"कुतबन": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org")
 
(5 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
कुतबन 'चिश्ती वंश' के 'शेख बुरहान' के शिष्य थे और [[जौनपुर]] के 'बादशाह हुसैनशाह' के आश्रित थे। अत: इनका समय विक्रम की सोलहवीं शताब्दी का मध्य भाग<ref> संवत् 1550</ref> था।
'''कुतबन''' हिन्दी के प्रसिद्ध [[सूफ़ी मत|सूफ़ी]] [[कवि]] थे, जिन्होंने मौलाना दाऊद के 'चंदायन' की परंपरा में सन 1503 ई. में 'मृगावती' नामक प्रेमाख्यानक [[काव्य]] की रचना की। 'मृगावती' किसी पूर्व प्रचलित कथा के आधार पर लिखा गया है। इसमें [[दोहा]], [[चौपाई]], [[सोरठा]], अरिल्ल आदि छंदों का प्रयोग किया गया है, किंतु इसकी [[शैली]] प्राकृत काव्यों का अनुकरण पर [[कड़वक]] वाली है।
;रचनाएँ
इन्होंने '''मृगावती''' नाम की एक कहानी 'चौपाई', 'दोहे' के क्रम से सन् 909 हिजरी (संवत् 1558) में लिखी जिसमें चंद्रनगर के राजा गणपतिदेव के राजकुमार और कंचनपुर के राजा रूपमुरारि की कन्या मृगावती की प्रेमकथा का वर्णन है। इस कहानी के द्वारा कवि ने प्रेममार्ग के त्याग और कष्ट का निरूपण करके साधक के भगवत्प्रेम का स्वरूप दिखाया है। बीच बीच में सूफियों की शैली पर बड़े सुंदर रहस्यमय आध्यात्मिक आभास हैं।
;कथासार
कहानी का सारांश यह है चंद्रनगर के राजा गणपतिदेव का पुत्र कंचनपुर के राजा रूपमुरारि की मृगावती नाम की राजकुमारी पर मोहित हुआ। यह राजकुमारी उड़ने की विद्या जानती थी। अनेक कष्ट झेलने के उपरांत राजकुमार उसके पास तक पहुँचा। पर एक दिन मृगावती राजकुमार को धोखा देकर कहीं उड़ गई। राजकुमार उसकी खोज में योगी होकर निकल पड़ा। समुद्र से घिरी एक पहाड़ी पर पहुँचकर उसने रुक्मिनी नाम की एक सुंदरी को एक राक्षस से बचाया। उस सुंदरी के पिता ने राजकुमार के साथ उसका विवाह कर दिया। अंत में राजकुमार उस नगर में पहुँचा जहाँ अपने पिता की मृत्यु पर राजसिंहासन पर बैठकर मृगावती राज्य कर रही थी। वहाँ वह 12 वर्ष रहा। पता लगने पर राजकुमार के पिता ने घर बुलाने के लिए दूत भेजा। राजकुमार पिता का संदेशा पाकर मृगावती के साथ चल पड़ा और उसने मार्ग में रुक्मिनी को भी ले लिया। राजकुमार बहुत दिनों तक आनंदपूर्वक रहा, पर अंत में आखेट के समय [[हाथी]] से गिरकर मर गया। उसकी दोनों रानियाँ प्रिय के मिलने की उत्कंठा में बड़े आनंद के साथ सती हो गईं।
<poem>रुकमिनि पुनि वैसहि मरि गई । कुलवंती सत सों सति भई॥
बाहर वह भीतर वह होई । घर बाहर को रहै न जोई॥
विधि कर चरित न जानै आनू । जो सिरजा सो जाहि निआनू॥</poem>


