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==छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान==
केम्मन्नगुंडी / केम्मन्नूगुंडी अथवा केम्मन्नगुंडी ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:''Kemmangundi'', [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]]: ಕೆಮ್ಮಣ್ಣುಗುಂಡಿ) [[भारत]] के [[कर्नाटक]] राज्य के चिकमगलूर ज़िले से 55 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी पर स्थित एक हिल स्टेशन है। यहाँ पहुँचने के लिए बसों की अच्छी सुविधा है। यहाँ ठहरने के लिए पर्याप्त होटल व बंगले हैं।
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;नामकरण
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लाल मिट्टी और जलप्रपात से बनी गहरी घाटी के चलते ही इस का नाम केम्मन्नगुंडी पड़ा है। '''वैसे इसे कृष्णराजेंद्र गिरिधाम के नाम से भी पुकारा जाता है।'''
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==इतिहास==
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अतीत में [[मैसूर]] में के राजा नाल्वडी कृष्णराज वोड्यार ने इसे गरमियों में अपने रहने का स्थान बनाया था। अत: उन्होंने इसे विशेष रूप में विकसित भी करवाया था। उस के बाद [[अंग्रेज़]] अधिकारियों ने भी इसे अपनी सुविधा के अनुसार विकसित करवाया।
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==पर्यटन==
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पर्यटन व नवदंपतियों के लिए एकांत में बैठ कर समय बिताने का सुन्दर स्थान केम्मन्नगुंडी है। शहर के कोलाहल और प्रदूषण रहित इस स्थान पर आकर पर्यटन व नवदंपतियों अपने को भूल जाते हैं इसलिए इस पहाड़ी पर्यटन स्थल की प्रशंसा करने में कवियों ने कोई कंजूसी नहीं दिखाई। यहाँ के सुरम्य स्थलों की कई फ़िल्मों में शूटिंग की गई है। यहाँ सुन्दर प्राकृतिक नजारे हैं, जल-प्रपात हैं, बड़े-बड़े बाग़-बगीचे हैं। इन के अलावा यहाँ का मौसम ठंडा रहता है।
 
====श्रृंगारपुर झरना====
{[[छत्तीसगढ़]] की प्रसिद्ध लोक-कलाकार लक्ष्मीबाई बंजारे किस गायन क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं?
4,705 फुट की ऊँचाई पर पहुँचते ही सैलानियों का स्वागत श्रृंगारपुर नाम का एक झरना करता है। इस पहाड़ पर रमणीक नजारों की इस कदर भरमार है कि सैलानी कैमरे में अपने इन नजारों को कैद लेते हैं। रंगबिरंगे [[फूल]] यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं। यहाँ फूलों की तरह विविध रंगों वाले पक्षी भी देखने को मिलते हैं।
|type="()"}
====केम्मन्नगुंडी के पार्क====
+पण्डवानी गायन
[[कृषि]] विभाग द्वारा निर्मित यहाँ के पार्क बहुत सुन्दर लगते है। पार्क के आसपास का वातावरण नयनाभिराम नजारे पेश करता है। यहाँ के सौंर्दय को शब्दों में प्रकट करना मुश्किल है। केम्मन्नगुंडी के विहंगम नजारों को [[आँख|आँखों]] में भरने के लिए प्रमुख स्थल है, जैड पौइंट। हार्टिकल्चर विभाग के अतिथिगृह से यहाँ तक पहुँचने के लिए 30 मिनट का टेड़ामेढ़ा जंगली रास्ता है। चहलकदमी करते हुए जब आप जैड पौइंट की ओर बढ़ते हैं तो रास्ते में आप का स्वागत एक जलप्रपात करता है। यह जलप्रपात ऊपर से छोटा दिखता है, पर नीचे बहुत गहराई में जा कर गिरता है। यहाँ से आगे बढ़ने पर जैड आकार का जैड पौइंट देखने को मिलता है। यहाँ पहाड़ की चोटियाँ, जंगल और झरनों के दृश्य बेहद रमणीक लगते हैं।
-भरभरी गायन
====केम्मन्नगुंडी के जलप्रपात====
-चंदेनी गायन
केम्मन्नगुंडी में 2 प्रमुख जलप्रपात हैं। यहाँ के हेब्बे जलप्रपात तक जाना ही अपने आप में एक साहस का काम है। बड़े-बड़े पत्थरों वाले ऊबड़खाबड़ रास्ते पर चलना एक अद्भुत अनुभव लगता है। वैसे यहाँ पहुँचने के लिए किराए पर जीप भी मिलती है। जीप से जाने पर 10 किलोमीटर के बाद 1 किलोमीटर का फासला पैदल ही चलना पड़ता है। यहाँ के सुन्दर नजारों को निहारते हुए यह फासला कब तय हो जाता है, पता ही नहीं चलता।
-बाँसागीत
====हेब्बे जलप्रपात====
 
इस तरह के घने जंगलों व प्राकृतिक नजारों के बीच से जाते हुए हेब्बे जलप्रपात तक पहुँचना अपने में एक सुन्दर अनुभव होता है। हेब्बे जलप्रपात ही दोड्ड हेब्बे (बड़ा हेब्बे), थिक्क हेब्बे (छोटा हेब्बे) नाम के 2 झरनों में प्रवाहित होता है। पहले 121 मीटर ऊपर से झरने के रूप में गिर कर, बाद में चट्टानों के ऊपर से 60.5 मीटर पर गिर कर छोटे हेब्बे के रूप में प्रवाहित होता है। ये दोनों झरने दूर से देखने पर एक मोमबत्ती की तरह दिखते हैं। थिक्क हेब्बे (छोटा हेब्बे) तक सैलानी जा सकते हैं पर दोड्ड हेब्बे की तरफ़ जाना मुश्किल है और ऊपर जाना तो मौत को दावत देने से कम नहीं।
{[[मराठा|मराठों]] के अधिकार से पूर्व [[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]] किस राज्य की राजधानी रहा था?
====कल्लतगिरी और कालहस्ती जलप्रपात====
|type="()"}
केम्मन्नगुंडी में एक और आर्कषक जलप्रपात है जो यहाँ से 12 किलोमीटर की दूरी पर तरीके से जाते समय रास्ते में पड़ता है। इस जलप्रपात को कल्लतगिरी और कालहस्ती जलप्रपात के नाम से भी लोग जानते हैं। यह जलप्रपात 45 मीटर ऊपर से 3 अलग-अलग धाराओं के रूप में गिरता है। इस तरह रोमांचक पर्यटन के लिए केम्मन्नगुंडी एक बेहतरीन स्थल है। पर्यटन एवं नवदंपती यहाँ आ कर बिताया समय आजीवन याद रखते हैं।
-[[कलचुरी वंश|कलचुरी]]
-[[नागवंश]]
+[[गोंड]]
-इनमें से कोई नहीं
||'गोंड' [[मध्य प्रदेश]] की सबसे महत्त्वपूर्ण जनजाति है, जो प्राचीन काल के गोंड राजाओं को अपना वंशज मानती है। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य [[भारत]] में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। [[मुग़ल]] शासकों और [[मराठा]] शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। गोंड जनजाति के वर्तमान निवास स्थान मध्य प्रदेश एवं [[छत्तीसगढ़]] राज्यों के पठारी भाग, जिसमें [[छिंदवाड़ा]], बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]]
 
{[[छत्तीसगढ़]] का प्रसिद्ध 'पढ़ौनी-भात' किसे कहते हैं?
|type="()"}
-मामा को घर में बुलाकर भोजन कराना।
+घर में नयी बहू के आगमन का भात।
-बेटी की विदाई के समय दिया गया भोजन।
-[[विवाह]] के समय दुल्हे को कराया गया भोजन।
 
{'ध्रोटयाल गोंड' का प्रमुख कार्य क्या है?
|type="()"}
+टोकरियाँ बनाना
-[[कृषि]] करना
-[[ढोलक]] बजाना
-[[पुरोहित]] का कार्य करना
 
{[[छत्तीसगढ़ी भाषा]] में नाटक की शुरुआत किसकी रचना से मानी जाती है?
|type="()"}
-प्रहलाद दुबे
-पंडित तेजनाथ शास्त्री
+पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय
-कोदूराम दलित
 
{[[छत्तीसगढ़]] में 'अंगाकर' क्या है?
|type="()"}
-मोटा [[सेब]]
+पत्तों से लिपटी मोटी रोटी
-[[दाल]] भरी पूड़ी
-[[विवाह]] से पूर्व हाथ का फेरा
 
{[[छत्तीसगढ़]] के किस शहर में 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' स्थित है?
|type="()"}
-[[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]]
-[[चांपा]]
-[[अम्बिकापुर]]
+[[रायपुर]]
||[[चित्र:Raipur-District-Map.jpg|right|100px|रायपुर ज़िले का मानचित्र]][[छत्तीसगढ़]] में रायपुर अध्ययन का महत्त्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ के [[कला]], [[विज्ञान]], वाणिज्य, विधि, कृषि विज्ञान, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, औषधी विज्ञान (आयुर्वेदिक और ऐलोपैथिक) और प्राच्य भाषाओं के कॉलेज यहाँ स्थित 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' ([[1964]]) से संबद्ध हैं। छत्तीसगढ़ में दूरदर्शन की शुरुआत सर्वप्रथम [[रायपुर]] से हुई थी। दूरदर्शन द्वारा चलाये गये शिक्षण कार्यक्रमों से भी यहाँ के जीवन स्तर में सुधार आया है। रायपुर में अनेक [[संगीत]] अकादमियाँ एक संग्रहालय, एक क्षयरोग अस्पताल और [[चावल]] व रेशम व्यवसाय के प्रायोगिक फ़ार्म हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रायपुर]]
 
