"तोरु दत्त": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
(5 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 14 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
तोरु दत्त (जन्म- [[4 मार्च]], 1856 [[बंगाल]],मृत्यु- [[5 जुलाई]], [[1877]]) [[अंग्रेज़ी भाषा]] की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभान्वित कवयित्री थी।
|चित्र=Toru-dutt.jpg
|चित्र का नाम=तोरु दत्त
|पूरा नाम=तोरु दत्त
|अन्य नाम=तरु दत्त
|जन्म= [[4 मार्च]], 1856
|जन्म भूमि=[[अखण्डित बंगाल|बंगाल]]
|मृत्यु=[[5 जुलाई]], [[1877]]
|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=[[पिता]]- गोविंद चंद्र दत्त
|पालक माता-पिता=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म-क्षेत्र=
|मुख्य रचनाएँ=
|विषय=
|भाषा=
|विद्यालय=
|शिक्षा=
|पुरस्कार-उपाधि=
|प्रसिद्धि=[[अंग्रेज़ी भाषा]] की श्रेष्ठ प्रतिभावान कवयित्री
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=यदि 21 वर्ष की अल्प आयु में तोरु का देहांत न होता तो वह अवश्य ही पूर्व और पश्चिम की संस्कृति के बीच साहित्यिक-सेतु का काम करती।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''तोरु दत्त अथवा तरु दत्त''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Toru Dutt'', जन्म- [[4 मार्च]], 1856 [[अखण्डित बंगाल|बंगाल]], मृत्यु- [[5 जुलाई]], [[1877]]) [[अंग्रेज़ी भाषा]] की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभान्वित कवयित्री थी।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
तोरु दत्त का जन्म 4 मार्च 1856 को बंगाल में एक [[हिन्दू]] परिवार में हुआ था। तोरु दत्त जब केवल 6 वर्ष की थी, इनके परिवार ने [[ईसाई धर्म]] स्वीकार कर लिया। कुछ का मत है कि तोरु के जन्म से पूर्व ही उनका परिवार ईसाई बन चुका था। इनके पिता गोविंद चंद्र दत्त इन्हें [[संस्कृत]] और प्राचीन भारतीय [[संस्कृति]] की शिक्षा दिलाने ने बड़ी रुचि लेते थे।  
तोरु दत्त का जन्म 4 मार्च, 1856 को [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] में एक [[हिन्दू]] [[परिवार]] में हुआ था। तोरु दत्त जब केवल 6 वर्ष की थी, इनके परिवार ने [[ईसाई धर्म]] स्वीकार कर लिया। कुछ का मत है कि तोरु के जन्म से पूर्व ही उनका परिवार [[ईसाई]] बन चुका था। इनके पिता गोविंद चंद्र दत्त इन्हें [[संस्कृत]] और प्राचीन [[भारतीय संस्कृति]] की शिक्षा दिलाने में बड़ी रुचि लेते थे।
==विदेश यात्रा==
==विदेश यात्रा==
[[1868]] ई. में तोरु के परिवार ने यूरोप की यात्रा की। [[फ्रांस]] में तोरुको फ्रेंच भाषा सीखने का अवसर मिला। तोरु ने कैम्ब्रिज में अंग्रेज़ी का अध्ययन किया। तोरु दत्त विदेश में ही वह अंग्रेज़ी में कविताएँ लिखने लगी थीं। [[1873]] में तोरु का परिवार [[कोलकाता]] वापस आ गया।  
[[1868]] ई. में तोरु के [[परिवार]] ने यूरोप की यात्रा की। [[फ्रांस]] में तोरु को फ्रेंच भाषा सीखने का अवसर मिला। तोरु ने कैम्ब्रिज में अंग्रेज़ी का अध्ययन किया। तोरु दत्त विदेश में ही वह अंग्रेज़ी में कविताएँ लिखने लगी थीं। [[1873]] में तोरु का परिवार [[कोलकाता]] वापस आ गया।  
==ख्याति ==
==ख्याति ==
तोरु दत्त की ख्याति [[भारत]] की अंग्रेज़ी भाषा की श्रेष्ठ प्रतिभावान कवयित्री के रूप में है। इन्होंने साहित्य को अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य बनाया। ये संस्कृत साहित्य के आधार पर [[सीता]], [[सावित्री]], [[लक्ष्मण]], [[ध्रुव]], [[प्रह्लाद]] आदि की कथाओं को अपनी प्रतिभा का पुट देकर अंग्रेज़ी काव्य में व्यक्त करने लगीं।  
तोरु दत्त की ख्याति [[भारत]] की [[अंग्रेज़ी भाषा]] की श्रेष्ठ प्रतिभावान कवयित्री के रूप में है। इन्होंने साहित्य को अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य बनाया। ये [[संस्कृत साहित्य]] के आधार पर [[सीता]], [[सावित्री]], [[लक्ष्मण]], [[ध्रुव]], [[प्रह्लाद]] आदि की कथाओं को अपनी प्रतिभा का पुट देकर अंग्रेज़ी काव्य में व्यक्त करने लगीं।  
==मृत्यु==
==मृत्यु==
तोरु दत्त की मृत्यु 5 जुलाई, 1877 में हुई थी। अगर 21 वर्ष की अल्प आयु में तोरु का देहांत न हो जाता तो वह अवश्य ही पूर्व और पश्चिम की संस्कृति के बीच साहित्यिक-सेतु का काम करती।<ref>{{cite book | last =लीलाधर | first =शर्मा  | title =भारतीय चरित कोश  | edition = | publisher =शिक्षा भारती | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय  | language =[[हिन्दी]]  | pages =352| chapter = }}</ref>
तोरु दत्त की मृत्यु [[5 जुलाई]], [[1877]] में हुई थी। यदि 21 वर्ष की अल्प आयु में तोरु का देहांत न होता तो वह अवश्य ही पूर्व और पश्चिम की संस्कृति के बीच साहित्यिक-सेतु का काम करती।


