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*इस स्थान से एक विशाल नाग प्रतिमा प्राप्त हुई थी जो अब [[मथुरा]] संग्रहालय में है। यह लगभग आठ फुट ऊंची है।
*इस पर अंकित एक अभिलेख से सूचित होता है कि महाराजाधिराज [[हुविष्क]] के समय में [[कनिष्क]] संवत् के चालीसवें वर्ष (118 ई.) में सेनहस्ती तथा उसके मित्र ने इस मूर्ति की प्रतिष्ठापना की थी।
*इस मूर्ति में नाग की कुंडलियां बड़े वास्तविक रूप में प्रदर्शित हैं। अभिलेख से विदित होता है कि ई. सन् के प्रारंभिक काल में नागपूजा देश के इस भाग में विशेष रूप से प्रचलित थी।


*इस स्थान से एक विशाल नाग प्रतिमा प्राप्त हुई थी जो अब [[मथुरा]] संग्रालहय में है। यह लगभग आठ फुट ऊंची है।
*इस पर अंकित एक अभिलेख से सूचित होता है कि महाराजाधिराज [[हुविष्क]] के समय में [[कनिष्क]] संवत् के चालीसवें वर्ष (118 ई॰) में सेनहस्ती तथा उसके मित्र ने इस मूर्ति की प्रतिष्ठापना की थी।
*इस मूर्ति में नाग की कुंडलियां बड़े वास्तविक रूप में प्रदर्शित हैं। अभिलेख से विदित होता है कि ई॰ सन् के प्रारंभिक काल में नागपूजा देश के इस भाग में विशेष रूप से प्रचलित थी।




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07:12, 3 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

  • इस स्थान से एक विशाल नाग प्रतिमा प्राप्त हुई थी जो अब मथुरा संग्रहालय में है। यह लगभग आठ फुट ऊंची है।
  • इस पर अंकित एक अभिलेख से सूचित होता है कि महाराजाधिराज हुविष्क के समय में कनिष्क संवत् के चालीसवें वर्ष (118 ई.) में सेनहस्ती तथा उसके मित्र ने इस मूर्ति की प्रतिष्ठापना की थी।
  • इस मूर्ति में नाग की कुंडलियां बड़े वास्तविक रूप में प्रदर्शित हैं। अभिलेख से विदित होता है कि ई. सन् के प्रारंभिक काल में नागपूजा देश के इस भाग में विशेष रूप से प्रचलित थी।