"कपिल मुनि": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(कपिल को अनुप्रेषित)
 
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{बहुविकल्पी|कपिल}}
#REDIRECT [[कपिल]]
*कपिल ॠषि की माता का नाम [[देवहुती]] व पिता का नाम ॠषि [[कर्दम]] था।
*ये भगवान [[विष्णु]] के 24 अवतारों में से एक कहे जाते हैं।
*ये [[सांख्य दर्शन]] के जन्मदाता भी है।
*[[रामायण]] में कपिल ॠषि-<br /> जल की खोज में थके-मांदे [[राम]], [[सीता]] और [[लक्ष्मण]] कपिल की कुटिया में पहुंचे। कपिल की पत्नी सुशर्मा ने उन्हें ठंडा जल दिया। तभी समिधाएं एकत्र करके कपिल भी अपनी कुटिया पर पहुंचे। वहां धूलमंडित पैरों से आये उन तीनों अतिथियों का निरादर करके कपिल ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। आंधी-तूफ़ान और वर्षा से बचने के लिए उन्होंने एक बरगद की छाया में आश्रय लिया। इस वृक्ष की छाया में साक्षात हलधर और नारायण आये हैं वे तीनों वृक्ष की छाया में सो रहे थे। सुबह उठे तो देखा, एक विशाल महल में गद्दे पर सो रहे हैं रात-भर में यक्षपति ने उनके लिए उस महल का निर्माण कर दिया थां वहां रहते हुए वे निकटस्थ [[जैन]] मंदिर के श्रमणों को यथेच्छ दान दिया करते थें अगले दिन कपिल समिधा आकलन के लिए जंगल में गये तो महल देखकर विस्मित हो गये। वहां के निवासी जैन मतावलंबियों को दान देते हैं, यह जानकर उन्होंने जैनियों से गृहस्थ-धर्म की दीक्षा ली। वे दोनों महल में गये तो उन तीनों को पहचानकर बहुत लज्जित हुए। राम ने उनका सत्कार करके उन्हें धन प्रदान किया। कपिल ने नि:संग होकर प्रव्रज्या ग्रहण की। वर्षाकाल के उपरांत उन तीनों ने वहां से प्रस्थान किया। यक्षपति ने राम को स्वयंप्रभ नाम का हार, लक्ष्मण को मणिकुण्डल तथा सीता को चूड़ामणिरत्न उपहारस्वरूप समर्पित किये। उनके प्रस्थान के उपरांत यक्षराज ने उस मायावी नगरी का संवरण कर लिया<ref>पउम चरित, 35।-36।1-8।–</ref>।
{{प्रचार}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
 
==संबंधित लेख==
{{ऋषि मुनि2}}{{ऋषि मुनि}}{{पौराणिक चरित्र}}
[[Category:पौराणिक चरित्र]]
[[Category:पौराणिक कोश]]
[[Category:ऋषि मुनि]][[Category:संस्कृत साहित्यकार]]
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]
__INDEX__

06:34, 21 जनवरी 2016 के समय का अवतरण

अनुप्रेषण का लक्ष्य: