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समाचार पत्र प्रकाशन स्थल भाषा
प्रमुख हिन्दी समाचार पत्र
दैनिक जागरण कानपुर, बनारस, पटना, लखनऊ, मेरठ, गोरखपुर हिन्दी
जनसत्ता कलकत्ता, दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ हिन्दी
नवभारत टाइम्स दिल्ली, मुंबई हिन्दी
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विश्वामित्र कलकत्ता, दिल्ली, मुंबई, पटना, कानपुर हिन्दी
वीर अर्जुन दिल्ली हिन्दी
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अमर उजाला आगरा, बरेली, मेरठ हिन्दी
अमृत प्रभात इलाहाबाद, लखनऊ हिन्दी
आज बनारस, पटना, गोरखपुर हिन्दी
राजस्थान पत्रिका जयपुर, बंगलौर हिन्दी
नई दुनिया जयपुर, इन्दौर हिन्दी
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प्रमुख अंग्रेज़ी समाचार पत्र
टाइम्स ऑफ इंडिया पटना, अहमदाबाद, लखनऊ, दिल्ली, मुंबई अंग्रेज़ी
हिन्दुस्तान टाइम्स दिल्ली, पटना अंग्रेज़ी
द हिन्दू चेन्नई, कोयम्बतूर, दिल्ली, हैदराबाद अंग्रेज़ी
इंडियन एक्सप्रेस दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, लखनऊ, मदुराई, विजयबाड़ा, अहमदाबाद अंग्रेज़ी
द हितवाद नागपुर अंग्रेज़ी
फाइनेंशियल एक्सप्रेस मुंबई अंग्रेज़ी
पायनियर दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, अंग्रेज़ी
इकोनॉमिक टाइम्स मुंबई अंग्रेज़ी
स्टेट्समैन नई दिल्ली, कलकत्ता अंग्रेज़ी
स्वतंत्र भारत लखनऊ अंग्रेज़ी
अमृत बाज़ार पत्रिका कलकत्ता अंग्रेज़ी
असम ट्रिब्यून गुवाहाटी अंग्रेज़ी
ट्रिब्यून अम्बाला, चंडीगढ़ अंग्रेज़ी
द टेलीग्राफ कलकत्ता अंग्रेज़ी
पैट्रियट दिल्ली अंग्रेज़ी
नॉदर्न इंडिया लखनऊ, इलाहाबाद अंग्रेज़ी
डक्कन क्रॉनिकल बंगलौर अंग्रेज़ी
हेरॉल्ड क्रॉनिकल बंगलौर अंग्रेज़ी
प्रमुख अन्य समाचार पत्र
ब्लिट्ज मुंबई मराठी
सामना मुंबई मराठी
हिन्दुस्तान स्टैण्डर्ड कलकत्ता बांग्ला
नूतन असमिया गुवाहाटी असमिया
अकाली पत्रिका जालन्धर पंजाबी
दिनामनि मदुराई, चितू रतमिल
मथरूभूमि कोजीकोड मलयालम
मातृभूमि, समाज, प्रजातंत्र कटक उड़िया
संवाद भुवनेश्वर
तेज दिल्ली उर्दू
दिनावन्दी मदुरै, चेन्नई, कोयम्बतूर तमिल
दिनामलर चेन्नई, मदुरै तमिल
मलयाला मनोरमा तिरुवनंतपुरम मलयालम

यूरोपीय लोगों के भारत में प्रवेश के साथ ही समाचारों एवं समाचार पत्रों के इतिहास की शुरुआत होती है। भारत में प्रिटिंग प्रेस लाने का श्रेय पुर्तग़ालियों को दिया जाता है। 1557 ई. में गोवा के कुछ पादरी लोगों ने भारत की पहली पुस्तक छापी। 1684 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भी भारत में प्रिटिंग प्रेस (मुद्रणालय) की स्थापना की। भारत में पहला समाचार पत्र कम्पनी के एक असंतुष्ट सेवक वोल्ट्स ने 1766 ई. में निकालने का प्रयास किया, पर वह असफल रहा। भारत में प्रथम समाचार-पत्र निकालने का श्रेय जेम्स आगस्टस हिक्की को मिला। उसने 1780 ई. में बंगाल के गजट (Bangal Guzette) का प्रकाशन किया, किन्तु कम्पनी सरकार की आलोचना के कारण उसका प्रेस जब्त कर लिया गया। इस दौरान कुछ अन्य अंग्रेज़ी अख़बारों का प्रकाशन हुआ-बंगाल में कलकत्ता कैरियर, एशियाटिक मिरर, ओरिंयटल स्टार, मद्रास में मद्रास कैरियर, मद्रास गजट, बम्बई में हेराल्ड, बांबे गजट आदि। 1818 ई. में ब्रिटिश व्यापारी जेम्स सिल्क बर्किघम ने 'कलकत्ता जनरल' का सम्पादन किया। बर्किघम ही वह पहला प्रकाशक था, जिसने प्रेस को जनता के प्रतिबिम्ब के स्वरूप में प्रस्तुत किया। प्रेस का आधुनिक रूप उसी की देन है।

