"लाल क़िला आगरा": अवतरणों में अंतर
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{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=लाल क़िला|लेख का नाम=लाल क़िला (बहुविकल्पी)}} | |||
{{सूचना बक्सा पर्यटन | |||
|चित्र=Red-Fort-Agra.jpg | |||
|चित्र का नाम=लाल क़िला, आगरा | |||
|विवरण=[[आगरा]] में [[ताजमहल]] से थोड़ी दूर पर 16 वीं शताब्दी में बना महत्वपूर्ण मुग़ल स्मारक है, जो 'आगरा का लाल क़िला' नाम से विख्यात है। | |||
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]] | |||
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|ज़िला=[[आगरा ज़िला|आगरा]] | |||
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|स्वामित्व= | |||
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|निर्माण काल=1565 ई.-1573 ई. | |||
|स्थापना=1573 ई. | |||
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|मार्ग स्थिति=आगरा कैंट रेलवे स्टेशन से 4.5 किमी की दूरी पर स्थित है। | |||
|प्रसिद्धि= | |||
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|कैसे पहुँचें=हवाई जहाज, रेल, बस, टैक्सी | |||
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|रेलवे स्टेशन=आगरा कैंट रेलवे स्टेशन, आगरा फ़ोर्ट रेलवे स्टेशन | |||
|बस अड्डा=ईदगाह बस स्टैंड | |||
|यातायात=टैक्सी, ऑटो-रिक्शा, साइकिल रिक्शा, बस आदि। | |||
|क्या देखें= | |||
|कहाँ ठहरें=होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह | |||
|क्या खायें= | |||
|क्या ख़रीदें= | |||
|एस.टी.डी. कोड=0562 | |||
|ए.टी.एम=लगभग सभी | |||
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|मानचित्र लिंक=[http://maps.google.co.in/maps?q=Red+Fort,+Agra++++++&hl=en&ll=27.187311,78.0231&spn=0.035884,0.055189&sll=27.171006,78.014874&sspn=0.018861,0.027595&vpsrc=6&hq=Red+Fort,+Agra&t=m&z=14&iwloc=A गूगल मानचित्र] | |||
|संबंधित लेख=[[ताजमहल]], [[फ़तेहपुर सीकरी]], [[सिकंदरा आगरा|सिकंदरा]], [[जामा मस्जिद आगरा|जामा मस्जिद]] | |||
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|अन्य जानकारी=इसे अंदर से ईंटों से बनवाया गया और बाहरी आवरण के लिये लाल बलुआ पत्थर लगवाया गया। इसके नये रूप को बनाने में चौदह लाख, चौवालीस हज़ार कारीगर व मज़दूरों ने आठ वर्षों तक मेहनत की। | |||
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[[आगरा]] में [[ताजमहल]] से थोड़ी दूर पर 16 वीं शताब्दी में बना महत्वपूर्ण मुग़ल स्मारक है, जो आगरा का लाल क़िला नाम से विख्यात है। यह शक्तिशाली क़िला लाल सैंड स्टोन से बना हुआ | [[आगरा]] में [[ताजमहल]] से थोड़ी दूर पर 16 वीं शताब्दी में बना महत्वपूर्ण [[मुग़ल]] स्मारक है, जो आगरा का लाल क़िला नाम से विख्यात है। यह शक्तिशाली क़िला लाल सैंड स्टोन से बना हुआ है। यह 2.5 किलोमीटर लम्बी दीवार से घिरा हुआ है। यह मुग़ल शासकों का शाही शहर कहा जाता है। इस क़िले की बाहरी मज़बूत दीवारें अपने अंदर एक स्वर्ग को छुपाए हैं। इस क़िले में अनेक विशिष्ट भवन हैं। | ||
