"दूध का कर्ज़ मंदिर वाराणसी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) ('{{लेख सूची|लेख का नाम=वाराणसी |पर्यटन=वाराणसी पर्यटन |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " मां " to " माँ ") |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{लेख सूची|लेख का नाम=वाराणसी |पर्यटन=वाराणसी पर्यटन |ज़िला=वाराणसी ज़िला }} | {{लेख सूची|लेख का नाम=वाराणसी |पर्यटन=वाराणसी पर्यटन |ज़िला=वाराणसी ज़िला }} | ||
*[[वाराणसी]] में 'दूध का कर्ज' मंदिर प्रसिद्ध मंदिर है। | *[[वाराणसी]] में 'दूध का कर्ज' मंदिर प्रसिद्ध मंदिर है। | ||
*पर्यटकों को वाराणसी में यह मंदिर | *पर्यटकों को वाराणसी में यह मंदिर ज़रूर देखना चाहिए। | ||
*लोक कथाओं के अनुसार एक अमीर घमण्डी पुत्र ने इस मंदिर को बनवाया और इसे अपनी | *लोक कथाओं के अनुसार एक अमीर घमण्डी पुत्र ने इस मंदिर को बनवाया और इसे अपनी माँ को समर्पित कर दिया। | ||
*उसने अपनी | *उसने अपनी माँ से कहा मैंने तेरे लिए मंदिर बनवाकर तेरा कर्ज़ चुका दिया। तब उसकी माँ ने कहा कि दूध का कर्ज़ कभी चुकाया नहीं जा सकता। | ||
*उसी दिन से इस मंदिर का नाम दूध का कर्ज़ मंदिर पड़ गया। | *उसी दिन से इस मंदिर का नाम दूध का कर्ज़ मंदिर पड़ गया। | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
पंक्ति 14: | पंक्ति 12: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
पंक्ति 20: | पंक्ति 18: | ||
{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}} | {{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}} | ||
{{वाराणसी}} | {{वाराणसी}} | ||
{{उत्तर प्रदेश के मन्दिर}} | |||
[[Category:उत्तर प्रदेश के मन्दिर]] | |||
[[Category:उत्तर प्रदेश]] | [[Category:उत्तर प्रदेश]] | ||
[[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]] | [[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]] |
14:06, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
वाराणसी | वाराणसी पर्यटन | वाराणसी ज़िला |
- वाराणसी में 'दूध का कर्ज' मंदिर प्रसिद्ध मंदिर है।
- पर्यटकों को वाराणसी में यह मंदिर ज़रूर देखना चाहिए।
- लोक कथाओं के अनुसार एक अमीर घमण्डी पुत्र ने इस मंदिर को बनवाया और इसे अपनी माँ को समर्पित कर दिया।
- उसने अपनी माँ से कहा मैंने तेरे लिए मंदिर बनवाकर तेरा कर्ज़ चुका दिया। तब उसकी माँ ने कहा कि दूध का कर्ज़ कभी चुकाया नहीं जा सकता।
- उसी दिन से इस मंदिर का नाम दूध का कर्ज़ मंदिर पड़ गया।
|
|
|
|
|