|
|
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 10 अवतरण नहीं दर्शाए गए) |
पंक्ति 1: |
पंक्ति 1: |
| भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए वर्ष [[2010]] के लिए प्रतिष्ठित [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]] वरिष्ठ फ़िल्मकार के. बालाचंदर को दिया जायेगा। पुरस्कार स्वरूप उन्हें स्वर्ण कमल और दस लाख रूपये नकद प्रदान किए जायेंगे। दक्षिण भारत के इस फ़िल्मकार ने [[हिन्दी]] फ़िल्म 'एक दूजे के लिए' से उत्तर भारत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। [[राष्ट्रपति]] [[प्रतिभा पाटिल]] उन्हें इसी वर्ष पुरस्कार प्रदान करेंगी।
| | #REDIRECT [[के. बालाचंदर]] |
| ==प्रारम्भिक जीवन==
| |
| [[9 जुलाई]] [[1930]] को [[तमिलनाडु]] के तंजावुर में जन्मे के. बालाचंदर ने 'अन्नामलाई विश्वविद्यालय' से [[1949]] में बी.एस.सी. किया। इसके बाद वह नौकरी करने लगे थे, किंतु नाटककार के रूप में उन्होंने 'मेजर चंद्रकांत', 'नीरकुमिझी', 'सरवर सुंदरम्' और 'नवग्रहम्' जैसे नाटक दिए। बाद में वह अभिनय में भी उतर आए। एम.जी. रामचंद्रन ने उनसे अपनी फ़िल्म के लिए संवाद भी लिखवाए। पिता-पुत्र संबंध पर आधारित उनकी फ़िल्म 'अपूर्व रागनगल' और तलाकशुदा जीवन पर बनी 'अवरगल' को पर्याप्त प्रसिद्धि मिली। <ref>{{cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/8135222.cms|title=फ़िल्म कला के ऑलराउंडर हैं के. बालाचंदर|accessmonthday= |accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref>
| |
| ==विभिन्न भाषाओं में कार्य==
| |
| {{tocright}}
| |
| पिछले 45 साल से अधिक समय से के. बालचंदर फ़िल्म निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखक के तौर पर सक्रिय हैं। उन्होंने कन्नड़, तमिल, तेलुगु और हिन्दी में 100 से अधिक फ़िल्मों का निर्माण किया है। उन्हें अलग तरह की फ़िल्म निर्माण तरीके के लिए जाना जाता है।
| |
| ==फ़िल्म निर्माण की शैली==
| |
| बालाचंदर फ़िल्म निर्माण की अपनी अनोखी शैली के कारण जाने जाते हैं। उनके लेखन और निर्माण में असामान्य और जटिल व्यक्तिगत सम्बंधों और सामाजिक सम्बंधों का विश्लेषण होता है। बालचंदर में नवीन प्रतिभाओं को पहचानने की अद्भुत क्षमता है। बालाचंदर को रजनीकांत, कमल हासन, प्रकाशराज और विवेक जैसे वर्तमान दौर के कई सितारों को फ़िल्मी दुनिया में लाने का श्रेय है।
| |
| ==फ़िल्म उद्योग में प्रवेश==
| |
| वे 1965 में फ़िल्म उद्योग में आए और नागेश अभिनीत अपनी पहली ही फ़िल्म 'नीरकुमिझीझ' से ख्याति अर्जित कर ली। उसके बाद से उन्होंने कई फ़िल्मों का निर्माण और निर्देशन किया, जिन्होंने कई राष्ट्रीय पुरस्कार और राज्य सरकारों तथा अन्य संगठनों के पुरस्कार जीते।
| |
| | |
| उनकी उल्लेखनीय फ़िल्मों में 'अपूर्वा रागागल', 'अवर्गल', '47 नटकल', 'सिंधु भैरवी', 'एक दूजे के लिए' (हिंदी), तेलुगू में 'रुद्रवीणा' तथा कन्नड में 'अरालिदाहवू' शामिल हैं।
| |
| ==निर्माता==
| |
| जिस फ़िल्म 'रोजा' के लिए मणिरत्नम को 'नरगिस दत्त पुरस्कार' मिला, वह के. बालाचंदर ने ही निर्मित की थी। फ़िल्म की कहानी, तकनीक, संवाद, निर्देशन और निर्माण को लेकर बालाचंदर की नज़र हमेशा एक खोजी की रही है। वह दर्शक को ध्यान में रखने के साथ ही अपने नज़रिए को भी कभी पीछे नहीं होने देते। यही वजह है कि अनेक विभागों में उन्हें कई बार 'नेशनल फ़िल्म अवार्ड' मिला। इनमें सर्वश्रेष्ठ फीचर फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ स्क्रीन प्ले, सामाजिक विषयों पर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म और राष्ट्रीय सद्भाव पर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में शामिल हैं।