==विशिष्ट भवन== | ==विशिष्ट भवन== | ||
*'मोती मस्जिद' सफ़ेद संगमरमर से बनी है, जो एक त्रुटि रहित मोती जैसी है। | |||
*'मोती मस्जिद' | *दीवान ए आम | ||
*दीवान ए आम | *दीवान ए ख़ास | ||
*दीवान ए ख़ास | |||
*मुसम्मन बुर्ज - जहाँ मुग़ल शासक [[शाहजहाँ]] की मौत 1666 ए. डी. में हुई। | *मुसम्मन बुर्ज - जहाँ मुग़ल शासक [[शाहजहाँ]] की मौत 1666 ए. डी. में हुई। | ||
*जहाँगीर का महल | *जहाँगीर का महल | ||
*ख़ास महल | *ख़ास महल | ||
*शीश | *शीश महल | ||
*आगरा का क़िला मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, यह भारत में ' | *आगरा का क़िला [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] का उत्कृष्ट उदाहरण है, यह [[भारत]] में '[[यूनेस्को]] के विश्व विरासत स्थलों' में से एक है। | ||
[[चित्र:Akbar-Supervises-Agra-Fort.jpg|thumb|left|[[अकबरनामा]] के अनुसार आगरा क़िले का निर्माण होता देखते सम्राट [[अकबर]]]] | |||
==क़िले का निर्माण== | ==क़िले का निर्माण== | ||
आगरा के क़िले का निर्माण 1656 के लगभग | आगरा के क़िले का निर्माण 1656 के लगभग शुरू हुआ था। इसकी संरचना [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] ने निर्मित करवाई थी। इसके बाद का निर्माण उनके पोते [[शाहजहाँ]] ने कराया। शाहजहाँ ने क़िले में सबसे अधिक संगमरमर लगवाया। यह क़िला अर्ध चंद्राकार बना हुआ है जो पूर्व की दिशा में चपटा है और इसकी एक सीधी और लम्बी दीवार नदी की ओर जाती है। इस पर लाल सैंडस्टोन की दोहरी प्राचीर बनी हैं। बाहरी दीवार की चौड़ाई 9 मीटर मोटी है। एक और आगे बढ़ती 22 मीटर ऊंची अंदरुनी दीवार अपराजेय है। क़िले की रूपरेखा [[यमुना नदी]] की दिशा में है, जो उन दिनों इसके पास से बहती थी। इसका मुख्य अक्ष नदी के समानान्तर है और दीवारें शहर की ओर हैं। | ||
==क़िले की संरचना== | ==क़िले की संरचना== | ||
इस क़िले के मूलत: चार प्रवेश द्वार थे, जिनमें से दो को बाद में बंद कर दिया गया था। आज पर्यटकों को अमरसिंह दरवाज़े से प्रवेश करने की अनुमति है। ' | इस क़िले के मूलत: चार प्रवेश द्वार थे, जिनमें से दो को बाद में बंद कर दिया गया था। आज पर्यटकों को [[राणा अमरसिंह]] दरवाज़े से प्रवेश करने की अनुमति है। '[[जहाँगीरी महल]]' पहला उल्लेखनीय भवन है जो अमरसिंह नामक प्रवेश द्वार से आने पर अतिथि सबसे पहले देखते हैं। [[जहाँगीर]] अकबर का बेटा था और वह मु्ग़ल साम्राज्य का उत्तराधिकारी भी था। जहाँगीर महल का निर्माण अकबर ने महिलाओं के लिए कराया था। यह पत्थरों से बना हुआ है और इसकी बाहरी सजावट बहुत ही सादगी वाली है। पत्थरों के बड़े कटोरे पर सजावटी पर्शियन पच्चीकारी की गई है, जो संभवत: सुगंधित गुलाबजल को रखने के लिए बनाया गया था। अकबर ने जहाँगीर महल के पास अपनी प्रिय रानी [[जोधाबाई]] के लिए एक महल का निर्माण भी कराया था। | ||
==ख़ासमहल== | ==ख़ासमहल== | ||
