"सरजूराम पंडित": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('सरजूराम पंडित ने 'जैमिनीपुराण भाषा' नामक एक कथात्मक ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 19: पंक्ति 19:
[[Category:कवि]]  
[[Category:कवि]]  
[[Category:रीति_काल]]
[[Category:रीति_काल]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]]
[[Category:रीतिकालीन कवि]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]  
[[Category:चरित कोश]]  
[[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

12:23, 8 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

सरजूराम पंडित ने 'जैमिनीपुराण भाषा' नामक एक कथात्मक ग्रंथ संवत् 1805 में बनाकर तैयार किया। इन्होंने अपना कुछ भी परिचय अपने ग्रंथ में नहीं दिया है। जैमिनीपुराण दोहों, चौपाइयों में तथा और कई छंदों में लिखा गया है और 36 अध्यायों में समाप्त हुआ है। इसमें बहुत सी कथाएँ आई हैं; जैसे - युधिष्ठर का राजसूय यज्ञ, संक्षिप्त रामायण, सीतात्याग, लवकुश युद्ध , मयूरधवज, चंद्रहास आदि राजाओं की कथाएँ। चौपाइयों का ढंग 'रामचरितमानस' का सा है। कविता इनकी अच्छी हुई है। उसमें गांभीर्य है -

गुरुपद पंकज पावन रेनू।
गुरुपद रज अज हरिहर धामा।
तब लगि जग जड़ जीव भुलाना।
श्री गुरु पंकज पाँव पसाऊ।
सुमिरत होत हृदय असनाना।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


आचार्य, रामचंद्र शुक्ल “प्रकरण 3”, हिन्दी साहित्य का इतिहास (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली, पृष्ठ सं. 249।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख