"खंभात": अवतरणों में अंतर
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{{सूचना बक्सा ऐतिहासिक स्थान | |||
|चित्र=Jami-Masjid-Khambhat-Gujarat.jpg | |||
*खंभात 15वीं सदी के | |चित्र का नाम=जामा मस्जिद, खंभात, गुजरात | ||
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'''खंभात''' अथवा 'स्तंभतीर्थ' पश्चिम-मध्य [[भारत]] के [[गुजरात]] राज्य के पूर्व-मध्य में [[खंभात की खाड़ी]] के सिरे पर [[माही नदी]] के मुहाने पर स्थित है। | |||
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*[[जैन]] अनुश्रुति के अनुसार, इस स्थान का नामकरण स्तंभन [[पार्श्वनाथ तीर्थंकर|पार्श्वनाथ]] के नाम पर हुआ है। यहाँ [[रत्न]] निर्मित मूर्ति भी प्राप्त हुई है। | |||
*इस स्थान से हाल ही में पूर्व-सोलंकीकालीन (10वीं शती ई.) मंदिर के [[अवशेष]] उत्खनन द्वारा प्रकाश में लाए गए हैं, जिसका श्रेय '[[कलकत्ता विश्वविद्यालय]]' के निर्मल कुमार बोस तथा बल्लभ विद्यानगर के अमृत पांड्या को है। स्तंभतीर्थ का उल्लेख [[महाभारत]] में भी हुआ है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=252|url=}}</ref> | |||
*खंभात 15वीं [[सदी]] के उत्तरार्ध तक [[मुस्लिम]] शासन के अंतर्गत एक समृद्ध बंदरगाह था, किन्तु खाड़ी में गाद जमा हो जाने की वज़ह से इस बंदरगाह का महत्त्व समाप्त हो गया। | |||
*यह नगर खंभात रियासत की राजधानी था, जिसे [[1949]] में खैरा, कालान्तर में [[खेड़ा ज़िला|खेड़ा ज़िले]] में मिला दिया गया। | *यह नगर खंभात रियासत की राजधानी था, जिसे [[1949]] में खैरा, कालान्तर में [[खेड़ा ज़िला|खेड़ा ज़िले]] में मिला दिया गया। | ||
* | *[[कपास]], अनाज, [[तंबाकू]], वस्त्र, क़ालीन, [[नमक]] और पत्थर के अलंकरणों के लिये खंभात वाणिज्यिक और औद्योगिक केन्द्र है। | ||
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11:13, 1 जून 2017 के समय का अवतरण
खंभात
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विवरण | खंभात, पश्चिम-मध्य भारत के गुजरात राज्य के पूर्व-मध्य में खंभात की खाड़ी के सिरे पर माही नदी के मुहाने पर स्थित है। |
राज्य | गुजरात |
ज़िला | आणंद ज़िला |
भाषा | गुजराती, हिंदी |
अन्य जानकारी | जैन अनुश्रुति के अनुसार, इस स्थान का नामकरण स्तंभन-पार्श्वनाथ के नाम पर हुआ है। यहाँ रत्न निर्मित मूर्ति भी प्राप्त हुई है। |
खंभात अथवा 'स्तंभतीर्थ' पश्चिम-मध्य भारत के गुजरात राज्य के पूर्व-मध्य में खंभात की खाड़ी के सिरे पर माही नदी के मुहाने पर स्थित है।
मुख्य बिंदु
- जैन अनुश्रुति के अनुसार, इस स्थान का नामकरण स्तंभन पार्श्वनाथ के नाम पर हुआ है। यहाँ रत्न निर्मित मूर्ति भी प्राप्त हुई है।
- इस स्थान से हाल ही में पूर्व-सोलंकीकालीन (10वीं शती ई.) मंदिर के अवशेष उत्खनन द्वारा प्रकाश में लाए गए हैं, जिसका श्रेय 'कलकत्ता विश्वविद्यालय' के निर्मल कुमार बोस तथा बल्लभ विद्यानगर के अमृत पांड्या को है। स्तंभतीर्थ का उल्लेख महाभारत में भी हुआ है।[1]
- खंभात 15वीं सदी के उत्तरार्ध तक मुस्लिम शासन के अंतर्गत एक समृद्ध बंदरगाह था, किन्तु खाड़ी में गाद जमा हो जाने की वज़ह से इस बंदरगाह का महत्त्व समाप्त हो गया।
- यह नगर खंभात रियासत की राजधानी था, जिसे 1949 में खैरा, कालान्तर में खेड़ा ज़िले में मिला दिया गया।
- कपास, अनाज, तंबाकू, वस्त्र, क़ालीन, नमक और पत्थर के अलंकरणों के लिये खंभात वाणिज्यिक और औद्योगिक केन्द्र है।
- इस क्षेत्र में पेट्रोल की खोज हो चुकी है और सन 1970 से यहाँ पेट्रो-रसायन उद्योग का विकास हो रहा है।
- खंभात सड़क और रेलमार्ग द्वारा अन्य स्थानों से जुड़ा हुआ है।
- सन 2001 की जनगणना के अनुसार नगर की जनसंख्या 80,439 है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 252 |