शाहजहाँ द्वारा पूरी तरह से संगमरमर का बना हुआ '''ख़ासमहल''' विशिष्ट इस्लामिक-पर्शियन विशेषताओं का उत्कृष्ट उदाहरण है। इनके साथ हिन्दुओं की वास्तुकला की अद्भुत छतरियों को मिलाया गया है। यह बादशाह का सोने का कमरा या आरामगाह माना जाता है। ख़ासमहल में | [[चित्र:Jahangir-At-Jharoka-Window-Agra-Fort.jpg|thumb|250px|आगरा क़िले की झरोखा ख़िड़की में [[जहाँगीर]]]] | ||
शाहजहाँ द्वारा पूरी तरह से संगमरमर का बना हुआ '''ख़ासमहल''' विशिष्ट इस्लामिक-पर्शियन विशेषताओं का उत्कृष्ट उदाहरण है। इनके साथ हिन्दुओं की वास्तुकला की अद्भुत छतरियों को मिलाया गया है। यह बादशाह का सोने का कमरा या आरामगाह माना जाता है। ख़ासमहल में सफ़ेद संगमरमर की सतह पर [[चित्रकला]] का सबसे उत्कृष्ट चित्रांकन किया गया है। ख़ासमहल की बाईं ओर 'मुसम्मन बुर्ज' है कहा जाता है कि इसका निर्माण शाहजहाँ ने कराया था। यह सुंदर अष्टभुजी स्तंभ एक खुले मंडप के साथ बना है। इसका खुलापन, ऊंचाइयाँ और शाम की ठण्डी हवाएं इसकी कहानी खुद कहती हैं। कहा जाता है कि यही वह जगह है जहाँ शाहजहाँ ने ताजमहल को निहारते हुए अंतिम सांसें ली थी। | |||
==शीशमहल== | ==शीशमहल== | ||
शीशमहल या कांच का बना हुआ महल हमाम के अंदर सजावटी पानी वास्तुकला का उत्कृष्टतम उदाहरण है। यह माना जाता है कि हरम या कपड़े पहनने का कक्ष और इसकी दीवारों में छोटे छोटे शीशे लगाए गए थे जो [[भारत]] में कांच | शीशमहल या कांच का बना हुआ महल हमाम के अंदर सजावटी पानी वास्तुकला का उत्कृष्टतम उदाहरण है। यह माना जाता है कि हरम या कपड़े पहनने का कक्ष और इसकी दीवारों में छोटे छोटे शीशे लगाए गए थे जो [[भारत]] में कांच की सजावट का सबसे अच्छा नमूना है। शाही महल के दाईं ओर दीवान-ए-ख़ास है, जो निजी श्रोताओं के लिए है। यहाँ बने संगमरमर के खम्भों में सजावटी फूलों के पैटर्न पर अर्ध्द कीमती पत्थर लगाए गए हैं। इसके पास मम्मम-शाही या 'शाहबुर्ज' को गर्मी के मौसम में काम में लिया जाता था। | ||
==दीवान-ए-आम== | ==दीवान-ए-आम== | ||
'दीवान-ए-आम' में प्रसिद्ध 'मयूर सिंहासन' रक्खा जाता था, जिसे शाहजहाँ ने | 'दीवान-ए-आम' में प्रसिद्ध 'मयूर सिंहासन' रक्खा जाता था, जिसे शाहजहाँ ने राजधानी दिल्ली से ला कर लालक़िले में रक्खा गया था। यह सिंहासन सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ उत्कृष्ट कला का नमूना है। | ||
==नगीना मस्जिद== | ==नगीना मस्जिद== | ||
नगीना मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ ने कराया था, जो दरबार की महिलाओं के लिए एक निजी | नगीना मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ ने कराया था, जो दरबार की महिलाओं के लिए एक निजी मस्जिद थी। | ||
==मोती | [[चित्र:Fort-Of-Agra-On-The-River-Jumna.jpg|thumb|300px|left|[[यमुना नदी]] से आगरा क़िले का एक दृश्य]] | ||
मोती | ==मोती मस्जिद== | ||
मोती मस्जिद आगरा क़िले की सबसे सुंदर रचना है। यह भवन आजकल दर्शकों के लिए बंद किया गया है। मोती मस्जिद के पास 'मीना मस्जिद' है, जिसे शाहजहाँ ने केवल अपने निजी उपयोग के लिए बनवाया था। | |||
==ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम== | |||
क़िले की दर-ओ दीवार आकर्षक रोशनी से रोशन होती और पार्श्व में इतिहास की गाथा दमदार आवाज़ के साथ सुनाई देती है। छह साल बाद आगरा क़िला फिर से इस अंदाज़ में पर्यटकों को इतिहास के पन्नों से रुबरू कराने के लिए तैयार है। पौने दो करोड़ रुपये खर्च कर बंद पड़े 'ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम' का अधिकारियों की मौजूदगी में अभ्यास होगा। आगरा क़िले में होने वाला 'ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम' [[वर्ष]] [[2004]] से बंद पड़ा था। केंद्र सरकार ने इस कार्यक्रम को दोबारा शुरू करने के लिए 1.76 करोड़ रुपये के बजट को स्वीकृति दी थी। अब योजना पूरी कर ली गई और कार्यक्रम शुरू होने के लिए पूरी तैयार है। सूत्रों के मुताबिक़ इस बार कार्यक्रम को बिल्कुल नये अंदाज़ में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके लिए आधुनिक उपकरण और मशीनें लगाई गई हैं, जिससे प्रस्तुति पहले से कहीं ज़्यादा बेहतर होगी। | |||
गौरतलब है कि ताजनगरी आने वाले पर्यटकों के रात्रि प्रवास को आकर्षित करने के लिए पूर्व में पर्यटन विभाग ने यह कार्यक्रम शुरू किया था। क़िला बंद होने के बाद शाम को होने वाले इस कार्यक्रम में ध्वनि और प्रकाश संयोजन के साथ क़िले से जुड़े इतिहास को रोचक अंदाज़ में प्रस्तुत किया जाता था। 2004 से बंद पड़े इस शो को शुरू कराने की जब पर्यटन संस्थाओं और जन प्रतिनिधियों ने माँग उठाई और मामला [[विधानसभा]] तक पहुँच गया तो प्रस्ताव '''केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय''' को भेज दिया गया। जहाँ से बजट मिलने के बाद इसे दोबारा तैयार किया गया है। यह कार्यक्रम [[हिन्दी]] और [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] में अलग-अलग प्रस्तुत किया जाएगा। | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
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07:23, 13 नवम्बर 2021 के समय का अवतरण
लाल क़िला | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- लाल क़िला (बहुविकल्पी) |
लाल क़िला आगरा
| |
विवरण | आगरा में ताजमहल से थोड़ी दूर पर 16 वीं शताब्दी में बना महत्वपूर्ण मुग़ल स्मारक है, जो 'आगरा का लाल क़िला' नाम से विख्यात है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | आगरा |
निर्माता | अकबर |
निर्माण काल | 1565 ई.-1573 ई. |
स्थापना | 1573 ई. |
मार्ग स्थिति | आगरा कैंट रेलवे स्टेशन से 4.5 किमी की दूरी पर स्थित है। |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज, रेल, बस, टैक्सी |
आगरा हवाई अड्डा | |
आगरा कैंट रेलवे स्टेशन, आगरा फ़ोर्ट रेलवे स्टेशन | |
ईदगाह बस स्टैंड | |
टैक्सी, ऑटो-रिक्शा, साइकिल रिक्शा, बस आदि। | |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
एस.टी.डी. कोड | 0562 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र | |
संबंधित लेख | ताजमहल, फ़तेहपुर सीकरी, सिकंदरा, जामा मस्जिद
|
अन्य जानकारी | इसे अंदर से ईंटों से बनवाया गया और बाहरी आवरण के लिये लाल बलुआ पत्थर लगवाया गया। इसके नये रूप को बनाने में चौदह लाख, चौवालीस हज़ार कारीगर व मज़दूरों ने आठ वर्षों तक मेहनत की। |
आगरा में ताजमहल से थोड़ी दूर पर 16 वीं शताब्दी में बना महत्वपूर्ण मुग़ल स्मारक है, जो आगरा का लाल क़िला नाम से विख्यात है। यह शक्तिशाली क़िला लाल सैंड स्टोन से बना हुआ है। यह 2.5 किलोमीटर लम्बी दीवार से घिरा हुआ है। यह मुग़ल शासकों का शाही शहर कहा जाता है। इस क़िले की बाहरी मज़बूत दीवारें अपने अंदर एक स्वर्ग को छुपाए हैं। इस क़िले में अनेक विशिष्ट भवन हैं।
विशिष्ट भवन
- 'मोती मस्जिद' सफ़ेद संगमरमर से बनी है, जो एक त्रुटि रहित मोती जैसी है।
- दीवान ए आम
- दीवान ए ख़ास
- मुसम्मन बुर्ज - जहाँ मुग़ल शासक शाहजहाँ की मौत 1666 ए. डी. में हुई।
- जहाँगीर का महल
- ख़ास महल
- शीश महल
- आगरा का क़िला मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, यह भारत में 'यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों' में से एक है।
क़िले का निर्माण
आगरा के क़िले का निर्माण 1656 के लगभग शुरू हुआ था। इसकी संरचना मुग़ल बादशाह अकबर ने निर्मित करवाई थी। इसके बाद का निर्माण उनके पोते शाहजहाँ ने कराया। शाहजहाँ ने क़िले में सबसे अधिक संगमरमर लगवाया। यह क़िला अर्ध चंद्राकार बना हुआ है जो पूर्व की दिशा में चपटा है और इसकी एक सीधी और लम्बी दीवार नदी की ओर जाती है। इस पर लाल सैंडस्टोन की दोहरी प्राचीर बनी हैं। बाहरी दीवार की चौड़ाई 9 मीटर मोटी है। एक और आगे बढ़ती 22 मीटर ऊंची अंदरुनी दीवार अपराजेय है। क़िले की रूपरेखा यमुना नदी की दिशा में है, जो उन दिनों इसके पास से बहती थी। इसका मुख्य अक्ष नदी के समानान्तर है और दीवारें शहर की ओर हैं।
क़िले की संरचना
इस क़िले के मूलत: चार प्रवेश द्वार थे, जिनमें से दो को बाद में बंद कर दिया गया था। आज पर्यटकों को राणा अमरसिंह दरवाज़े से प्रवेश करने की अनुमति है। 'जहाँगीरी महल' पहला उल्लेखनीय भवन है जो अमरसिंह नामक प्रवेश द्वार से आने पर अतिथि सबसे पहले देखते हैं। जहाँगीर अकबर का बेटा था और वह मु्ग़ल साम्राज्य का उत्तराधिकारी भी था। जहाँगीर महल का निर्माण अकबर ने महिलाओं के लिए कराया था। यह पत्थरों से बना हुआ है और इसकी बाहरी सजावट बहुत ही सादगी वाली है। पत्थरों के बड़े कटोरे पर सजावटी पर्शियन पच्चीकारी की गई है, जो संभवत: सुगंधित गुलाबजल को रखने के लिए बनाया गया था। अकबर ने जहाँगीर महल के पास अपनी प्रिय रानी जोधाबाई के लिए एक महल का निर्माण भी कराया था।
ख़ासमहल
शाहजहाँ द्वारा पूरी तरह से संगमरमर का बना हुआ ख़ासमहल विशिष्ट इस्लामिक-पर्शियन विशेषताओं का उत्कृष्ट उदाहरण है। इनके साथ हिन्दुओं की वास्तुकला की अद्भुत छतरियों को मिलाया गया है। यह बादशाह का सोने का कमरा या आरामगाह माना जाता है। ख़ासमहल में सफ़ेद संगमरमर की सतह पर चित्रकला का सबसे उत्कृष्ट चित्रांकन किया गया है। ख़ासमहल की बाईं ओर 'मुसम्मन बुर्ज' है कहा जाता है कि इसका निर्माण शाहजहाँ ने कराया था। यह सुंदर अष्टभुजी स्तंभ एक खुले मंडप के साथ बना है। इसका खुलापन, ऊंचाइयाँ और शाम की ठण्डी हवाएं इसकी कहानी खुद कहती हैं। कहा जाता है कि यही वह जगह है जहाँ शाहजहाँ ने ताजमहल को निहारते हुए अंतिम सांसें ली थी।
शीशमहल
शीशमहल या कांच का बना हुआ महल हमाम के अंदर सजावटी पानी वास्तुकला का उत्कृष्टतम उदाहरण है। यह माना जाता है कि हरम या कपड़े पहनने का कक्ष और इसकी दीवारों में छोटे छोटे शीशे लगाए गए थे जो भारत में कांच की सजावट का सबसे अच्छा नमूना है। शाही महल के दाईं ओर दीवान-ए-ख़ास है, जो निजी श्रोताओं के लिए है। यहाँ बने संगमरमर के खम्भों में सजावटी फूलों के पैटर्न पर अर्ध्द कीमती पत्थर लगाए गए हैं। इसके पास मम्मम-शाही या 'शाहबुर्ज' को गर्मी के मौसम में काम में लिया जाता था।
दीवान-ए-आम
'दीवान-ए-आम' में प्रसिद्ध 'मयूर सिंहासन' रक्खा जाता था, जिसे शाहजहाँ ने राजधानी दिल्ली से ला कर लालक़िले में रक्खा गया था। यह सिंहासन सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ उत्कृष्ट कला का नमूना है।
नगीना मस्जिद
नगीना मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ ने कराया था, जो दरबार की महिलाओं के लिए एक निजी मस्जिद थी।
मोती मस्जिद
मोती मस्जिद आगरा क़िले की सबसे सुंदर रचना है। यह भवन आजकल दर्शकों के लिए बंद किया गया है। मोती मस्जिद के पास 'मीना मस्जिद' है, जिसे शाहजहाँ ने केवल अपने निजी उपयोग के लिए बनवाया था।
ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम
क़िले की दर-ओ दीवार आकर्षक रोशनी से रोशन होती और पार्श्व में इतिहास की गाथा दमदार आवाज़ के साथ सुनाई देती है। छह साल बाद आगरा क़िला फिर से इस अंदाज़ में पर्यटकों को इतिहास के पन्नों से रुबरू कराने के लिए तैयार है। पौने दो करोड़ रुपये खर्च कर बंद पड़े 'ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम' का अधिकारियों की मौजूदगी में अभ्यास होगा। आगरा क़िले में होने वाला 'ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम' वर्ष 2004 से बंद पड़ा था। केंद्र सरकार ने इस कार्यक्रम को दोबारा शुरू करने के लिए 1.76 करोड़ रुपये के बजट को स्वीकृति दी थी। अब योजना पूरी कर ली गई और कार्यक्रम शुरू होने के लिए पूरी तैयार है। सूत्रों के मुताबिक़ इस बार कार्यक्रम को बिल्कुल नये अंदाज़ में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके लिए आधुनिक उपकरण और मशीनें लगाई गई हैं, जिससे प्रस्तुति पहले से कहीं ज़्यादा बेहतर होगी।
गौरतलब है कि ताजनगरी आने वाले पर्यटकों के रात्रि प्रवास को आकर्षित करने के लिए पूर्व में पर्यटन विभाग ने यह कार्यक्रम शुरू किया था। क़िला बंद होने के बाद शाम को होने वाले इस कार्यक्रम में ध्वनि और प्रकाश संयोजन के साथ क़िले से जुड़े इतिहास को रोचक अंदाज़ में प्रस्तुत किया जाता था। 2004 से बंद पड़े इस शो को शुरू कराने की जब पर्यटन संस्थाओं और जन प्रतिनिधियों ने माँग उठाई और मामला विधानसभा तक पहुँच गया तो प्रस्ताव केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय को भेज दिया गया। जहाँ से बजट मिलने के बाद इसे दोबारा तैयार किया गया है। यह कार्यक्रम हिन्दी और अंग्रेज़ी में अलग-अलग प्रस्तुत किया जाएगा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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