"परुष्णी नदी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ") |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''परुष्णी नदी''' [[पंजाब]] की प्रसिद्ध नदी [[रावी नदी]] या [[इरावती नदी]] का वैदिक नाम है। | '''परुष्णी नदी''' [[पंजाब]] की प्रसिद्ध नदी [[रावी नदी]] या [[इरावती नदी]] का वैदिक नाम है। [[ऋग्वेद]] के अनुसार परुष्णी नदी के तट पर ही तृत्स गण के [[ सुदास|राजा सुदास]] ने दस राजाओं की सम्मिलित सेना को हराया था। यह युद्ध 'दाशराज युद्ध' के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। | ||
*परुष्णी नदी का [[ऋग्वेद]]<ref>[[ऋग्वेद]], मंडल 10 सूक्त 75 नदी सूक्त</ref> में उल्लेख है:- | *परुष्णी नदी का [[ऋग्वेद]]<ref>[[ऋग्वेद]], मंडल 10 सूक्त 75 नदी सूक्त</ref> में उल्लेख है:- | ||
:'इमं में गंगेयमुने सरस्वती शुतुद्रिस्तोमं समता परुष्णया असिकन्या मरुद्वृधे वितस्तयार्जीकीये श्रृणृह्मा सुषोमया'। | :'इमं में गंगेयमुने सरस्वती शुतुद्रिस्तोमं समता परुष्णया असिकन्या मरुद्वृधे वितस्तयार्जीकीये श्रृणृह्मा सुषोमया'। | ||
*जान पड़ता है कि परुष्णी नाम वैदिक काल में ही प्रचलित था क्योंकि परवर्ती साहित्य में इस नदी का नाम इरावती मिलता है। | *जान पड़ता है कि परुष्णी नाम [[वैदिक काल]] में ही प्रचलित था क्योंकि परवर्ती साहित्य में इस नदी का नाम इरावती मिलता है। | ||
*[[अलक्षेंद्र]] के समय के इतिहास लेखकों ने भी इस नदी को ह्यारोटीज लिखा है जो इरावती का ग्रीक उच्चारण है। | *[[अलक्षेंद्र]] के समय के इतिहास लेखकों ने भी इस नदी को ह्यारोटीज लिखा है जो इरावती का ग्रीक उच्चारण है। | ||
*रावी इरावती का ही अपभ्रंश है। | *रावी इरावती का ही अपभ्रंश है। | ||
*ऋग्वेद के | *[[ऋग्वेद]] ग्रन्थ के कथनानुसार परुष्णी नदी के तट पर ही तृत्स गण के [[ सुदास|राजा सुदास]] ने दस राजाओं की सम्मिलित सेना को हराया था। यह युद्ध 'दाशराज युद्ध' के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। | ||
*सुदास ने, जिसका राज्य परुष्णी के पूर्वी तट पर था, पश्चिम से आक्रमण करने वाले नरेश-संघ की सेना को नदी पार करने से पहले ही परास्त कर पीछे ढकेल दिया था।<ref>ऋग्वेद 8,74 सत्यमित्वा महेनदि परुष्णयवदेदिशम् आदि</ref> | *सुदास ने, जिसका राज्य परुष्णी के पूर्वी तट पर था, पश्चिम से आक्रमण करने वाले नरेश-संघ की सेना को नदी पार करने से पहले ही परास्त कर पीछे ढकेल दिया था।<ref>ऋग्वेद 8,74 सत्यमित्वा महेनदि परुष्णयवदेदिशम् आदि</ref> | ||
*ऋग्वेद में परुष्णी के निकट अनु के वंशजों का निवास बताया गया है। अनु [[ययाति]] का पुत्र था। वैदिक काल के | *ऋग्वेद में परुष्णी के निकट अनु के वंशजों का निवास बताया गया है। अनु [[ययाति]] का पुत्र था। वैदिक काल के पश्चात् इसी प्रदेश में मद्रक तथा केकय बस गए थे। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भारत की नदियाँ}} | {{भारत की नदियाँ}} | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 20: | ||
[[Category:पंजाब की नदियाँ]] | [[Category:पंजाब की नदियाँ]] | ||
[[Category:भारत की नदियाँ]] | [[Category:भारत की नदियाँ]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
07:49, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
परुष्णी नदी पंजाब की प्रसिद्ध नदी रावी नदी या इरावती नदी का वैदिक नाम है। ऋग्वेद के अनुसार परुष्णी नदी के तट पर ही तृत्स गण के राजा सुदास ने दस राजाओं की सम्मिलित सेना को हराया था। यह युद्ध 'दाशराज युद्ध' के नाम से प्रसिद्ध हुआ था।
- 'इमं में गंगेयमुने सरस्वती शुतुद्रिस्तोमं समता परुष्णया असिकन्या मरुद्वृधे वितस्तयार्जीकीये श्रृणृह्मा सुषोमया'।
- जान पड़ता है कि परुष्णी नाम वैदिक काल में ही प्रचलित था क्योंकि परवर्ती साहित्य में इस नदी का नाम इरावती मिलता है।
- अलक्षेंद्र के समय के इतिहास लेखकों ने भी इस नदी को ह्यारोटीज लिखा है जो इरावती का ग्रीक उच्चारण है।
- रावी इरावती का ही अपभ्रंश है।
- ऋग्वेद ग्रन्थ के कथनानुसार परुष्णी नदी के तट पर ही तृत्स गण के राजा सुदास ने दस राजाओं की सम्मिलित सेना को हराया था। यह युद्ध 'दाशराज युद्ध' के नाम से प्रसिद्ध हुआ था।
- सुदास ने, जिसका राज्य परुष्णी के पूर्वी तट पर था, पश्चिम से आक्रमण करने वाले नरेश-संघ की सेना को नदी पार करने से पहले ही परास्त कर पीछे ढकेल दिया था।[2]
- ऋग्वेद में परुष्णी के निकट अनु के वंशजों का निवास बताया गया है। अनु ययाति का पुत्र था। वैदिक काल के पश्चात् इसी प्रदेश में मद्रक तथा केकय बस गए थे।
|
|
|
|
|