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*गुरु रामदास ने 'सतोषसर' नामक पवित्र सरोवर की खुदाई भी आरंभ कराई थी।
*गुरु रामदास के समय में लोगों से 'गुरु' के लिए चंदा या दान लेना शुरू हुआ। वे बड़े साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। इस कारण सम्राट [[अकबर]] भी उनका सम्मान करता था।
*गुरु रामदास के कहने पर अकबर ने एक वर्ष [[पंजाब]] से लगान नहीं लिया।
*इस कारण गुरु की गद्दी को लोगों से पर्याप्त धन प्राप्त हो गया था।
*गुरु रामदास के बाद गुरु की गद्दी वंश-परंपरा में चलने लगी।
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==संबंधित लेख==
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07:15, 20 अगस्त 2023 के समय का अवतरण

गुरु रामदास

गुरु रामदास (जन्म- 24 सितम्बर, 1534 ई.; मृत्यु- 1 सितम्बर, 1581) सिक्खों के चौथे गुरु थे। इन्होंने सिक्ख धर्म के सबसे प्रमुख पद गुरु को 1 सितम्बर, 1574 ई. में प्राप्त किया था। इस पद पर ये 1 सितम्बर, 1581 ई. तक बने रहे थे। ये सिक्खों के तीसरे गुरु अमरदास के दामाद थे। इन्होंने 1577 ई. में 'अमृत सरोवर' नामक एक नये नगर की स्थापना की थी, जो आगे चलकर अमृतसर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

  • गुरु रामदास ने 'सतोषसर' नामक पवित्र सरोवर की खुदाई भी आरंभ कराई थी।
  • गुरु रामदास के समय में लोगों से 'गुरु' के लिए चंदा या दान लेना शुरू हुआ। वे बड़े साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। इस कारण सम्राट अकबर भी उनका सम्मान करता था।
  • गुरु रामदास के कहने पर अकबर ने एक वर्ष पंजाब से लगान नहीं लिया।
  • इस कारण गुरु की गद्दी को लोगों से पर्याप्त धन प्राप्त हो गया था।
  • गुरु रामदास के बाद गुरु की गद्दी वंश-परंपरा में चलने लगी।
  • उन्होंने अपने पुत्र गुरु अर्जुन देव को अपने बाद गुरु नियुक्त किया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 234।

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