"सदस्य:गोविन्द राम/sandbox4": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 46 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[कृष्ण जन्माष्टमी]]'''</div>
==कालसी==
<div style="color:#993300"> [[चित्र:Vasudev-Krishna.jpg|right|150px|right|बाल कृष्ण को यमुना पार ले जाते वसुदेव |link=कृष्ण जन्माष्टमी]]
*कालसी<ref>इस अभिलेख की केवल आरम्भिक पंक्तियाँ ही सभी संस्करणों में पायी जाती हैं।</ref>
*कृष्ण जन्माष्टमी भगवान [[श्री कृष्ण]] का जनमोत्सव है। भगवान [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
{| class="bharattable-purple"
*श्रीकृष्ण का जन्म [[भाद्रपद]] कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में [[देवकी]] [[वसुदेव|श्रीवसुदेव]] के पुत्ररूप में हुआ था। [[कंस]] ने अपनी मृत्यु के भय से बहन देवकी और वसुदेव को कारागार में क़ैद किया हुआ था।
|+ कालसी शिलालेख
*श्रीकृष्ण का अवतरण होते ही वसुदेव–देवकी की बेड़ियाँ खुल गईं, कारागार के द्वार स्वयं ही खुल गए, पहरेदार गहरी निद्रा में सो गए। वसुदेव किसी तरह श्रीकृष्ण को उफनती [[यमुना नदी|यमुना]] के पार [[गोकुल]] में अपने मित्र [[नंद|नन्दगोप]] के घर ले गए।
|-
*[[मथुरा]] में [[कृष्ण जन्मभूमि]] के अवसर पर देश–विदेश से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती हें और पूरे दिन व्रत रखकर नर-नारी तथा बच्चे रात्रि 12 बजे मन्दिरों में [[अभिषेक]] होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं।
! क्रमांक
*जन्माष्टमी के अवसर पर मन्दिरों को अति सुन्दर ढंग से सजाया जाता है तथा मध्यरात्रि को प्रार्थना की जाती है। श्रीकृष्ण की मूर्ति बनाकर उसे एक पालने में रखा जाता है तथा उसे धीरे–धीरे से हिलाया जाता है। लोग सारी रात आरती और भजन-कीर्तन करते हैं।
! शिलालेख
*कृष्ण जन्म स्थान के अलावा [[द्वारिकाधीश मन्दिर मथुरा|द्वारकाधीश]], [[बांके बिहारी मन्दिर वृन्दावन|बिहारीजी]] एवं अन्य सभी मन्दिरों में इसका भव्य आयोजन होता हैं , जिनमें भारी भीड़ होती है।  [[कृष्ण जन्माष्टमी|.... और पढ़ें]]
! अनुवाद
</div>
|-
| 1.
| देवानंपिये पियदसि लाजा आहा [।] जने उचावुचं मंगलं कलेति [।] आबाधसि अवाहसि विवाहसि पजोपदाये पवाससि एताये अंनाये चा एदिसाये जने मंगलं कलेति [।] हेतु चु अबकजनियों बहु चा बहुविधं चा खुदा चा निलथिया चा मंगलं कलंति []
|
|-
| 2.
| से कटवि चेव खो मंगले [] अपफले वु खो एसे [] इयं चु खो महाफले ये धंममगले [] हेता इयं दासभटकसि सम्यापटिपाति गुलुना अपचिति पानानं समये समनबंभनान दाने एसे अंने चा हेडिसे तं धंममगले नामा [] से वतलिये पितिना पि पुतेन पि भातिना पि सुवामिकेना पि मितसंथुनेता आय पटिवेसियेना पि
|
|-
| 3.
| इयं साधु इयं कटविये मगले आव तसा अथसा निवुतिया [] इमं कथमिति []<ref>इसके आगे गिरनार, धौली और जौगड़ में सर्वथा भिन्न पंक्तिया हैं।</ref>
|
|-
|}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
__NOTOC__

12:00, 22 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

कालसी

  • कालसी[1]
कालसी शिलालेख
क्रमांक शिलालेख अनुवाद
1. देवानंपिये पियदसि लाजा आहा [।] जने उचावुचं मंगलं कलेति [।] आबाधसि अवाहसि विवाहसि पजोपदाये पवाससि एताये अंनाये चा एदिसाये जने मंगलं कलेति [।] हेतु चु अबकजनियों बहु चा बहुविधं चा खुदा चा निलथिया चा मंगलं कलंति [।]
2. से कटवि चेव खो मंगले [।] अपफले वु खो एसे [।] इयं चु खो महाफले ये धंममगले [।] हेता इयं दासभटकसि सम्यापटिपाति गुलुना अपचिति पानानं समये समनबंभनान दाने एसे अंने चा हेडिसे तं धंममगले नामा [।] से वतलिये पितिना पि पुतेन पि भातिना पि सुवामिकेना पि मितसंथुनेता आय पटिवेसियेना पि
3. इयं साधु इयं कटविये मगले आव तसा अथसा निवुतिया [।] इमं कथमिति [।][2]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इस अभिलेख की केवल आरम्भिक पंक्तियाँ ही सभी संस्करणों में पायी जाती हैं।
  2. इसके आगे गिरनार, धौली और जौगड़ में सर्वथा भिन्न पंक्तिया हैं।