"गुह्येश्वरी शक्तिपीठ": अवतरणों में अंतर

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[[हिन्दू धर्म]] के [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार जहां-जहां [[सती]] के अंग के टुकड़े, धारण किए [[वस्त्र]] या [[आभूषण]] गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवी पुराण में [[शक्तिपीठ|51 शक्तिपीठों]] का वर्णन है। युगाद्या, 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है।
{{सूचना बक्सा मन्दिर
*[[नेपाल]] में पशुपतिनाथ मंदिर से थोड़ी दूर [[बागमती नदी]] की दूसरी ओर गुह्येश्वरी शक्तिपीठ है।
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*यह नेपाल की अधिष्ठात्री देवी हैं।
|चित्र का नाम=विराट शक्तिपीठ
*मंदिर में एक छिद्र से निरंतर जल बहता रहता है।
|वर्णन=[[नेपाल]] स्थित 'गुह्येश्वरी शक्तिपीठ' अज्ञात 108 एवं ज्ञात [[शक्तिपीठ|51 पीठों]] में से एक है। इसका [[हिन्दू धर्म]] में बड़ा ही महत्त्व है।
*यहाँ सती दोनों के दोनों "जानू" (घुटनों) का निपात हुआ था।<ref>कुछ विद्वान सती के गुह्यभाग का यहाँ पतन मानते हैं इसी से यहाँ की देवी को गुह्येश्वरी कहा जाता है।</ref>
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*यहाँ की शक्ति 'महामाया' और [[शिव]] 'कपाल' हैं।
|निर्माता=
*यह शक्तिपीठ किरातेश्वर महादेव मंदिर के समीप पशुपतिनाथ मंदिर से सुदूर पूर्व बागमती गंगा के दूसरी तरफ एक टीले पर विराजमान है।
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*जनश्रुति के अनुसार कभी यहाँ 'श्लेषमांत वन' था, जहाँ [[अर्जुन]] की तपस्या पर शिव किरात रूप में मिले।
|निर्माण काल=
*यह वन आज गाँव बन गया है।
|देवी-देवता=[[सती]] 'महामाया' और [[शिव]] 'कपाल'।
*यहीं काठमाण्डु हवाई अड्डा भी है।
|वास्तुकला=
*गुह्येश्वरी पीठ के पास ही सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर है, जहाँ [[ब्रह्मा]] ने लिंग स्थापना की थी।
|भौगोलिक स्थिति=
*यहाँ पहुँचने के लिए (वायु मार्ग से) काठमाण्डु हवाई अड्डे से गोशाला होते हुए टैक्सी / बस / टैम्पों से बागमती तट उतर कर पुल से दूसरी ओर जाया जा सकता है तथा सड़क मार्ग से काठमाण्डु बस अड्डे से रत्नपार्क शहीद फाटक होते हुए गोशाला तक पहँचते हैं।
|संबंधित लेख=[[शक्तिपीठ]], [[सती]]
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'''गुह्येश्वरी शक्तिपीठ''' [[शक्तिपीठ|51 शक्तिपीठों]] में से एक है। [[हिन्दू धर्म]] के [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार जहाँ-जहाँ [[सती]] के [[अंग]] के टुकड़े, धारण किए [[वस्त्र]] या [[आभूषण]] गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन [[तीर्थ स्थान|तीर्थस्थान]] कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। 'देवीपुराण' में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
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*[[नेपाल]] में [[पशुपतिनाथ मंदिर]] से थोड़ी दूर [[बागमती नदी]] की दूसरी ओर 'गुह्येश्वरी शक्तिपीठ' है।
*यह नेपाल की अधिष्ठात्री देवी हैं। मंदिर में एक छिद्र से निरंतर [[जल]] बहता रहता है।
*इस स्थान पर [[सती]] दोनों के दोनों "जानू" (घुटनों) का निपात हुआ था।<ref>कुछ विद्वान् सती के गुह्यभाग का यहाँ पतन मानते हैं इसी से यहाँ की देवी को गुह्येश्वरी कहा जाता है।</ref>
*इस [[शक्तिपीठ]] की शक्ति 'महामाया' और [[शिव]] 'कपाल' हैं।
*यह शक्तिपीठ 'किरातेश्वर महादेव मंदिर' के समीप पशुपतिनाथ मंदिर से सुदूर पूर्व बागमती के दूसरी तरफ एक टीले पर विराजमान है।
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गुह्येश्वरी शक्तिपीठ
विराट शक्तिपीठ
विराट शक्तिपीठ
वर्णन नेपाल स्थित 'गुह्येश्वरी शक्तिपीठ' अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 पीठों में से एक है। इसका हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है।
स्थान नेपाल
देवी-देवता सती 'महामाया' और शिव 'कपाल'।
संबंधित लेख शक्तिपीठ, सती
पौराणिक मान्यता मान्यतानुसार यह माना जाता है कि इस स्थान पर देवी सती के दोनों "जानू" (घुटनों) का निपात हुआ था।
अन्य जानकारी 'गुह्येश्वरी पीठ' के पास ही सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर है, जहाँ ब्रह्मा ने शिवलिंग की स्थापना की थी।

गुह्येश्वरी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। 'देवीपुराण' में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।

  • नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर से थोड़ी दूर बागमती नदी की दूसरी ओर 'गुह्येश्वरी शक्तिपीठ' है।
  • यह नेपाल की अधिष्ठात्री देवी हैं। मंदिर में एक छिद्र से निरंतर जल बहता रहता है।
  • इस स्थान पर सती दोनों के दोनों "जानू" (घुटनों) का निपात हुआ था।[1]
  • इस शक्तिपीठ की शक्ति 'महामाया' और शिव 'कपाल' हैं।
  • यह शक्तिपीठ 'किरातेश्वर महादेव मंदिर' के समीप पशुपतिनाथ मंदिर से सुदूर पूर्व बागमती के दूसरी तरफ एक टीले पर विराजमान है।
  • जनश्रुति के अनुसार कभी यहाँ 'श्लेषमांत वन' था, जहाँ अर्जुन की तपस्या पर शिव किरात रूप में मिले थे। यह वन आज ग्राम बन गया है।
  • यहीं काठमाण्डु हवाई अड्डा भी है।
  • 'गुह्येश्वरी पीठ' के पास ही सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर है, जहाँ ब्रह्मा ने शिवलिंग की स्थापना की थी।
  • इस शक्तिपीठ तक पहुँचने के लिए (वायु मार्ग से) काठमाण्डु हवाई अड्डे से गोशाला होते हुए टैक्सी/बस/टैम्पों से बागमती तट उतर कर पुल से दूसरी ओर जाया जा सकता है तथा सड़क मार्ग से काठमाण्डु बस अड्डे से रत्नपार्क शहीद फाटक होते हुए गोशाला तक पहँचते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुछ विद्वान् सती के गुह्यभाग का यहाँ पतन मानते हैं इसी से यहाँ की देवी को गुह्येश्वरी कहा जाता है।

संबंधित लेख