{राऊतों की विशेष प्रकार की [[बाँसुरी]] को क्या कहते हैं?
|type="()"}
-मोहरी
+मोहराली
-सींग बाजा
-किन्दरी
 
{[[छत्तीसगढ़]] में पण्डवानी गायन के समय कौन-सा [[वाद्य यंत्र]] लेकर गायन होता है?
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-[[नगाड़ा]]
+संजु
-तम्बूरा
-[[ढोलक]]
 
{निम्नलिखित में से प्रथम प्रकाशित [[छत्तीसगढ़ी]] उपन्यास कौन-सा है?
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+हीरू के कहिनीज
-दियाना के अंजोर
-मोंगरा
-पुटहा करम
 
{'शिखर साहित्य पुरस्कार' के प्राप्तकर्ता [[छत्तीसगढ़]] के प्रमुख साहित्यकार कौन हैं?
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-[[गजानन माधव मुक्तिबोध]]
+विनोद कुमार शुक्ल
-शानी गुलशेर अहमद
-लाला जगदलपुरी
 
{'बस्तर लोकोत्सव' का आयोजन कब से कब तक किया जाता है?
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+[[7 अक्टूबर]] से [[17 अक्टूबर]] तक
-[[15 अक्टूबर]] से [[21 अक्टूबर]] तक
-[[15 अक्टूबर]] से [[20 अक्टूबर]] तक
-[[10 अक्टूबर]] से [[17 अक्टूबर]] तक
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__NOTOC__

12:36, 22 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान

1 छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक-कलाकार लक्ष्मीबाई बंजारे किस गायन क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं?

पण्डवानी गायन
भरभरी गायन
चंदेनी गायन
बाँसागीत

2 मराठों के अधिकार से पूर्व बिलासपुर किस राज्य की राजधानी रहा था?

कलचुरी
नागवंश
गोंड
इनमें से कोई नहीं

3 छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध 'पढ़ौनी-भात' किसे कहते हैं?

मामा को घर में बुलाकर भोजन कराना।
घर में नयी बहू के आगमन का भात।
बेटी की विदाई के समय दिया गया भोजन।
विवाह के समय दुल्हे को कराया गया भोजन।

4 'ध्रोटयाल गोंड' का प्रमुख कार्य क्या है?

टोकरियाँ बनाना
कृषि करना
ढोलक बजाना
पुरोहित का कार्य करना

5 छत्तीसगढ़ी भाषा में नाटक की शुरुआत किसकी रचना से मानी जाती है?

प्रहलाद दुबे
पंडित तेजनाथ शास्त्री
पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय
कोदूराम दलित

6 छत्तीसगढ़ में 'अंगाकर' क्या है?

मोटा सेब
पत्तों से लिपटी मोटी रोटी
दाल भरी पूड़ी
विवाह से पूर्व हाथ का फेरा

7 छत्तीसगढ़ के किस शहर में 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' स्थित है?

बिलासपुर
चांपा
अम्बिकापुर
रायपुर

8 राऊतों की विशेष प्रकार की बाँसुरी को क्या कहते हैं?

मोहरी
मोहराली
सींग बाजा
किन्दरी

9 छत्तीसगढ़ में पण्डवानी गायन के समय कौन-सा वाद्य यंत्र लेकर गायन होता है?

नगाड़ा
संजु
तम्बूरा
ढोलक

10 निम्नलिखित में से प्रथम प्रकाशित छत्तीसगढ़ी उपन्यास कौन-सा है?

हीरू के कहिनीज
दियाना के अंजोर
मोंगरा
पुटहा करम

11 'शिखर साहित्य पुरस्कार' के प्राप्तकर्ता छत्तीसगढ़ के प्रमुख साहित्यकार कौन हैं?

गजानन माधव मुक्तिबोध
विनोद कुमार शुक्ल
शानी गुलशेर अहमद
लाला जगदलपुरी

12 'बस्तर लोकोत्सव' का आयोजन कब से कब तक किया जाता है?

7 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक
15 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक
15 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक
10 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक