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| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
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| <quiz display=simple>
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| { यह कौन है? <br />
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| [[चित्र:Swami-Vivekananda.jpg|link=||200px]]
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| | type="()" }
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| - [[किशोर कुमार]]
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| - [[विद्यानंद जी महाराज]]
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| - [[रामकृष्ण परमहंस]]
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| + [[स्वामी विवेकानन्द]]
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| || '''स्वामी विवेकानन्द''' (जन्म- [[12 जनवरी]], 1863, कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]), [[भारत]]; मृत्यु- [[4 जुलाई]], [[1902]], [[रामकृष्ण मठ]], [[बेलूर]]) एक युवा संन्यासी के रूप में भारतीय संस्कृति की सुगन्ध विदेशों में बिखरने वाले साहित्य, दर्शन और इतिहास के प्रकाण्ड विद्वान थे। विवेकानन्द जी का मूल नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, जो कि आगे चलकर स्वामी विवेकानन्द के नाम से विख्यात हुए। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[स्वामी विवेकानन्द]]
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| { यह कौन-सा [[वाद्य यंत्र]] है? <br />
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| [[चित्र:Mridangam.jpg|link=||200px]]
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| | type="()" }
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| - [[तबला]]
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| + [[मृदंग]]
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| - [[ढोल]]
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| - [[नगाड़ा]]
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| || मृदंग दक्षिण [[भारत]] का एक थाप [[यंत्र]] है। [[भारत]] में [[संगीत]] का प्रचलन बहुत पुराना है। मृदंग को मृदंग खोल, मृदंगम आदि भी कहा जाता है। मृदंग प्राचीन संगीत वाद्य है जो चमड़े से मढ़ा हुआ होता है और ऐसे वाद्यों को अवनद्ध कहा जाता है। [[ढोल]], [[नगाड़ा]], [[तबला]], ढप, खँजड़ी आदि को भी अवनद्ध कहा जाता है। वर्तमान में भी [[भारत]] के लोकसंगीत में ढोल, मृदंग, [[झांझ]], [[मंजीरा]], ढप, नगाड़ा, पखावज, एकतारा आदि वाद्य यंत्रों का प्रचलन है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मृदंग]]
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| { यह कौन-सा महल है? <br />
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| [[चित्र:Thibaw-Palace.jpg|link=||250px]]
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| | type="()" }
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| + थीवा महल, [[रत्नागिरी]]
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| - रत्नागिरी दुर्ग
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| - [[सुमेर महल बेंगळूरू|सुमेर महल]], [[बेंगळूरू]]
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| - [[महाराजा पैलेस मैसूर]]
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| || [[बाल गंगाधर तिलक]] की यह जन्मस्थली (रत्नागिरी) [[भारत]] के [[महाराष्ट्र]] राज्य के दक्षिण-पश्चिम भाग में [[अरब सागर]] के तट पर स्थित है। रत्नागिरी कोंकण क्षेत्र का ही एक भाग है। रत्नागिरी में बहुत लंबा समुद्र तट हैं। रत्नागिरी में कई बंदरगाह भी हैं। रत्नागिरी क्षेत्र पश्िचम में सहाद्री पहाड़ी से घिरा हुआ है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रत्नागिरी]]
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| {{चित्र सामान्य ज्ञान}}
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| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
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