"जनकपुर": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Janaki-Temple-Janakpur.jpg|thumb|250px|जानकी मंदिर, जनकपुर <br />Janaki Temple, Janakpur]]
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*जनकपुर [[बिहार]] का एक वैष्णव तीर्थ है, उपनिषत्कालीन ब्रह्मज्ञान तथा रामावत [[वैष्णव]] सम्प्रदाय दोनों से इसका सम्बन्ध है।  
*जनकपुर [[बिहार]] का एक वैष्णव तीर्थ है, उपनिषत्कालीन ब्रह्मज्ञान तथा रामावत [[वैष्णव]] सम्प्रदाय दोनों से इसका सम्बन्ध है।  
*जनकपुर तीर्थ का प्राचीन नाम [[मिथिला]] तथा विदेहनगरी था, [[सीतामढ़ी]] अथवा दरभंगा से जनकपुर 24 मील दूर [[नेपाल]] राज्य के अंतर्गत है, जिसके चारों ओर पूर्वक्रम से शिलानाथ, [[कपिलेश्वर]], कूपेश्वर, कल्याणेश्वर, जलेश्वर, क्षीरेश्वर, तथा मिथिलेश्वर रक्षक देवताओं के रूप में [[शिव]] मन्दिर अब भी विद्यमान हैं।  
*जनकपुर तीर्थ का प्राचीन नाम [[मिथिला]] तथा विदेहनगरी था, [[सीतामढ़ी]] अथवा [[दरभंगा]] से जनकपुर 24 मील दूर [[नेपाल]] राज्य के अंतर्गत है, जिसके चारों ओर पूर्वक्रम से शिलानाथ, [[कपिलेश्वर]], कूपेश्वर, कल्याणेश्वर, जलेश्वर, क्षीरेश्वर, तथा मिथिलेश्वर रक्षक देवताओं के रूप में [[शिव]] मन्दिर अब भी विद्यमान हैं।  
*जनकपुर के चारों ओर [[विश्वामित्र]], [[गौतम]], [[बाल्मीकि]] और [[याज्ञवल्क्य]] के आश्रम थे, जो अब भी किसी न किसी रूप में विद्यमान हैं।  
*जनकपुर के चारों ओर [[विश्वामित्र]], [[गौतम]], [[बाल्मीकि]] और [[याज्ञवल्क्य]] के आश्रम थे, जो अब भी किसी न किसी रूप में विद्यमान हैं।  
*जनकपुर [[महाभारत]] काल में एक जंगल के रूप में था, जहाँ साधु-महात्मा तपस्या किया करते थे।  
*जनकपुर [[महाभारत]] काल में एक जंगल के रूप में था, जहाँ साधु-महात्मा तपस्या किया करते थे।  
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[[Category:पौराणिक कोश]]
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[[Category:पर्यटन कोश]]
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09:50, 30 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

जानकी मंदिर, जनकपुर
Janaki Temple, Janakpur
  • जनकपुर बिहार का एक वैष्णव तीर्थ है, उपनिषत्कालीन ब्रह्मज्ञान तथा रामावत वैष्णव सम्प्रदाय दोनों से इसका सम्बन्ध है।
  • जनकपुर तीर्थ का प्राचीन नाम मिथिला तथा विदेहनगरी था, सीतामढ़ी अथवा दरभंगा से जनकपुर 24 मील दूर नेपाल राज्य के अंतर्गत है, जिसके चारों ओर पूर्वक्रम से शिलानाथ, कपिलेश्वर, कूपेश्वर, कल्याणेश्वर, जलेश्वर, क्षीरेश्वर, तथा मिथिलेश्वर रक्षक देवताओं के रूप में शिव मन्दिर अब भी विद्यमान हैं।
  • जनकपुर के चारों ओर विश्वामित्र, गौतम, बाल्मीकि और याज्ञवल्क्य के आश्रम थे, जो अब भी किसी न किसी रूप में विद्यमान हैं।
  • जनकपुर महाभारत काल में एक जंगल के रूप में था, जहाँ साधु-महात्मा तपस्या किया करते थे।
  • जनकपुर में अक्षयवट के तल से भगवान श्रीराम की एक मूर्ति प्राप्त हुई थी, वह यहाँ पधरायी गयी थी, लोगों का विश्वास है कि इससे जनकपुर की ख्याति और भी बढ़ गयी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