हिक्की तथा बर्किघम का पत्रकारिता के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन दोनों ने तटस्थ पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन का उदाहरण प्रस्तुत कर पत्रकारों को पत्रकारिता की ओर आकर्षित किया। पहला भारतीय अंग्रेज़ी समाचार-पत्र 1816 ई. में गंगाधर भट्टाचार्य द्वारा बंगाल गजट नाम से निकाला गया। यह साप्ताहिक समाचार-पत्र था। 1818 ई. में मार्शमैन के नेतृत्व में बंगाली भाषा में दिग्दर्शन मासिक पत्र प्रकाशित हुआ। यह अल्पकालिक सिद्ध हुआ। इसी समय मार्शमैन के सम्पादन में एक साप्ताहिक समाचार-पत्र समाचार दर्पण प्रकाशित किया गया। 1821 ई. में बंगाली भाषा में साप्ताहिक समाचार पत्र संवाद कौमुदी का प्रकाशन हुआ। इस समाचार-पत्र का प्रबन्ध राजा राममोहन राय के हाथों में था। राजा राममोहन राय ने सामाजिक तथा धार्मिक विचारों के विरोधस्वरूप समाचार चन्द्रिका का मार्च, 1822 में प्रकाशन किया। इसके अतिरिक्त राय ने अप्रैल, 1822 में फ़ारसी भाषा में मिरातुल अख़बार एवं अंग्रेज़ी भाषा में ब्राह्मनिकल मैंगज़ीन का प्रकाशन किया।

समाचार-पत्र पर लगने वाले प्रतिबन्ध के अन्तर्गत 1799 ई. में वेलेजली द्वारा पत्रों का पत्रेक्षण अधिनियम (The Censorship of the Press Act) और जॉन एडम्स द्वारा 1823 ई. में अनुज्ञप्ति नियम लागू किये गये। एडम्स द्वारा समाचार पत्रों पर लगे प्रतिबन्ध के कारण राजा राममोहन राय का मिरातुल अख़बार बन्द हो गया। 1830 ई. में राजा राममोहन राय द्वारा, द्वारकनाथ टैगोर एवं प्रसन्न कुमार टैगोर के प्रयासों से बंगाली भाषा में बंगदूत का प्रकाशन आरम्भ हुआ। बम्बई से 1831 ई. में गुजराती भाषा में जामे जमशेद तथा 1851 ई. में रास्त गौफ़्तार एवं अख़बारे सौदागर का प्रकाशन हुआ।

लॉर्ड विलियम बैटिंक प्रथम गवर्नर जनरल था, जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति उदारवादी दृष्टिकाण अपनाया। कार्यवाहक गवर्नर जनरल चार्ल्स मेटकाफ ने 1823 ई. के प्रतिबन्ध को हटाकर समाचार-पत्रों को मुक्ति दिलायी। इसे भारतीय समाचार-पत्रों का मुक्तिदाता भी कहा जाता है। मैकाले ने भी प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन किया। 1857-58 के विद्रोह के बाद भारत में समाचार पत्रों को भाषाई आधार के बजाय प्रजातीय आधार पर विभाजित किया गया। अंग्रेज़ी समाचार-पत्रों एवं भारतीय समाचार-पत्रों के दृष्टिकोण में अन्तर होता था। जहाँ अंग्रेज़ी समाचार-पत्रों को भारतीय समाचार-पत्रों की अपेक्षा ढेर सारी सुविधायें उपलब्ध थीं, वहीं भारतीय समाचार-पत्रों पर प्रतिबन्ध लगा था।

टीका टिप्पणी और संदर्भ