"महाभारत सामान्य ज्ञान 2": अवतरणों में अंतर
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{[[कर्ण]] ने अपने कवच-कुण्डल किसे दान दिये? | {[[कर्ण]] ने अपने कवच-कुण्डल किसे दान दिये? | ||
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-[[दुर्वासा]] | -[[दुर्वासा]] को | ||
-[[वसिष्ठ]] | -[[वसिष्ठ]] को | ||
-[[परशुराम]] | -[[परशुराम]] को | ||
+[[इन्द्र]] | +[[इन्द्र]] को | ||
||[[ | ||[[चित्र:Karn1.jpg|right|100px|अर्जुन द्वारा कर्ण का वध]][[कर्ण]] और [[अर्जुन]] [[महाभारत]] युद्ध से पूर्व ही परस्पर प्रतिद्वन्द्वी थे। सूतपुत्र होने के कारण अर्जुन कर्ण को हेय समझते थे। उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि कर्ण उनके बड़े भाई हैं। [[भीष्म]] भी कर्ण को इसी कारण अधिरथ कहते थे। कर्ण ने पाँचों [[पाण्डव|पाण्डवों]] का वध करने का संकल्प किया था, किन्तु माता [[कुन्ती]] के कहने पर उन्होंने अपने वध की प्रतिज्ञा अर्जुन तक ही सीमित कर दी थी। कर्ण की दानवीरता के भी अनेक सन्दर्भ मिलते हैं। उनकी दानशीलता की ख्याति सुनकर [[इन्द्र]] उनके पास 'कवच-कुण्डल' माँगने गये थे। कर्ण ने अपने [[पिता]] [[सूर्य देव]] के द्वारा इन्द्र की मंशा जानते हुए भी उनको 'कवच-कुण्डल' दे दिये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्ण]] | ||
{निम्न में से कौन अतिरथी नहीं था? | {निम्न में से कौन अतिरथी नहीं था? | ||
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-[[कृष्ण]] | -[[कृष्ण]] | ||
+[[अर्जुन]] | +[[अर्जुन]] | ||
||[[चित्र:Krishna-arjun1.jpg|right|100px|कृष्ण और अर्जुन]] [[अर्जुन]] महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो, कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था, जिससे कुंती किसी भी [[देवता]] का | ||[[चित्र:Krishna-arjun1.jpg|right|100px|कृष्ण और अर्जुन]][[अर्जुन]] महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो, कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था, जिससे कुंती किसी भी [[देवता]] का आह्वान कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थीं। पाण्डु एवं कुंती ने इस वरदान का प्रयोग किया और [[धर्मराज (यमराज)|धर्मराज]], [[वायु देव|वायु]] एवं [[इन्द्र]] देवता से पुत्र प्राप्त किए। अर्जुन तीसरे पुत्र थे, जो देवताओं के राजा इन्द्र से उत्पन्न हुए थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अर्जुन]] | ||
{[[भीष्म]] कितनी सेना समाप्त करके [[जल]] गृहण करते थे? | {[[भीष्म]] कितनी सेना समाप्त करके [[जल]] गृहण करते थे? | ||
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-अट्ठारह हज़ार | -अट्ठारह हज़ार | ||
{चक्रव्यूह की रचना | {[[महाभारत]] में 'चक्रव्यूह' की रचना किसके द्वारा की गई थी? | ||
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-[[शकुनि]] | -[[शकुनि]] | ||
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-[[जयद्रथ]] | -[[जयद्रथ]] | ||
-[[विदुर]] | -[[विदुर]] | ||
|| [[चित्र:Dronacharya.jpg|right|100px|द्रोणाचार्य]] | ||[[चित्र:Dronacharya.jpg|right|100px|द्रोणाचार्य]]द्रोणाचार्य यद्यपि [[कौरव|कौरवों]] की ओर से युद्ध कर रहे थे तथापि उनका मोह [[पांडव|पांडवों]] के प्रति था, ऐसा [[दुर्योधन]] बार-बार अनुभव करता था। द्रोण के सर्वप्रिय शिष्यों में से एक [[अर्जुन]] था। उन्होंने समय-समय पर अनेक प्रकार के व्यूहों की रचना की। उनके बनाये हुए चक्रव्यूह को तोड़ने में ही [[अभिमन्यु]] मारा गया। [[महाभारत]] युद्ध में [[भीष्म]] पितामह के बाद मुख्य सेनापति का पद द्रोणाचार्य के पास रहा था। अर्जुन ने क्रुद्ध होकर [[जयद्रथ]] को मारने की ठानी, क्योंकि उसने पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश नहीं करने दिया था और अनेक रथियों ने अकेले अभिमन्यु को घेरकर उसका वध किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[द्रोणाचार्य]] | ||
{[[महाभारत]] का युद्ध | {निम्नलिखित में से किस स्थान पर [[महाभारत]] का विश्व प्रसिद्ध युद्ध हुआ? | ||
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-[[थानेश्वर]] | -[[थानेश्वर]] | ||
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-[[पानीपत युद्ध|पानीपत]] | -[[पानीपत युद्ध|पानीपत]] | ||
+[[कुरुक्षेत्र]] | +[[कुरुक्षेत्र]] | ||
||कुरुक्षेत्र [[हरियाणा]] राज्य का एक प्रमुख ज़िला है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा [[अम्बाला]], यमुना नगर, करनाल और [[कैथल]] से घिरा | ||[[चित्र:Bhim-Dushasan.jpg|right|100px|कुरुक्षेत्र में भीम द्वारा दुशासन का वध]]'कुरुक्षेत्र' [[हरियाणा]] राज्य का एक प्रमुख ज़िला है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा [[अम्बाला]], यमुना नगर, [[करनाल]] और [[कैथल]] से घिरा हुआ है। माना जाता है कि यहीं पर [[महाभारत]] की लड़ाई हुई थी और भगवान [[कृष्ण]] ने [[अर्जुन]] को [[गीता]] का उपदेश यहीं पर 'ज्योतीसर' नामक स्थान पर दिया था। यह ज़िला बासमती [[चावल]] के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। कुरुक्षेत्र का पौराणिक महत्त्व अधिक माना जाता है। इसका [[ऋग्वेद]] और [[यजुर्वेद]] में अनेक स्थानो पर वर्णन किया गया है। यहाँ की पौराणिक नदी [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] का भी अत्यन्त महत्त्व रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुरुक्षेत्र]] | ||
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10:50, 2 मार्च 2017 के समय का अवतरण
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