"ले चल वहाँ भुलावा देकर -जयशंकर प्रसाद": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replace - " सन " to " सन् ")
 
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
|जन्म=[[30 जनवरी]], 1889  
|जन्म=[[30 जनवरी]], 1889  
|जन्म स्थान=[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]]
|जन्म स्थान=[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]]
|मृत्यु=[[15 नवम्बर]], सन 1937
|मृत्यु=[[15 नवम्बर]], सन् 1937
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु स्थान=
|मुख्य रचनाएँ=चित्राधार, [[कामायनी]], आँसू, लहर, झरना, एक घूँट, विशाख, [[अजातशत्रु नाटक|अजातशत्रु]]
|मुख्य रचनाएँ=चित्राधार, [[कामायनी]], आँसू, लहर, झरना, एक घूँट, विशाख, [[अजातशत्रु नाटक|अजातशत्रु]]
पंक्ति 51: पंक्ति 51:
अमर जागरण उषा नयन से-       
अमर जागरण उषा नयन से-       
बिखराती हो ज्योति घनी रे !  
बिखराती हो ज्योति घनी रे !  
</poem>
</poem>
{{Poemclose}}
{{Poemclose}}
 
{| width="100%"
|-
|
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{भारत के कवि}}
[[Category:पद्य साहित्य]][[Category:जयशंकर प्रसाद]][[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]]
[[Category:पद्य साहित्य]][[Category:जयशंकर प्रसाद]][[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]]
|}
__INDEX__
__INDEX__

14:13, 6 मार्च 2012 के समय का अवतरण

ले चल वहाँ भुलावा देकर -जयशंकर प्रसाद
जयशंकर प्रसाद
जयशंकर प्रसाद
कवि जयशंकर प्रसाद
जन्म 30 जनवरी, 1889
जन्म स्थान वाराणसी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 15 नवम्बर, सन् 1937
मुख्य रचनाएँ चित्राधार, कामायनी, आँसू, लहर, झरना, एक घूँट, विशाख, अजातशत्रु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ

ले चल वहाँ भुलावा देकर
मेरे नाविक ! धीरे-धीरे ।
                           
जिस निर्जन में सागर लहरी,
अम्बर के कानों में गहरी,
निश्छल प्रेम-कथा कहती हो-
तज कोलाहल की अवनी रे ।
जहाँ साँझ-सी जीवन-छाया,
ढीली अपनी कोमल काया,
नील नयन से ढुलकाती हो-
ताराओं की पाँति घनी रे ।

                           
जिस गम्भीर मधुर छाया में,
विश्व चित्र-पट चल माया में,
विभुता विभु-सी पड़े दिखाई-
दुख-सुख बाली सत्य बनी रे ।
श्रम-विश्राम क्षितिज-वेला से
जहाँ सृजन करते मेला से,
अमर जागरण उषा नयन से-
बिखराती हो ज्योति घनी रे !

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख