"सोम देव": अवतरणों में अंतर

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प्रत्यूषश्च प्रभासश्च वसवोज्ष्टौ प्रकीर्तिता: ॥<br />
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*ॠग्वेदीय देवताओं में महत्त्व की दृष्टि से सोम का स्थान [[अग्निदेव|अग्नि]] तथा [[इन्द्र]] के पश्चात तीसरा है । [[ऋग्वेद]] का सम्पूर्ण नवाँ मण्डल सोम की स्तुति से परिपूर्ण है । इसमें सब मिलाकर 120 सूक्तों में सोम का गुणगान है । सोम की कल्पना दो रूपों में की गयी है-  
*ॠग्वेदीय देवताओं में महत्त्व की दृष्टि से सोम का स्थान [[अग्निदेव|अग्नि]] तथा [[इन्द्र]] के पश्चात् तीसरा है । [[ऋग्वेद]] का सम्पूर्ण नवाँ मण्डल सोम की स्तुति से परिपूर्ण है । इसमें सब मिलाकर 120 सूक्तों में सोम का गुणगान है । सोम की कल्पना दो रूपों में की गयी है-  
* स्वर्गीय लता का रस
* स्वर्गीय लता का रस
*आकाशीय चन्द्रमा ।  
*आकाशीय चन्द्रमा ।  
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07:37, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

सोम वसुवर्ग के देवताओं में हैं ।

आपो ध्रुवश्च सोमश्च धरश्चैवानिलोज्नल: ।
प्रत्यूषश्च प्रभासश्च वसवोज्ष्टौ प्रकीर्तिता: ॥

  • ॠग्वेदीय देवताओं में महत्त्व की दृष्टि से सोम का स्थान अग्नि तथा इन्द्र के पश्चात् तीसरा है । ऋग्वेद का सम्पूर्ण नवाँ मण्डल सोम की स्तुति से परिपूर्ण है । इसमें सब मिलाकर 120 सूक्तों में सोम का गुणगान है । सोम की कल्पना दो रूपों में की गयी है-
  • स्वर्गीय लता का रस
  • आकाशीय चन्द्रमा ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मत्स्य पुराण, 5-21

बाहरी कड़ियाँ

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