"अभिमान": अवतरणों में अंतर
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*वे जिस दल के साथ जा रहे थे, उसका नियम था- कि आधी रात को उठकर प्रार्थना करना। | |||
*एक दिन आधी रात के समय सादी और उनके पिता उठे। | *एक दिन आधी रात के समय सादी और उनके पिता उठे। | ||
*शेख सादी और उसके पिता ने प्रार्थना की; परंतु दूसरे लोगों को सोते देखकर सादी ने पिता से कहा-'देखिये ये लोग कितने आलसी है, न उठते है, न प्रार्थना करते हैं। | *शेख सादी और उसके पिता ने प्रार्थना की; परंतु दूसरे लोगों को सोते देखकर सादी ने पिता से कहा- 'देखिये ये लोग कितने आलसी है, न उठते है, न प्रार्थना करते हैं।' | ||
*पिता ने कड़े शब्दों में कहा अरे सादी बेटा तू भी न उठता तो अच्छा होता। | *पिता ने कड़े शब्दों में कहा- 'अरे! सादी बेटा, तू भी न उठता तो अच्छा होता। | ||
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07:35, 15 मई 2014 के समय का अवतरण
- 'काम', 'क्रोध', 'लोभ', 'मोह' और 'अहंकार' को हमारे पाँच विकारों में गिना जाता है।
- इनमें अंतिम विकार अहंकार है, जिसे 'अभिमान' भी कहते हैं।
- किसी व्यक्ति के पास जब कोई विशेष पदार्थ अथवा गुण आ जाए तो वह अपने आप को सबसे श्रेष्ठ समझने लगता है। इसे अभिमान कहते हैं।
- अहंकार मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है।
- अहंकार के कई कारण होते हैं जैसे राजनीतिक सत्ता, संपत्ति, पदवी, ज्ञान, शिक्षा, सामाजिक प्रतिष्ठा, शारीरिक बल, सौंदर्य आदि।
अभिमान से सम्बन्धित कथा
- शेख सादी लड़कपन में अपने पिता के साथ मक्का जा रहे थे।
- वे जिस दल के साथ जा रहे थे, उसका नियम था- कि आधी रात को उठकर प्रार्थना करना।
- एक दिन आधी रात के समय सादी और उनके पिता उठे।
- शेख सादी और उसके पिता ने प्रार्थना की; परंतु दूसरे लोगों को सोते देखकर सादी ने पिता से कहा- 'देखिये ये लोग कितने आलसी है, न उठते है, न प्रार्थना करते हैं।'
- पिता ने कड़े शब्दों में कहा- 'अरे! सादी बेटा, तू भी न उठता तो अच्छा होता।
- जल्दी उठकर दूसरों की निन्दा करने से तो न उठना ही ठीक था।'
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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