"सदस्य:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास6": अवतरणों में अंतर

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==कला और संस्कृति==


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<quiz display=simple>
{राग'मियाँ की मल्हार' का रचयिता किसे माना जाता है?
|type="()"}
+[[तानसेन]]
-[[बैजू बावरा]]
-[[अमीर ख़ुसरो]]
-[[स्वामी हरिदास]]
||[[चित्र:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|अकबर तानसेन-हरिदास|100px|right]]हर युग एक महान गायक हुआ करता है। तानसेन सिर्फ एक महान गायक ही नहीं बल्कि एक महान संगीतशास्त्री एवं रागों के रचयिता भी थे। जाति एवं रागों की प्राचीन मान्यताओं को तोड़ कर नये प्रयोगों की परंपरा को प्रारम्भ करने में वे अग्रणी थे। भारतीय संगीत में स्वरलिपि की कोई पद्धति नहीं होने के कारण प्राचीन गायकों की स्वररचना को जानने का कोई साधन नहीं है। संगीत के क्षेत्र में आज भी तानसेन का प्रभाव जीवित है। उसका कारण है ‘‘मियाँ की मल्हार’’ ‘‘दरबारी कानडा’’ और ‘‘मियाँ की तोड़ी’’ जैसी मौलिक स्वर रचनाओं का सदाबहार आकर्षण। उस समय के लोकप्रिय राग ध्रुपद की समृद्धता का कारण भी तानसेन की प्रतिभा ही थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तानसेन]]
{किस शास्त्रीय नृत्य में मुखौटे का प्रयोग किया जाता है।
|type="()"}
-[[कत्थक]]
+[[कथकली]]
-[[ओडिसी]]
-[[भरतनाट्यम]]
||[[चित्र:Kathakali-Dance.jpg|कथकली नृत्य, केरल|100px|right]][[केरल]] के दक्षिण - पश्चिमी राज्‍य का एक समृद्ध और फलने फूलने वाला [[शास्त्रीय नृत्य]] कथकली यहाँ की परम्‍परा है। कथकली का अर्थ है एक कथा का नाटक या एक नृत्‍य नाटिका। कथा का अर्थ है कहानी, यहाँ अभिनेता [[रामायण]] और [[महाभारत]] के महाग्रंथों और [[पुराण|पुराणों]] से लिए गए चरित्रों को अभिनय करते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कथकली]]
{'चौक पूरना' [[भारत]] के किस क्षेत्र की लोक कला है?
|type="()"}
+[[उत्तर प्रदेश]]
-[[मध्य प्रदेश]]
-[[छत्तीसगढ़]]
-[[बिहार]]
||[[चित्र:Tajmahal-1.jpg|ताजमहल, आगरा|100px|right]]उत्तर प्रदेश के कला संग्रहालयों में [[लखनऊ]] स्थित राज्य संग्रहालय, मथुरा स्थित पुरातात्विक संग्रहालय, बौद्ध पुरातात्विक संग्रहालय, सारनाथ संग्रहालय प्रमुख हैं। लखनऊ स्थित [[कला]] एवं हिन्दुस्तानी संगीत के महाविद्यालय और इलाहाबाद स्थित प्रयाग संगीत समिति ने देश में कला व शास्त्रीय संगीत के विकास में बहुत योगदान दिया है। नागरी प्रचारिणी सभा, हिन्दी साहित्य सम्मेलन और हिन्दुस्तानी अकादमी [[हिन्दी साहित्य]] के विकास में सहायक रही हैं। हाल ही में उर्दू साहित्य के संरक्षण व समृद्धि के लिए राज्य सरकार ने उर्दू अकादमी की स्थापना की है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उत्तर प्रदेश]]
{[[जाकिर हुसैन]] को निम्नलिखित में से किस वाद्ययंत्र को बजाने में  विशिष्टता प्राप्त है?
|type="()"}
-[[सितार]]
-[[बांसुरी]]
+[[तबला]]
-संतूर
{[[संगीत]] यंत्र [[तबला]] का प्रचलन किसने किया-
|type="()"}
-[[आदिलशाह]] ने
-[[तानसेन]]
-[[बैजू बावरा]] ने
+[[अमीर ख़ुसरो]]
||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|अमीर ख़ुसरो और ह्ज़रत निज़ामुद्दीन औलिया|100px|right]]कहा जाता है कि तबला हजारों साल पुराना वाद्ययंत्र है किन्तु नवीनतम ऐतिहासिक वर्णन में बताया जाता है कि 13वीं शताब्दी में भारतीय कवि तथा संगीतज्ञ [[अमीर ख़ुसरो]] ने पखावज के दो टुकड़े करके तबले का आविष्कार किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमीर ख़ुसरो]]
{'लोसांग' उत्सव मनाया जाता है-
|type="()"}
-[[तिब्बत]] में
-[[अरुणाचल प्रदेश]] में
+[[सिक्किम]] में
-[[केरल]] में
||[[चित्र:Phodong-Monastery-Sikkim.jpg|फोडोंग मठ, सिक्किम|100px|right]]सिक्किम के नागरिक [[भारत]] के सभी प्रमुख हिन्दू त्योहार [[दीपावली]] और [[दशहरा]] मनाते हैं । [[बौद्ध धर्म]] के ल्होसार, लूसोंग, सागा दावा, ल्हाबाब ड्युचेन, ड्रुपका टेशी और भूमचू वे त्योहार हैं जो मनाये जाते हैं । सिक्किम राज्य में मुख्य रूप से भोटिया, [[लेप्चा]] और नेपाली समुदायों के लोग हैं। माघे संक्रांति, दुर्गापूजा, लक्ष्मीपूजा और चैत्र दसाई/राम नवमी, दसई त्योहार, सोनम लोसूंग, नामसूंग, तेन्दोग हलो रूम फाट (तेन्दोंग पर्वत की पूजा), लोसर, [[तिब्बत|तिब्बती]] नव वर्ष, जो मध्य [[दिसंबर]] में आता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिक्किम]]
{दुर्गापूजा त्योहार मनाया जाता है-
|type="()"}
-[[चैत्र]] मास में
-[[श्रावण]] मास में
+[[आश्विन]] मास
-[[कार्तिक]] मास में
{[[आदिशंकर]] जो बाद में [[शंकराचार्य]] बने, उनका जन्म हुआ था-
|type="()"}
-[[कश्मीर]]में
-[[आन्ध्र प्रदेश]]में
+[[केरल]]में
-[[पश्चिम बंगाल]]में
||[[चित्र:Muzhappilangad-Beach-Kannur.jpg|मुजुपिलंगड बीच, कन्नूर|100px|right]]केरल भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण-पश्चिमी सिरे पर स्थित है। स्‍वतंत्र [[भारत]] में जब छोटी छोटी रियासतों का विलय हुआ तब त्रावनकोरे तथा कोचीन रियासतों को मिलाकर 1 जुलाई, 1949 को 'त्रावनकोर कोचीन' राज्‍य बना दिया गया, लेकिन मालाबार मद्रास प्रांत के अधीन ही रहा। राज्‍य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के अंतर्गत 'त्रावनकोर-कोचीन राज्‍य तथा मालाबार' को मिलाकर 1 नवंबर, 1956 को 'केरल राज्‍य' का निर्माण किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केरल]]
{मुखौटा नृत्य का सम्बन्ध किस नृत्य शैली से है?
|type="()"}
+[[कथकली]]
-[[कुचिपुड़ी]]
-[[ओडिसी]]
-[[मणिपुरी]]

09:25, 27 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण