"जियो जियो अय हिन्दुस्तान -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Dinkar.jpg |चि...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " जगत " to " जगत् ") |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
|चित्र का नाम=रामधारी सिंह दिनकर | |चित्र का नाम=रामधारी सिंह दिनकर | ||
|कवि=[[रामधारी सिंह दिनकर]] | |कवि=[[रामधारी सिंह दिनकर]] | ||
|जन्म=[[23 सितंबर]], | |जन्म=[[23 सितंबर]], सन् 1908 | ||
|जन्म स्थान=सिमरिया, ज़िला मुंगेर ([[बिहार]]) | |जन्म स्थान=सिमरिया, ज़िला मुंगेर ([[बिहार]]) | ||
|मृत्यु= [[24 अप्रैल]], | |मृत्यु= [[24 अप्रैल]], सन् 1974 | ||
|मृत्यु स्थान= [[चेन्नई]], [[तमिलनाडु]] | |मृत्यु स्थान= [[चेन्नई]], [[तमिलनाडु]] | ||
|मुख्य रचनाएँ= | |मुख्य रचनाएँ= | ||
पंक्ति 34: | पंक्ति 34: | ||
जियो जियो अय हिन्दुस्तान! | जियो जियो अय हिन्दुस्तान! | ||
हम प्रभात की नई किरण हैं, हम दिन के आलोक नवल, | हम प्रभात की नई किरण हैं, हम दिन के आलोक नवल, | ||
हम नवीन भारत के सैनिक, धीर,वीर,गंभीर, अचल। | हम नवीन भारत के सैनिक, धीर, वीर, गंभीर, अचल। | ||
हम प्रहरी उँचे हिमाद्रि के, सुरभि स्वर्ग की लेते हैं। | हम प्रहरी उँचे हिमाद्रि के, सुरभि स्वर्ग की लेते हैं। | ||
हम हैं शान्तिदूत धरणी के, छाँह सभी को देते हैं। | हम हैं शान्तिदूत धरणी के, छाँह सभी को देते हैं। | ||
वीर-प्रसू माँ की आँखों के हम नवीन उजियाले हैं | वीर - प्रसू माँ की आँखों के हम नवीन उजियाले हैं | ||
गंगा, यमुना, हिन्द महासागर के हम रखवाले हैं। | गंगा, यमुना, हिन्द महासागर के हम रखवाले हैं। | ||
तन मन धन तुम पर कुर्बान, | तन मन धन तुम पर कुर्बान, | ||
पंक्ति 51: | पंक्ति 51: | ||
जियो जियो अय हिन्दुस्तान! | जियो जियो अय हिन्दुस्तान! | ||
हम शकारि विक्रमादित्य हैं अरिदल को | हम शकारि विक्रमादित्य हैं अरिदल को दलने वाले, | ||
रण में ज़मीं नहीं, दुश्मन की लाशों पर | रण में ज़मीं नहीं, दुश्मन की लाशों पर चलने वाले। | ||
हम अर्जुन, हम भीम, शान्ति के लिये | हम अर्जुन, हम भीम, शान्ति के लिये जगत् में जीते हैं | ||
मगर, शत्रु हठ करे अगर तो, लहू वक्ष का पीते हैं। | मगर, शत्रु हठ करे अगर तो, लहू वक्ष का पीते हैं। | ||
हम हैं शिवा-प्रताप रोटियाँ भले घास की खाएंगे, | हम हैं शिवा - प्रताप रोटियाँ भले घास की खाएंगे, | ||
मगर, किसी ज़ुल्मी के आगे मस्तक नहीं झुकायेंगे। | मगर, किसी ज़ुल्मी के आगे मस्तक नहीं झुकायेंगे। | ||
देंगे जान , नहीं ईमान, | देंगे जान, नहीं ईमान, | ||
जियो जियो अय हिन्दुस्तान। | जियो जियो अय हिन्दुस्तान। | ||
जियो, जियो अय देश! कि पहरे पर ही जगे हुए हैं हम। | जियो, जियो अय देश! कि पहरे पर ही जगे हुए हैं हम। | ||
वन, पर्वत, हर तरफ़ चौकसी में ही लगे हुए हैं हम। | वन, पर्वत, हर तरफ़ चौकसी में ही लगे हुए हैं हम। | ||
हिन्द-सिन्धु की कसम, कौन इस पर | हिन्द-सिन्धु की कसम, कौन इस पर जहाज़ ला सकता। | ||
सरहद के भीतर कोई दुश्मन कैसे आ सकता है ? | सरहद के भीतर कोई दुश्मन कैसे आ सकता है ? | ||
पर | पर कि हम कुछ नहीं चाहते, अपनी किन्तु बचायेंगे, | ||
जिसकी उँगली उठी उसे हम यमपुर को पहुँचायेंगे। | जिसकी उँगली उठी उसे हम यमपुर को पहुँचायेंगे। | ||
हम प्रहरी यमराज समान, | हम प्रहरी यमराज समान, |
13:56, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
जाग रहे हम वीर जवान, |
संबंधित लेख