"विजयादित्य": अवतरणों में अंतर
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'''विजयादित्य''' (696 से 733 ई.), [[विनयादित्य]] का पुत्र एवं राजसिंहासन का उत्तराधिकारी था। उसके समय में [[चालुक्य साम्राज्य]] की शक्ति पुर्ण रूप से अक्षुण्ण बनी रही। | |||
*उसके शासनकाल के अब तक लगभग 40 अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं। | *उसके शासनकाल के अब तक लगभग 40 अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं। | ||
*अपने शासन के दौरान उसने लगभग चार प्रदेशों को जीता था, पर इसके विषय में स्पष्ट जानकारी का अभाव है। | *अपने शासन के दौरान उसने लगभग चार प्रदेशों को जीता था, पर इसके विषय में स्पष्ट जानकारी का अभाव है। | ||
*विजयादित्य का शासन काल [[ब्राह्मण]] धर्म के पुनरुत्थान एवं स्थापत्य तथा ललित कलाओं के विकास का काल था। | *विजयादित्य का शासन काल [[ब्राह्मण]] धर्म के पुनरुत्थान एवं स्थापत्य तथा ललित कलाओं के विकास का काल था। | ||
*उसने [[बीजापुर]] | *उसने [[बीजापुर ज़िला|बीजापुर ज़िले]] के '[[पट्टडकल]]' नामक स्थान में 'विजयेश्वर शिव मंदिर' का निर्माण कराया था। | ||
*उसकी बहन कुमकुम देवी ने 'लक्ष्मेश्वर' में 'आनेसेज्येयवसादि' नामक एक भव्य जैन मंदिर का निर्माण कराया। | *उसकी बहन कुमकुम देवी ने 'लक्ष्मेश्वर' में 'आनेसेज्येयवसादि' नामक एक भव्य जैन मंदिर का निर्माण कराया। | ||
*विजयादित्य पिता की भांति उसने 'श्रीपृथ्वीवल्लभ', 'महाराजाधिराज', 'परमेश्वर', 'सत्याश्रम', 'भट्टारक', 'साहसरसिक' तथा 'समस्त भुवनाश्रय' आदि का विरुद्ध धारण किया था। | *विजयादित्य पिता की भांति उसने 'श्रीपृथ्वीवल्लभ', 'महाराजाधिराज', 'परमेश्वर', 'सत्याश्रम', 'भट्टारक', 'साहसरसिक' तथा 'समस्त भुवनाश्रय' आदि का विरुद्ध धारण किया था। |
07:35, 14 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
विजयादित्य (696 से 733 ई.), विनयादित्य का पुत्र एवं राजसिंहासन का उत्तराधिकारी था। उसके समय में चालुक्य साम्राज्य की शक्ति पुर्ण रूप से अक्षुण्ण बनी रही।
- उसके शासनकाल के अब तक लगभग 40 अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं।
- अपने शासन के दौरान उसने लगभग चार प्रदेशों को जीता था, पर इसके विषय में स्पष्ट जानकारी का अभाव है।
- विजयादित्य का शासन काल ब्राह्मण धर्म के पुनरुत्थान एवं स्थापत्य तथा ललित कलाओं के विकास का काल था।
- उसने बीजापुर ज़िले के 'पट्टडकल' नामक स्थान में 'विजयेश्वर शिव मंदिर' का निर्माण कराया था।
- उसकी बहन कुमकुम देवी ने 'लक्ष्मेश्वर' में 'आनेसेज्येयवसादि' नामक एक भव्य जैन मंदिर का निर्माण कराया।
- विजयादित्य पिता की भांति उसने 'श्रीपृथ्वीवल्लभ', 'महाराजाधिराज', 'परमेश्वर', 'सत्याश्रम', 'भट्टारक', 'साहसरसिक' तथा 'समस्त भुवनाश्रय' आदि का विरुद्ध धारण किया था।
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