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{ | {निम्नलिखित में से किसे ब्रह्महत्या का पाप लगा था? | ||
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-[[लक्ष्मण]] | |||
+[[राम]] | |||
-[[हनुमान]] | |||
-[[सुग्रीव]] | -[[सुग्रीव]] | ||
||[[चित्र:Lord-Rama.jpg|right|100px|श्रीराम]][[हिन्दू धर्म]] में [[राम]] स्वयं भगवान [[विष्णु]] के दस [[अवतार|अवतारों]] में से एक हैं। राम का जीवन काल एवं पराक्रम, [[वाल्मीकि|महर्षि वाल्मीकि]] द्वारा रचित [[संस्कृत]] [[महाकाव्य]] [[रामायण]] के रूप में लिखा गया है। उनके ऊपर [[तुलसीदास]] ने भक्ति काव्य '[[रामचरितमानस]]' रचा था। ख़ास तौर पर [[उत्तर भारत]] में राम बहुत अधिक पूज्यनीय माने जाते हैं। अनेक विद्वानों ने उन्हें 'मर्यादापुरुषोत्तम' की संज्ञा दी है। '[[वाल्मीकि रामायण]]' तथा पुराणादि ग्रंथों के अनुसार वे आज से कई लाख वर्ष पहले '[[त्रेता युग]]' में हुए थे। पाश्चात्य विद्वान् उनका समय ईसा से कुछ ही हज़ार वर्ष पूर्व मानते हैं। राम भारतीय जीवन दर्शन और [[भारतीय संस्कृति]] के सच्चे प्रतीक थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[राम]] | |||
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{[[लक्ष्मण]] | {[[श्रीराम]] को [[लक्ष्मण]] के प्राण बचाने के लिए संजीवनी बूटी का रहस्य किस वैद्य ने बताया? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -[[अक्रूर]] | ||
-[[ | -[[विभीषण]] | ||
-[[चरक]] | |||
+[[सुषेण वैद्य|सुषेण]] | |||
||सुषेण वैद्य का उल्लेख [[रामायण]] में हुआ है। रामायणानुसार [[सुषेण वैद्य|सुषेण]] [[लंका]] के राजा राक्षसराज [[रावण]] का राजवैद्य था। जब रावण के पुत्र [[मेघनाद]] के साथ हुए भीषण युद्ध में [[लक्ष्मण]] घायल होकर मूर्छित हो गये, तब सुषेण ने ही लक्ष्मण की चिकित्सा की थी। उसके यह कहने पर कि मात्र संजीवनी बूटी के प्रयोग से ही लक्ष्मण के प्राण बचाये जा सकते हैं, [[राम]] [[भक्त]] [[हनुमान]] ने वह बूटी लाकर दी और लक्ष्मण के प्राण बचाये जा सके।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[सुषेण वैद्य]] | |||
{[[अहल्या]] के पति का नाम था | {[[अहल्या]] के पति का नाम था- | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[महर्षि गौतम|गौतम]] | +[[महर्षि गौतम|गौतम]] | ||
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-[[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] | -[[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] | ||
-[[वसिष्ठ]] | -[[वसिष्ठ]] | ||
||[[न्याय दर्शन]] के कर्ता महर्षि गौतम परम तपस्वी एवं संयमी थे। महाराज वृद्धाश्व की पुत्री [[अहिल्या]] इनकी पत्नी थी, जो महर्षि के शाप से पाषाण बन गयी थी। [[त्रेता युग]] में भगवान | ||[[न्याय दर्शन]] के कर्ता महर्षि [[गौतम]] परम तपस्वी एवं संयमी थे। महाराज वृद्धाश्व की पुत्री [[अहिल्या]] इनकी पत्नी थी, जो महर्षि के शाप से पाषाण बन गयी थी। [[त्रेता युग]] में भगवान [[विष्णु]] के [[अवतार]] [[राम]] ने [[पृथ्वी]] पर जन्म लिया, जिनके चरण-स्पर्श से ही अहल्या शाप के प्रभाव से मुक्त हो गई। उसने पुन: शिला से [[ऋषि]] गौतम की पत्नी का पद प्राप्त किया। महर्षि गौतम [[बाण अस्त्र|बाण]] विद्या में अत्यन्त निपुण थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[महर्षि गौतम|गौतम]] | ||
-[[ | |||
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{[[हनुमान]] के पुत्र का क्या नाम है? | {[[राम]] भक्त [[हनुमान]] के पुत्र का क्या नाम है? | ||
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-[[अंगद]] | -[[अंगद]] | ||
+मकरध्वज | +[[मकरध्वज]] | ||
-[[घटोत्कच]] | -[[घटोत्कच]] | ||
-[[सुग्रीव]] | -[[सुग्रीव]] | ||
{[[लक्ष्मण]] को नागपाश से मुक्त | {[[लक्ष्मण]] को नागपाश से मुक्त किसने किया था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[जटायु]] | -[[जटायु]] | ||
- | -[[सम्पाती]] | ||
-[[जामवन्त]] | -[[जामवन्त]] | ||
+[[गरुड़]] | +[[गरुड़]] | ||
||[[हिन्दू धर्म]] के अनुसार | ||[[चित्र:Garuda.jpg|right|120px|पक्षियों के राजा गरुड़]][[गरुड़]] [[हिन्दू धर्म]] के अनुसार पक्षियों के राजा और भगवान [[विष्णु]] के वाहन हैं। ये [[कश्यप|कश्यप ऋषि]] और विनता के पुत्र तथा [[अरुण देवता|अरुण]] के भ्राता हैं। [[लंका]] के राजा [[रावण]] के पुत्र [[इन्द्रजित]] ने जब युद्ध में [[राम]] और [[लक्ष्मण]] को 'नागपाश' से बाँध लिया था, तब गरुड़ ने ही उन्हें इस बंधन से मुक्त किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[गरुड़]] | ||
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14:53, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
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