 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
{{cite book | last =लीलाधर | first =शर्मा  | title =भारतीय चरित कोश  | edition = | publisher =शिक्षा भारती | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय  | language =[[हिन्दी]]  | pages =352| chapter = }}
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
[[Category:नया पन्ना]]
*[http://girijeshrao.blogspot.in/2012/06/blog-post_16.html तोरू और अविनाश के साथ - वनसरू की छाँव में]
==संबंधित लेख==
{{भारत के कवि}}
[[Category:कवि]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:अंग्रेज़ी साहित्यकार]][[Category:साहित्यकार]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

05:36, 5 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

तोरु दत्त
तोरु दत्त
तोरु दत्त
पूरा नाम तोरु दत्त
अन्य नाम तरु दत्त
जन्म 4 मार्च, 1856
जन्म भूमि बंगाल
मृत्यु 5 जुलाई, 1877
अभिभावक पिता- गोविंद चंद्र दत्त
कर्म भूमि भारत
प्रसिद्धि अंग्रेज़ी भाषा की श्रेष्ठ प्रतिभावान कवयित्री
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी यदि 21 वर्ष की अल्प आयु में तोरु का देहांत न होता तो वह अवश्य ही पूर्व और पश्चिम की संस्कृति के बीच साहित्यिक-सेतु का काम करती।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

तोरु दत्त अथवा तरु दत्त (अंग्रेज़ी: Toru Dutt, जन्म- 4 मार्च, 1856 बंगाल, मृत्यु- 5 जुलाई, 1877) अंग्रेज़ी भाषा की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभान्वित कवयित्री थी।

जीवन परिचय

तोरु दत्त का जन्म 4 मार्च, 1856 को बंगाल में एक हिन्दू परिवार में हुआ था। तोरु दत्त जब केवल 6 वर्ष की थी, इनके परिवार ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया। कुछ का मत है कि तोरु के जन्म से पूर्व ही उनका परिवार ईसाई बन चुका था। इनके पिता गोविंद चंद्र दत्त इन्हें संस्कृत और प्राचीन भारतीय संस्कृति की शिक्षा दिलाने में बड़ी रुचि लेते थे।

विदेश यात्रा

1868 ई. में तोरु के परिवार ने यूरोप की यात्रा की। फ्रांस में तोरु को फ्रेंच भाषा सीखने का अवसर मिला। तोरु ने कैम्ब्रिज में अंग्रेज़ी का अध्ययन किया। तोरु दत्त विदेश में ही वह अंग्रेज़ी में कविताएँ लिखने लगी थीं। 1873 में तोरु का परिवार कोलकाता वापस आ गया।

ख्याति

तोरु दत्त की ख्याति भारत की अंग्रेज़ी भाषा की श्रेष्ठ प्रतिभावान कवयित्री के रूप में है। इन्होंने साहित्य को अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य बनाया। ये संस्कृत साहित्य के आधार पर सीता, सावित्री, लक्ष्मण, ध्रुव, प्रह्लाद आदि की कथाओं को अपनी प्रतिभा का पुट देकर अंग्रेज़ी काव्य में व्यक्त करने लगीं।

मृत्यु

तोरु दत्त की मृत्यु 5 जुलाई, 1877 में हुई थी। यदि 21 वर्ष की अल्प आयु में तोरु का देहांत न होता तो वह अवश्य ही पूर्व और पश्चिम की संस्कृति के बीच साहित्यिक-सेतु का काम करती।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 352।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख