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| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
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| {[[भक्तिकाल]] की रामाश्रयी शाखा के निम्नलिखित में से कौन-से कवि हैं?
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| -[[सूरदास]]
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| -[[मीराबाई]]
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| -[[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]]
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| +[[तुलसीदास]]
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| || [[चित्र:Tulsidas.jpg|right|70px|गोस्वामी तुलसीदास]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532?) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
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| {[[भक्तिकाल]] में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए [[उर्दू भाषा|उर्दू]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है?
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| |type="()"}
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| -[[तुलसीदास]]
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| -[[जायसी]]
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| -[[सूरदास]]
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| +[[कबीर]]
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| ||महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ [[हिन्दू धर्म]] के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]]
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| {[[हिन्दी]] के प्रथम गद्यकार हैं-
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| -राजा शिवप्रसाद 'सितारेहिन्द'
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| +लल्लूलाल
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| -बालकृष्ण भट्ट
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| -[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]]
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| {'राग दरबारी' उपन्यास के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -राही मासूम राजा
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| +श्रीलाल शुक्ल
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| -हरिशंकर परसाई
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| -शरद जोशी
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| {'पूस की रात' कहानी के रचनाकार हैं-
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| +[[प्रेमचन्द]]
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| -[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]
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| -[[शिवपूजन सहाय]]
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| -[[जयशंकर प्रसाद]]
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| || [[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा।<br />प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
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| {'पंच परमेश्वर' के लेखक हैं-
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| -[[रामधारी सिंह 'दिनकर']]
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| +[[प्रेमचन्द]]
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| -[[मैथिलीशरण गुप्त]]
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| -[[सुमित्रानंदन पंत]]
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| || [[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
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| {'तोड़ती पत्थर' (कविता) के कवि हैं-
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| -सुभद्रा कुमारी चौहान
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| -[[महादेवी वर्मा]]
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| +[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']]
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| -[[माखन लाल चतुर्वेदी]]
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| || [[चित्र:Suryakant Tripathi Nirala.jpg|सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|100px|right]] [[हिन्दी]] के छायावादी कवियों में 'सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला' कई दृष्टियों से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। वे एक कवि, [[उपन्यासकार]], निबन्धकार और कहानीकार थे। उन्होंने कई रेखाचित्र भी बनाये। उनका व्यक्तित्व अतिशय विद्रोही और क्रान्तिकारी तत्त्वों से निर्मित हुआ है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]]
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| {'हार की जीत' (कहानी) के कहानीकार हैं-
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| +सुदर्शन
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| -यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'
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| -कमलेश्वर
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| -रांगेय राघव
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| {'रानी केतकी की कहानी' के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -वृन्दावन लाल वर्मा
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| -किशोरी लाल गोस्वामी
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| +[[इंशा अल्ला ख़ाँ]]
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| -माधव राव सप्रे
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| {'शिव शंभु के चिट्ठे' से संबंधित रचनाकार हैं-
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| |type="()"}
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| -बाबू तोता राम
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| -केशव राम भट्ट
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| +बाल मुकुन्द गुप्त
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| -अम्बिका दत्त व्यास
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| {'रसिक प्रिया' के रचयिता हैं- | | {'रसिक प्रिया' के रचयिता हैं- |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +[[केशवदास]] | | +[[केशवदास]] |
| -मलूक दास | | -[[मलूकदास]] |
| -[[दादू दयाल]] | | -[[दादू दयाल]] |
| -[[बिहारी लाल]] | | -[[बिहारी लाल]] |
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| |type="()"} | | |type="()"} |
| -शांति प्रिय द्विवेदी | | -शांति प्रिय द्विवेदी |
| +[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] | | +[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] |
| -विद्या निवास मिश्र | | -[[विद्यानिवास मिश्र]] |
| -कुबेरनाथ राय | | -कुबेरनाथ राय |
| || [[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी|100px|right]] डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थानीय साहित्यकारों में से हैं। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यास लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] | | || [[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी|100px|right]] डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थानीय साहित्यकारों में से हैं। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यास लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] |
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| {मसि कागद छुयो नहीं कलम गही नहिं हाथ॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं? | | {मसि कागद छुयो नहीं कलम गही नहिं हाथ॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं? |
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| -[[रैदास]] | | -[[रैदास]] |
| +[[कबीरदास]] | | +[[कबीरदास]] |
| -सुन्दर दास | | -[[सुंदरदास|सुन्दर दास]] |
| | ||[[चित्र:Sant-Kabirdas.jpg|70px|right]] महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ़ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ़ [[हिन्दू धर्म]] के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]] |
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| {'चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग'। इस पंक्ति के रचयिता हैं- | | {'चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग'। इस पंक्ति के रचयिता हैं- |
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| -[[बिहारीलाल]] | | -[[बिहारीलाल]] |
| -[[कबीर]] | | -[[कबीर]] |
| || [[चित्र:Tulsidas.jpg|100px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] | | || [[चित्र:Tulsidas.jpg|100px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान् कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान [[बाँदा ज़िला]]) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] |
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