| |
| | |
| ==छोटे पर्दे पर==
| |
| पिछले कुछ वर्षों से बालांचदर ने छोटे पर्दे की ओर भी रुख किया है। इसमें भी वे उसी पूर्णता और गहराई को लेकर आए हैं, जिसका प्रदर्शन उन्होंने बड़े पर्दे पर किया है। उनके बनाए धारावाहिकों में अलवु, मनसु, राइल स्नेहम, प्रेमी, जन्नल अन्नि आदि को दर्शकों ने खूब सराहा है। उनकी मान्यता है कि छोटा परदा ज्यादा लोगों तक पहुंचने में मदद करता है। अच्छी बात यह है कि बालाचंदर यह गंभीरतापूर्वक स्वीकार करते हैं कि थिएटर, फ़िल्म और टेलीविजन हमेशा साथ-साथ चलते रहेंगे। इनमें से कोई किसी दूसरे को खत्म नहीं करेगा। राजम से विवाहित बालाचंदर के दो बेटे ओर एक बेटी हैं। उनका प्रॉडक्शन हाउस 'कवितालय' देश के सम्मानित हाउसों में गिना जाता है।<ref>{{cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/8135222.cms|title=फ़िल्म कला के ऑलराउंडर हैं के. बालाचंदर|accessmonthday= |accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref>
| |
| | |
| | |
| ==पुरस्कार==
| |
| तमिलनाडु सरकार ने 1973 में बालाचंदर को 'कलाइमामनि' की उपाधि दी थी। सन 1987 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। सन 1992 में वह तमिलनाडु सरकार की ओर से 'अन्ना अवॉर्ड' से नवाजे गए। बेस्ट फीचर फ़िल्म के लिए उन्हें 'गोल्डन नंदी अवॉर्ड' तो मिला ही, कई बार 'सिल्वर नंदी अवॉर्ड' भी वह पा चुके हैं। फ़िल्म जगत में उनकी ख्याति 'बेस्ट फ़िल्म टेकनीशियन' के रूप में भी है। 'फ़िल्म फैन्स एसोसिएशन' ने उन्हें 29 बार विभिन्न वर्गों में सम्मानित किया है। सन 1995 में फ़िल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट, ए.एन.आर. नेशनल अवॉर्ड और एमजीआर अवॉर्ड पा चुके बालाचंदर को कई विश्वविद्यालयों की ओर से मानद डॉक्टरेट भी प्रदान की जा चुकी है।
| |
| | |
| {{प्रचार}}
| |
| {{लेख प्रगति
| |
| |आधार=आधार1
| |
| |प्रारम्भिक=
| |
| |माध्यमिक=
| |
| |पूर्णता=
| |
| |शोध=
| |
| }}
| |
| {{संदर्भ ग्रंथ}}
| |
| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
| |
| <references/>
| |
| ==बाहरी कड़ियाँ==
| |
| | |
| * [http://josh18.in.com/hindi/news-movies/1026582/0 बालाचंदर को दादा साहब फाल्के पुरस्कार]
| |
| * [http://livehindustan.com/news/desh/national/article1-Phalke-award-39-39-168783.html फ़िल्मकार बालाचंदर को दादा साहब फाल्के पुरस्कार]
| |
| * [http://www.chennaibest.com/discoverchennai/personalities/movie3.asp के. बालाचंदर]
| |
| * [http://www.jagranjosh.com/current-affairs/%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7-2010-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%AC-%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8-1304419907-2 के. बालाचंदर]
| |
| [[Category:नया पन्ना]]
| |
| | |
| | |
| [[Category:राष्ट्रीय_सम्मान_एवं_पुरस्कार]]
| |
| [[Category:सिनेमा_कोश]]
| |
| [[Category:दादा साहब फाल्के पुरस्कार]]
| |
| __INDEX__
| |