{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
*अपनी रचना 'मृगावती' में कुतबन ने चंद्रनगर के राजा गणपतिदेव के राजकुमार और कंचनपुर के राजा रूपमुरारि की कन्या मृगावती की प्रेमकथा का वर्णन किया है। इस [[कहानी]] के द्वारा [[कवि]] ने प्रेममार्ग के त्याग और कष्ट का निरूपण करके साधक के भगवत्प्रेम का स्वरूप दिखाया है। बीच-बीच में सूफ़ियों की [[शैली]] पर बड़े सुंदर रहस्यमय आध्यात्मिक आभास हैं।
{{संदर्भ ग्रंथ}}
*कुतबन ने अपने [[काव्य]] में किसी प्रकार का वैयक्तिक परिचय नहीं दिया है। उससे इतना ही ज्ञात होता है कि हुसेनशाह शाहे-वक्त थे और [[सुहरावर्दी सम्प्रदाय]] के शेख़ बुढ़न उनके गुरु थे।
*ऐसा समझा जाता है कि हुसेनशाह से उनका तात्पर्य [[जौनपुर]] के [[शर्की वंश|शर्की]] सुल्तान से है।
*शेख़ बुढ़न के संबंध में अनुमान किया जाता है कि ये वे ही होंगे, जो जौनपुर के निकट जफ़राबाद कस्बे में रहते थे, जिनका वास्तविक नाम शम्सुद्दीन था, और जो सदरुद्दीन चिरागे हिंद के पौत्र थे।
*उपरोक्त तथ्यों के आधार पर कुतबन को जौनपुर के आस-पास का निवासी अनुमान किया जा सकता है। वहीं उनका कार्यक्षेत्र भी रहा होगा।
*'काशी' (वर्तमान [[बनारस]]) में हरतीरथ मुहल्ले की चौमुहानी से पूरब की ओर लगभग एक फलाँग की दूरी पर 'कुतबन शहीद' नामक एक मुहल्ला है। वहीं एक मजार है, जो कुतबन की मजार के नाम से प्रसिद्ध है। कदाचित वह इन्हीं कुतबन की क़ब्र है।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%A4%E0%A4%AC%E0%A4%A8 |title=कुतबन |accessmonthday=13 फ़रवरी|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
{{seealso|मृगावती}}
 
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
{{cite book | last =आचार्य| first =रामचंद्र शुक्ल| title =हिन्दी साहित्य का इतिहास| edition =| publisher =कमल प्रकाशन, नई दिल्ली| location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language =हिन्दी | pages =पृष्ठ सं. 75| chapter =प्रकरण 3}}
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारत के कवि}}
{{भारत के कवि}}
[[Category:कवि]]  
[[Category:कवि]][[Category:निर्गुण भक्ति]][[Category:चरित कोश]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:भक्ति काल]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
[[Category:निर्गुण भक्ति]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]  
[[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:भक्ति काल]]  
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

12:24, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

कुतबन हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि थे, जिन्होंने मौलाना दाऊद के 'चंदायन' की परंपरा में सन 1503 ई. में 'मृगावती' नामक प्रेमाख्यानक काव्य की रचना की। 'मृगावती' किसी पूर्व प्रचलित कथा के आधार पर लिखा गया है। इसमें दोहा, चौपाई, सोरठा, अरिल्ल आदि छंदों का प्रयोग किया गया है, किंतु इसकी शैली प्राकृत काव्यों का अनुकरण पर कड़वक वाली है।

  • अपनी रचना 'मृगावती' में कुतबन ने चंद्रनगर के राजा गणपतिदेव के राजकुमार और कंचनपुर के राजा रूपमुरारि की कन्या मृगावती की प्रेमकथा का वर्णन किया है। इस कहानी के द्वारा कवि ने प्रेममार्ग के त्याग और कष्ट का निरूपण करके साधक के भगवत्प्रेम का स्वरूप दिखाया है। बीच-बीच में सूफ़ियों की शैली पर बड़े सुंदर रहस्यमय आध्यात्मिक आभास हैं।
  • कुतबन ने अपने काव्य में किसी प्रकार का वैयक्तिक परिचय नहीं दिया है। उससे इतना ही ज्ञात होता है कि हुसेनशाह शाहे-वक्त थे और सुहरावर्दी सम्प्रदाय के शेख़ बुढ़न उनके गुरु थे।
  • ऐसा समझा जाता है कि हुसेनशाह से उनका तात्पर्य जौनपुर के शर्की सुल्तान से है।
  • शेख़ बुढ़न के संबंध में अनुमान किया जाता है कि ये वे ही होंगे, जो जौनपुर के निकट जफ़राबाद कस्बे में रहते थे, जिनका वास्तविक नाम शम्सुद्दीन था, और जो सदरुद्दीन चिरागे हिंद के पौत्र थे।
  • उपरोक्त तथ्यों के आधार पर कुतबन को जौनपुर के आस-पास का निवासी अनुमान किया जा सकता है। वहीं उनका कार्यक्षेत्र भी रहा होगा।
  • 'काशी' (वर्तमान बनारस) में हरतीरथ मुहल्ले की चौमुहानी से पूरब की ओर लगभग एक फलाँग की दूरी पर 'कुतबन शहीद' नामक एक मुहल्ला है। वहीं एक मजार है, जो कुतबन की मजार के नाम से प्रसिद्ध है। कदाचित वह इन्हीं कुतबन की क़ब्र है।[1]

इन्हें भी देखें: मृगावती


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुतबन (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 13 फ़रवरी, 2014।

संबंधित लेख