट्टू / सुराही / चाँद) | (गुम्बद / चाँद का क़ायदा / लट्टू / सुराही / चाँद) | ||
<poem>ख़ैर, | <poem>ख़ैर, | ||
अब देखिए ताज का ये गुम्बद | अब देखिए ताज का ये गुम्बद | ||
पंक्ति 341: | पंक्ति 330: | ||
नापजोख और पैमाइश की | नापजोख और पैमाइश की | ||
तमीज़ बड़ी थी।</poem> | तमीज़ बड़ी थी।</poem> | ||
(ताज की अलग-अलग शिल्पकारियाँ) | (ताज की अलग-अलग शिल्पकारियाँ) | ||
<poem> | <poem> | ||
पंक्ति 372: | पंक्ति 360: | ||
फूल की पंखुरियों से गोया | फूल की पंखुरियों से गोया | ||
हीरे का महल तराशा गया हो।</poem> | हीरे का महल तराशा गया हो।</poem> | ||
<poem>सदक़े इन फ़नकारों की | <poem>सदक़े इन फ़नकारों की | ||
उंगलियों के | उंगलियों के | ||
पंक्ति 392: | पंक्ति 379: | ||
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<noinclude>==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/></noinclude><noinclude>[[Category:ताजमहल पृष्ठ के साँचे]]</noinclude> |
11:37, 12 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
ताजमहल पर कविता
कैमरा लेकर ताजमहल जाइए, इस रचना के अनुसार फ़ोटो खींचिए, ट्रांस्पेरैंसीज़ बनवाइए, स्लाइड प्रोजैक्टर पर सबको दिखाइए, साथ में नाटकीय कौशल से कविता सुनाइए। ये सब न करें तो इतना कीजिए, कल्पना में आनंद लीजिए।[1]