"नैरुज्य": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
शिल्पी गोयल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
No edit summary |
||
(5 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 17 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{शब्द संदर्भ लघु | {{शब्द संदर्भ लघु | ||
|हिन्दी= आरोग्य, तन्दुरुस्ती | |हिन्दी= आरोग्य, तन्दुरुस्ती, स्वास्थ्य। | ||
|व्याकरण= | |व्याकरण=पुल्लिंग | ||
|उदाहरण= | |उदाहरण=प्रातः काल का व्यायाम शरीर को '''नैरुज्य''' बनाता है। | ||
|विशेष= | |विशेष=मार्कण्डेय, लोमश आदि ऋषियों के दीर्घायुष्टव, '''नैरुज्य''', ज्ञान-[[विज्ञान]] तथा अणिमा आदि अष्ट ऐश्वर्यों की सिद्धि का मूल कारण भी योगयोगेश्वर भगवान [[शंकर]] के मूल प्रतीक लिंग का विधिवत पूजन ही रहा है।<ref>{{cite web |url=http://hindnews.blogspot.com/2009/02/blog-post_2542.html |title=नैरुज्य |accessmonthday=8 जुलाई |accessyear=2010 |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=hindnews.blogspot.com |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | ||
|पर्यायवाची=स्वस्थता, अनामयता, | |पर्यायवाची=स्वस्थता, अनामयता, अरुग्णता, आरोग्यता, तंदरुस्ती, निरामयता, निरोगता, निरोगिता, पुष्टता, रोग हीनता, सलामती, सेहतमंदी | ||
|संस्कृत= | |संस्कृत=निरुज+ष्यज् | ||
|अन्य ग्रंथ= | |अन्य ग्रंथ= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
__INDEX__ |
11:04, 29 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
हिन्दी | आरोग्य, तन्दुरुस्ती, स्वास्थ्य। |
-व्याकरण | पुल्लिंग |
-उदाहरण | प्रातः काल का व्यायाम शरीर को नैरुज्य बनाता है। |
-विशेष | मार्कण्डेय, लोमश आदि ऋषियों के दीर्घायुष्टव, नैरुज्य, ज्ञान-विज्ञान तथा अणिमा आदि अष्ट ऐश्वर्यों की सिद्धि का मूल कारण भी योगयोगेश्वर भगवान शंकर के मूल प्रतीक लिंग का विधिवत पूजन ही रहा है।[1] |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | स्वस्थता, अनामयता, अरुग्णता, आरोग्यता, तंदरुस्ती, निरामयता, निरोगता, निरोगिता, पुष्टता, रोग हीनता, सलामती, सेहतमंदी |
संस्कृत | निरुज+ष्यज् |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश