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[[बिहार]]
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|}
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{{केरल में राष्‍ट्रीय राजमार्ग}}


{| class="wikitable"
 
|-
 
!नाम
====================
!लम्‍बाई (कि.मी)
 
|-
 
| style="width:30%"|
 
1- एन॰एच॰ 17 – राष्‍ट्रीय राजमार्ग
 
| style="width:70%"|
==हिंदी विश्वकोश पर बने लेखों की सूची==
420.777
<poem>
|-
अंग्रेज़ी भाषा
|2- एन॰एच॰ 47 – वालयार कलिमकविला
अक्षरअनन्य
|
अज्ञेय, सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन
416.800
अतिशयोक्ति अलंकार
|-
अनुप्रास अलंकार
|3- एन॰एच॰ 47 A – वैलिंगटन द्वीप से कोच्चि बाईपास
अनूप शर्मा
|
अपभ्रंश भाषा
5.920
अमरेश
|-
अमीर ख़ुसरो
|4- एन॰एच॰ 49 – बोडीमेट्टू मुवात्‍तपुझा कोच्चि
अमृता प्रीतम
|
अयोध्याप्रसाद खत्री
167.593
अयोध्यासिंह उपाध्याय
|-
अरबिंदो घोष
|5- एन॰एच॰ 208 – कोल्‍लम आयनिकवू मुवात्‍तपुझा
अरबी भाषा
|
अर्जुनदास केडिया
81.280
अर्थालंकार
|-
अलंकार
|6-एन॰एच॰ 212 – कोझीकोड कल्‍लेगड
अली मुहिब खाँ
|
अवधी भाषा
117.600
अवहट्ट
|-
अविकारी शब्द
|7- एन॰एच॰ 213 – कोझीकोड कलपलक्‍कड
अश्वघोष
|
अष्टछाप कवि
125.300
असमिया भाषा
|-
आंडाल
|8- एन॰एच॰ 220 –कोल्‍लम कोट्टयम कुमिनी
आठवीं अनुसूची
|
आदि शंकराचार्य
190.300
आधुनिक हिंदी
|-
आरमाइक भाषा
|}
आरमाइक लिपि
|9- रास्ता नापना।
आरसी प्रसाद सिंह
|
आलम
अर्थ - चले जाना।
उड़िया भाषा
|-
उत्प्रेक्षा अलंकार
|10- रास्ते  पर लाना।
उदय प्रकाश
|
उद्धरण चिह्न
अर्थ - सुधार करना।
उपमा अलंकार
|-
उपमेयोपमा अलंकार
|11- रोगंटे खड़े होना।
उपवाक्य
|
उपसर्ग
अर्थ - रोमांच होना।
उर्दू भाषा
|-
उल्लेख अलंकार
|12- रो धोकर दिन काटना।
उसमान
|
कन्नड़ भाषा
अर्थ - जैसे –तैसे जीवन बिताना।
कन्नौजी बोली
|-
कबीर
|13- मुँह की खाना।
कलकतिया हिंदी
|
कलिंग लिपि
अर्थ - बुरी तरह हारना।
कल्हण
|-
कवींद्र
|14- मुँह धो रखना / आना।
कश्मीरी भाषा
|
क़ादिर बख्श
अर्थ - आशा न रखना।
काका हाथरसी सम्मान
|-
कारक
|15- मुँह पकड़ना।
काल
|
कालिदास
अर्थ - बोलने न देना।
कालिदास त्रिवेदी
|-
कासिमशाह
|16- मुँह पर बसंत फूलना या खिलना।
कुतबन
|
कुमायूँनी बोली
अर्थ - भयभीत होना।
कुमार मणिभट्ट
|-
कुम्भनदास
|17- मुँह बनाना।
कुरुख भाषा
|
कुलपति मिश्र
अर्थ - खीझ प्रकट करना।
कृपाराम
|-
कृष्ण (कवि)
|18- मुँह में पानी भर आना / लार टपकाना।
कृष्णदास
|
केशव
अर्थ - खाने को जी करना।
कोंकणी भाषा
|-
कोष्ठक चिह्न
|19- मुट्ठी गरम करना।
कौरवी बोली
|
क्रिया
अर्थ - घूस देना।
क्रियाविशेषण
|-
खड़ी बोली
|20- मैदान मारना।
खरोष्ठी
|
गंग
अर्थ - लड़ाई जीतना।
गंजन
|-
गढ़वाली बोली
|21- मुट्ठी में करना।
गदाधर भट्ट
|
गुजराती भाषा
अर्थ - वश में करना।
गुयानी हिंदी
|-
गुरुमुखी लिपि
|22- मोटा आदमी / असामी।
गोविंदस्वामी
|
ग्रन्थ लिपि
अर्थ - धनी व्यक्ति।
घनानन्द
|-
चंदबरदाई
|23- मोहर लगा देना।
चतुर्भुजदास
|
चिंतामणि त्रिपाठी
अर्थ - पुष्टि करना।
चौपाई
|-
छत्तीसगढ़ी बोली
|24- म्याऊँ का ठौर पकड़ना।
छन्द
|
छीतस्वामी
अर्थ - खतरे में पड़ना।
छीहल
|-
जगजीवनदास
|25- नानी क्वाँरी मर गई , नाती के नौ-नौ ब्याह।
जमाल
|
जयदेव
अर्थ - झूठी बड़ाई।
जयशंकर प्रसाद
|-
टोडरमल
|26- नाम बड़े दर्शन छोटे।
डिंगल
|
डोगरी भाषा
अर्थ - बहुत प्रसिद्ध होना पर वास्तव में गुणों का न होना।
तमिल भाषा
|-
तमिल लिपि
|27- नाम बढ़ावे दाम।
ताजुज़्बेकी हिंदी
|
तुकाराम
अर्थ - किसी चीज़ का नाम हो जाने से उसकी कीमत बढ़ जाती है।
तुलसीदास
|-
तेलुगु एवं कन्नड़ लिपि
|28- नामी चोर मारा जाए, नामी शाह कमा खाए।
तेलुगु भाषा
|
तोरु दत्त
अर्थ - बदनामी से बुरा, नेकनामी से भला होता है।
तोषनिधि
|-
त्रिनिदादी हिंदी
|29- नारियल में पानी,क्या पता खट्टा कि मीठा।
त्रुटिबोधक चिह्न
|
दंडी
अर्थ - इस बात में संशय है।
दक्खिनी हिंदी
|-
दक्षिण अफ़्रीक़ी हिंदी
|30- नीचे की साँस नीचे, ऊपर की साँस ऊपर।
दलपतराम
|
दलपति राय
अर्थ - डर या दु:ख से घबरा जाना।
दशकुमारचरित
|-
दूलह
|31- नीचे से जड़ काटना, ऊपर से पानी देना।
दृष्टान्त अलंकार
|
देव
अर्थ - ऊपर से मित्र, भीतर से शत्रु, दिखावा करना।
देवनागरी लिपि
|-
देवनागरी लिपि का विकास
|32- नीम हकीम खतरा-ए-जान।
देवनागरी लिपि के गुण और दोष
|
दोहा
अर्थ - अनुभवहीन  व्याक्ति के हाथों काम बिगड़ जाता है।
धर्मदास
|-
धर्मवीर भारती
|33- नेकी और पूछ-पूछ।
ध्रुवदास
|
नंददास
अर्थ - भलाई का काम करके फल की उम्मीद मत करो।
नरोत्तमदास
|-
नवोदित लेखक पुरस्कार
|34- नौ दिन चले अढ़ाई कोस।
नागरीप्रचारिणी सभा
|
नागार्जुन
अर्थ - बहुत ही मंद गति से काम होना।
नाभादास
|-
निरर्थक शब्द (व्याकरण)
|35- नौ नकद , न तेरह उधार।
निर्मल वर्मा
|
नूर मुहम्मद
अर्थ - नकद का काम उधार के काम से अच्छा होता है।
नेपाली भाषा
|-
नेपाली हिंदी
|36- नौ सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली।
नेवाज
|
पंजाबी भाषा
अर्थ - जीवन भर कुकर्म करते रहे अन्त में भले बन बैठे।
परमानंद दास
|-
पश्चिमी पहाड़ी बोली
|37- नाचने निकली तो घूँघट क्या।
पहलवी भाषा
|
पहाड़ी बोली
अर्थ - कोई काम करना शुरु करने पर शर्म नहीं आनी चाहिए।
पालि भाषा
|-
पुल्लिंग
|38- नकेल हाथ में होना।
पुष्पदंत
|
पुहकर कवि
अर्थ - वश में होना।
प्रत्यय
|-
प्रश्नवाचक चिह्न
|39- नब्ज़  पहचानना।
प्राकृत भाषा
|
प्राणचंद चौहान
अर्थ - स्वभाव जानना, कमज़ोरी जानना।
प्रेमचन्द
|-
फणीश्वरनाथ रेणु
|40- नमक मिर्च लगाना।
फ़ारसी भाषा
|
फिजी हिंदी
अर्थ - बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
बंसीधर
|-
बघेली बोली
|41- नस-नस फड़क उठना।
बनारसी दास
|
बलभद्र मिश्र
अर्थ - बहुत उत्साहित होना।
बांग्ला भाषा
|-
बांग्ला लिपि
|42- नस पहचानना।
बाणभट्ट
|
बाल भारत
अर्थ - अच्छी तरह जानना।
बालकृष्ण शर्मा नवीन
|-
बिहारी भाषा
|43- नहले पर दहला मारना।
बिहारी लाल
|
बीर
अर्थ - करारा जवाब देना। 
बीरबल
|-
बुन्देली बोली
|44- नाक कटना।
बेनी
|
बैरीसाल
अर्थ - बदनामी होना।
बैसवाड़ी बोली
|-
बोडो भाषा
|45- नाक का बाल होना।
ब्रजभाषा
|
ब्राह्मी लिपि
अर्थ - बहुत प्यारा होना।
भक्तिकाल
|-
भगवतीचरण वर्मा
|46- नाक चोटी काटकर हाथ में देना।
भट्टोजिदीक्षित
|
भवभूति
अर्थ - दुर्दशा करना।
भारत रत्न
|-
भारतेन्दु हरिश्चंद्र
|47- नाक भौं चढ़ाना।
भारवि
|
भास
अर्थ - घृणा, असंतोष प्रकट करना।
भिखारी दास
|-
भूपति राज गुरुदत्त सिंह
|48- नाक में नकेल डालना।
भूषण
|
भोजपुरी भाषा
अर्थ - वश में करना।
मंखक
|-
मंझन
|49- नाक रगड़ना।
मंडन
|
मगही बोली
अर्थ - गिड़गिड़ाना।
मणिपुरी भाषा
|-
मतिराम
|50- नाकों चने चबवाना।
मनोहर
|
मराठी भाषा
अर्थ - बहुत तंग करना।
मलयालम भाषा
|-
मलूकदास
|51-  नाच नचाना।
महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय
|
महादेवी वर्मा
अर्थ - मनचाही करवाना।
महापात्र नरहरि बंदीजन
|-
महावीर प्रसाद द्विवेदी
|52- नानी मर जाना।
माखन लाल चतुर्वेदी
|
मागधी भाषा
अर्थ - होश न रहना।
माघ कवि
|-
मारवाड़ी बोली
|53- नाव में धूल उड़ाना।
मीरां
|
मुक्तिबोध गजानन माधव
अर्थ - व्यर्थ में बदनाम करना।
मुम्बईया हिंदी
|-
मृच्छकटिकम
|54- निन्यानवे के फेर में पड़ना।
मैथिली भाषा
|
मैथिलीशरण गुप्त
अर्थ - पैसा जोड़ने के चक्कर में पड़ना।
मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ
|-
मॉरिशसी हिंदी
|55- नीचा दिखाना।
मोहन राकेश
|
यमक अलंकार
अर्थ - हराना, बेइज़्ज़्ती करना।
यशपाल
|-
योजक चिह्न
|56- नीला-पीला होना।
रंगलाल बनर्जी
|
रघुनाथ (कवि)
अर्थ - गुस्सा होना।
रघुवीर सहाय
|-
रस
|57- नौ दो ग्यारह होना।
रसखान
|
रसलीन
अर्थ - भाग जाना।
रसिक सुमति
|-
रहीम
|58- दूध का दूध और पानी का पानी।
राजभाषा हिंदी
|
राजशेखर
अर्थ - सही निर्णय करना।
राजस्थानी भाषा
|-
राजेश जोशी
|59- दूध के दाँत न टूटना।
राम (कवि)
|
रामकुमार वर्मा
अर्थ - ज्ञान और अनुभव न होना।
रामचन्द्र शुक्ल
|-
रामधारी सिंह दिनकर
|60- दूर की कौड़ी लाना।
रामनरेश त्रिपाठी
|
रामविलास शर्मा
अर्थ - दूर तक का सोच लेना।
राय कृष्णदास
|-
राष्ट्रभाषा हिंदी
|61- देवता कूच कर जाना।
रूपक अलंकार
|
रूपसाहि
अर्थ -  घबरा जाना।
रेखांकन चिह्न
|-
रैदास
|62- दो टूक बात कहना।
लाघव चिह्न
|
लालच दास
अर्थ - साफ-साफ कहना।
लालचंद
|-
लिंग
|63- दो दिन का मेहमान।
लिपि
|
लोप चिह्न
अर्थ - जल्दी मरने वाला।
वचन (हिंदी)
|-
वट्टेळुत्तु लिपि
|64- दो नावों पर पैर रखना।
वर्णमाला (व्याकरण)
|
वर्तनी (हिंदी)
अर्थ - दोनों तरफ रहना।
विकारी शब्द
|-
विद्यालय हिन्दी शिक्षक सम्मान
|65- जो सुख चौबारे, न बखल न बुखारे।
विराम चिह्न
|
विरोधाभास अलंकार
अर्थ - अपना घर दूर से सूझता है।
विशाखदत्त
|-
विशेषण
|66- जंगल में मंगल होना।
विश्व हिंदी दिवस
|
विष्णु प्रभाकर
अर्थ - उजाड़ में चहल-पहल होना।
विस्मयसूचक चिह्न
|-
विस्मयादिबोधक
|67- जड़ों में मट्ठा ड़ालना / तेल देना / जड़ खोदना / जड़ काटना।
व्यंजन (व्याकरण)
|
व्याकरण
अर्थ - समूल नष्ट करना।
व्यास जी
|-
शंकरदेव
|68- ज़बान काट कर देना।
शंभुनाथ मिश्र
|
शती
अर्थ - वादा करना।
शब्द (व्याकरण)
|-
शलाका सम्मान
|69- ज़बान पर चढ़ना।
शारदा लिपि
|
शिलांगी हिंदी
अर्थ -  याद आना।
शिवसहाय दास
|-
शूद्रक
|70- ज़बान पर लगाम न होना।
शेख नबी
|
शौरसेनी
अर्थ - बेमतलब बोलते जाना।
श्रीधर
|_
श्रीपति (कवि)
|71- ज़मीन आसमान एक करना।
श्रीभट्ट
|
श्रीलाल शुक्ल
अर्थ - सब उपाय कर डालना।
श्रीहर्ष
|-
श्लेष अलंकार
|72- ज़मीन आसमान का फर्क।
संज्ञा
|
संथाली भाषा
अर्थ - बहुत भारी अंतर होना। 
संधि
|-
संवत
|73- ज़मीन पर पैर न रखना। 
संस्कृत भाषा
|
समुच्यबोधक
अर्थ - अकड़कर चलना, इतराना।
सम्बन्धबोधक
|-
सरोजिनी नायडू
|74- ज़मीन में गड़ना।
सर्वनाम
|
सार्थक शब्द (व्याकरण)
अर्थ - लज्जा  से सिर नीचा होना।
साहित्यकार सम्मान
|-
साहित्यिक कृति सम्मान
|75- जलती आग में घी डालना।
सिंधी भाषा
|
सिंहली
अर्थ - और भड़काना।
सिन्धु लिपि
|-
सुंदर दास
|76- जली-कटी सुनाना।
सुखदेव मिश्र
|
सुन्दरदास खण्डेलवाल
अर्थ - बुरा-भला कहना।
सुभद्रा कुमारी चौहान
|-
सुमित्रानंदन पंत
|77- ज़हर उगलना।
सूरति मिश्र
|
सूरदास
अर्थ - कड़वी बातें कहना।
सूरदास मदनमोहन
|-
सूरीनामी हिंदी
|78- ज़हर की पुडि़या।
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
|
सेनापति
अर्थ - झगड़ालू औरत। 
सैय्यद मुबारक़ अली बिलग्रामी
|-
सोमनाथ माथुर
|79- ज़हाज का पंछी।
स्त्रीलिंग
|
स्वयंभू देव
अर्थ - जिसका कोई ठिकाना नहीं हो।
स्वर (व्याकरण)
|-
स्वामी अग्रदास
|80- जान के लाले पड़ना।
स्वामी हरिदास
|
हड़प्पा लिपि
अर्थ - संकट में पड़ना।
हरियाणवी बोली
|-
हरिवंश राय बच्चन
|81- जान पर खेलना।
हरिषेण
|
हिंदी
अर्थ - जान की बाजी लगाना।
हिंदी अकादमी
|-
हिंदी अकादमी की संचालन समिति
|82- जान में जान आना।
हिंदी अकादमी के सम्मान और पुरस्कार
|
हिंदी अकादमी: योजनाएँ एवं कार्यक्रम
अर्थ - चैन, सकून मिलना।
हिंदी का मानकीकरण
|-
हिंदी की अखिल भारतीयता का इतिहास
|83- जान से हाथ धोना बैठना।
हिंदी की उपभाषाएँ एवं बोलियाँ
|
हिंदी के अर्थ और नाम
अर्थ - मारा जाना।
हिंदी दिवस
|-
हिंदी वर्णमाला (व्याकरण)
|84- जान हथेली पर रखना।
हिंदी साहित्य
|
हितहरिवंश
अर्थ - जान की परवाह न करना।
हृदयराम
|-
हॉलैंडी हिंदी
|85- जामे से बाहर होना।
</poem>
|
=================
अर्थ - अत्यधिक क्रुद्ध होना।
पेज - 117
|-
 
|86- जी का जंजाल।
* महाभारत का फारसी अनुवाद अकबर के काल में हुआ जिसे 'रज्मनामा' के नाम से जाना गया।
|
* रामचरितमानस को ग्रियर्सन ने 'करोड़ों लोगों की बाइबिल' कहा है।
अर्थ - व्यर्थ का झंझट।
* कॉबेल ने मुकुंद राम को ' बंगाल का क्रेव' कहा है।
|-
* अकबर ने बीरबल को 'कविप्रिय' कहा है।
|87- जी खट्टा होना।
* नरहरि को 'महापात्र' की उपाधि दी गयी थी।
|
* मीर सैयद अली व ख्वाजा अब्दुस्समद कोप 'सिरिकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था।
अर्थ - विरक्ति होना।
* मुहम्मद हुसैन को 'जरींकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था।
|-
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
|88- जी चुराना।
<references/>
|
 
अर्थ - काम करने से कतराना।
=====================
|-
|89- जीते जी मक्खी निगलना।
|
अर्थ - जी पर  बन आना।
|-
|90- जी भर आना।
|
अर्थ - दु:खी होना।
|-
|91- जूतियों में दाल बाँटना।
|
अर्थ - लड़ाई- झगड़ा होना।
|-
|92- जूते चाटना।
|
अर्थ -  चापलूसी करना।
|-
|93- जोड़-तोड़ करना।
|
अर्थ -  उपाय करना।
|-
|}
|94- कान गरम करना।
|
अर्थ - पिटाई करना।
|-
|95- कान देना।
|
अर्थ - ध्यान से सुनना।
|-
|96- कान पकड़ना।
|
अर्थ -  गलती मान लेना।
|-
|97- कान पर जूँ तक न रेंगना।
|
अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।
|-
|98- कान भरना।
|
अर्थ - चुगली करना।
|-
|99- कान में बात डाल देना।
|
अर्थ -  सुना देना, कह देना।
|-
|100- कान में तेल डालकर बैठना।
|
अर्थ -  सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।
|-
|101- कान में फूँकना।
|
अर्थ - चुपचाप से कह देना।
|-
|102- कान लगाना।
|
अर्थ - ध्यान देकर सुनना।
|-
|103- काफूर होना।
|
अर्थ - गायब हो जाना।
|-
|104- काम आना।
|
अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना।
|-
|105- काम तमाम करना।
|
अर्थ -  मार डालना। 
|-
|106- काया पलट जाना।
|
अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।
|-
|107- काल कवलित होना।
|
अर्थ -  मर जाना।
|-
|108- काल के गाल में जाना।
|
अर्थ - मर जाना।
|-
|109- काला नाग।
|
अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।
|-
|110- काला मुँह करना।
|
अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना।
|-
|111- काले कोसों।
|
अर्थ - बहुत दूर।
|-
|112- क़िताबी कीड़ा होना।
|
अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
|-
|113- किरकिरी हो जाना।
|
अर्थ - विघ्न पड़ना।
|-
|114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा।
|
अर्थ - किसी भी काम का न होना।
|-
|115- किस्मत फूटना।
|
अर्थ - बुरे दिन आना।
|-
|116- कीचड़ उछालना।
|
अर्थ - निंदा करना।
|-
|117- कुआँ खोदना।
|
अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना।
|-
|118- कुएँ में गिरना।
|
अर्थ -  विपत्ति में पड़ जाना।
|-
|119- कुएँ में भाँग पड़ना।
|
अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।
|-
|120- कुछ उठा न रखना।
|
अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।
|-
|121- कुत्ते की दुम।
|
अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।
|-
|122- कुत्ते की मौत मरना।
|
अर्थ -  बुरी तरह मरना। 
|-
|123- कूच कर जाना।
|
अर्थ -  चले जाना।
|-
|124- कूप मंडूक होना।
|
अर्थ -  सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।
|-
|125- कोई दम भर का मेहमान होना।
|
अर्थ -  मरने के क़रीब होना।
|-
|126- कोढ़ में खाज होना।
|
अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना।
|-
|127- कोर दबना।
|
अर्थ - दबाव में होना।
|-
|128- कोल्हू का बैल।
|
अर्थ -  दिन रात काम में लगे रहने वाला।
|-
|129- कौए उड़ाना।
|
अर्थ -  घटिया या छोटे काम करना।
|-
|130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना।
|
अर्थ - कंजूस होना।
|-
|131- कंधे से कंधा छिलना।
|
अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।
|-
|132- ककड़ी-खीरा समझना।
|
अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।
|-
|133- कच्चा चिट्ठा खोलना।
|
अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।
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228 - देखकर मक्खी  नहीं निगली जाती,
`अर्थ - कहावत - अहित सामने देखकर चुप नहीं रहा जाता।
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06:11, 27 नवम्बर 2024 के समय का अवतरण


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पेज - 117

  • महाभारत का फारसी अनुवाद अकबर के काल में हुआ जिसे 'रज्मनामा' के नाम से जाना गया।
  • रामचरितमानस को ग्रियर्सन ने 'करोड़ों लोगों की बाइबिल' कहा है।
  • कॉबेल ने मुकुंद राम को ' बंगाल का क्रेव' कहा है।
  • अकबर ने बीरबल को 'कविप्रिय' कहा है।
  • नरहरि को 'महापात्र' की उपाधि दी गयी थी।
  • मीर सैयद अली व ख्वाजा अब्दुस्समद कोप 'सिरिकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था।
  • मुहम्मद हुसैन को 'जरींकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था।

टीका टिप्पणी और संदर्भ


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