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{{सूचना बक्सा खाद्य पदार्थ
==कालसी==
|चित्र=Aloo-carrot-paratha.jpg
*कालसी<ref>इस अभिलेख की केवल आरम्भिक पंक्तियाँ ही सभी संस्करणों में पायी जाती हैं।</ref>
|चित्र का नाम=आलू का परांठा
{| class="bharattable-purple"
|अन्य नाम=पराठा, परौठा, परांठा, परांवठा
|+ कालसी शिलालेख
|देश=भारत
|-
|क्षेत्र=पूरे भारत में खाया जाता है।
! क्रमांक
|मुख्य सामग्री=आटा, आलू
! शिलालेख
|शीर्षक 1=जीरा
! अनुवाद
|पाठ 1=5 ग्राम
|-
|शीर्षक 2=नमक
| 1.
|पाठ 2=5 ग्राम
| देवानंपिये पियदसि लाजा आहा [।] जने उचावुचं मंगलं कलेति [।] आबाधसि अवाहसि विवाहसि पजोपदाये पवाससि एताये अंनाये चा एदिसाये जने मंगलं कलेति [।] हेतु चु अबकजनियों बहु चा बहुविधं चा खुदा चा निलथिया चा मंगलं कलंति [।]
|शीर्षक 3=शीर्षक 3
|  
|पाठ 3=5 ग्राम
|-
|शीर्षक 4=शीर्षक 4
| 2.
|पाठ 4=5 ग्राम
| से कटवि चेव खो मंगले [।] अपफले वु खो एसे [।] इयं चु खो महाफले ये धंममगले [।] हेता इयं दासभटकसि सम्यापटिपाति गुलुना अपचिति पानानं समये समनबंभनान दाने एसे अंने चा हेडिसे तं धंममगले नामा [।] से वतलिये पितिना पि पुतेन पि भातिना पि सुवामिकेना पि मितसंथुनेता आय पटिवेसियेना पि
|शीर्षक 5=शीर्षक 5
|  
|पाठ 5=5 ग्राम
|-
|शीर्षक 6=शीर्षक 6
| 3.
|पाठ 6=5 ग्राम
| इयं साधु इयं कटविये मगले आव तसा अथसा निवुतिया [।] इमं कथमिति [।]<ref>इसके आगे गिरनार, धौली और जौगड़ में सर्वथा भिन्न पंक्तिया हैं।</ref>
|शीर्षक 7=शीर्षक 7
|  
|पाठ 7=5 ग्राम
|-
|शीर्षक 8=शीर्षक 8
|}
|पाठ 8=5 ग्राम
 
|पकाने की विधि=चूल्हा, गैस आदि
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
|भोज्य प्रकार=शुद्ध शाकाहारी भोजन
<references/>
|संबंधित लेख=abc
__NOTOC__
|अन्य जानकारी=aaa
|बाहरी कड़ियाँ=bbb
}}

12:00, 22 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

कालसी

  • कालसी[1]
कालसी शिलालेख
क्रमांक शिलालेख अनुवाद
1. देवानंपिये पियदसि लाजा आहा [।] जने उचावुचं मंगलं कलेति [।] आबाधसि अवाहसि विवाहसि पजोपदाये पवाससि एताये अंनाये चा एदिसाये जने मंगलं कलेति [।] हेतु चु अबकजनियों बहु चा बहुविधं चा खुदा चा निलथिया चा मंगलं कलंति [।]
2. से कटवि चेव खो मंगले [।] अपफले वु खो एसे [।] इयं चु खो महाफले ये धंममगले [।] हेता इयं दासभटकसि सम्यापटिपाति गुलुना अपचिति पानानं समये समनबंभनान दाने एसे अंने चा हेडिसे तं धंममगले नामा [।] से वतलिये पितिना पि पुतेन पि भातिना पि सुवामिकेना पि मितसंथुनेता आय पटिवेसियेना पि
3. इयं साधु इयं कटविये मगले आव तसा अथसा निवुतिया [।] इमं कथमिति [।][2]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इस अभिलेख की केवल आरम्भिक पंक्तियाँ ही सभी संस्करणों में पायी जाती हैं।
  2. इसके आगे गिरनार, धौली और जौगड़ में सर्वथा भिन्न पंक्तिया हैं।