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'''अचलपुर''' [[महाराष्ट्र]] [[राज्य]] के [[अमरावती ज़िला|अमरावती ज़िले]] में स्थित एक नगर है। | |||
*मध्यकाल में विशेषत: 9वीं शती से 12वीं शती ई. तक अचलपुर जैन संस्कृति के केन्द्र के रूप में विख्यात था। | *[[मध्यकाल]] में विशेषत: 9वीं शती से 12वीं शती ई. तक अचलपुर जैन संस्कृति के केन्द्र के रूप में विख्यात था। | ||
*जैन | *[[जैन]] विद्वान् धनपाल ने अचलपुर में ही अपना [[ग्रन्थ]] 'धम्म परिक्खा' समाप्त किया था। | ||
*आचार्य हेमचंद्रसूरि ने भी अपने व्याकरण में<ref>व्याकरण 2, 118</ref> अचलपुर का उल्लेख किया है- 'अचलपुरेचकारलकारयोर्व्यत्ययो भवति' अर्थात् अचलपुर के निवासियों के उच्चारण में च और ल का व्यत्यय (उलटफेर) हो जाता है। | *आचार्य हेमचंद्रसूरि ने भी अपने व्याकरण में<ref>व्याकरण 2, 118</ref> अचलपुर का उल्लेख किया है- | ||
*आचार्य जयसिंहसूरि ने 9वीं शती ई. में अपनी धर्मोपदेशमाला में अयलपुर या अचलपुर के अरिकेसरी नामक जैन नरेश का उल्लेख किया है- 'अयलपुरे दिगंबर भत्तो अरिकेसरी राजा'। | :'अचलपुरेचकारलकारयोर्व्यत्ययो भवति' | ||
अर्थात् अचलपुर के निवासियों के उच्चारण में च और ल का व्यत्यय (उलटफेर) हो जाता है। | |||
*आचार्य जयसिंहसूरि ने 9वीं शती ई. में अपनी धर्मोपदेशमाला में अयलपुर या अचलपुर के अरिकेसरी नामक जैन नरेश का उल्लेख किया है- | |||
:'अयलपुरे दिगंबर भत्तो अरिकेसरी राजा'। | |||
*अचलपुर से 7वीं शती ई. का एक ताभ्रपट्ट भी प्राप्त हुआ है। | *अचलपुर से 7वीं शती ई. का एक ताभ्रपट्ट भी प्राप्त हुआ है। | ||
*अचलपुर में 1869 ई. में [[नगरपालिका]] बनी। | |||
* [[सूती वस्त्र उद्योग|सूत के व्यापार]] के लिए यह स्थान प्रसिद्ध है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=80 |url=}}</ref> | |||
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10:29, 20 मई 2018 के समय का अवतरण
अचलपुर महाराष्ट्र राज्य के अमरावती ज़िले में स्थित एक नगर है।
- मध्यकाल में विशेषत: 9वीं शती से 12वीं शती ई. तक अचलपुर जैन संस्कृति के केन्द्र के रूप में विख्यात था।
- जैन विद्वान् धनपाल ने अचलपुर में ही अपना ग्रन्थ 'धम्म परिक्खा' समाप्त किया था।
- आचार्य हेमचंद्रसूरि ने भी अपने व्याकरण में[1] अचलपुर का उल्लेख किया है-
- 'अचलपुरेचकारलकारयोर्व्यत्ययो भवति'
अर्थात् अचलपुर के निवासियों के उच्चारण में च और ल का व्यत्यय (उलटफेर) हो जाता है।
- आचार्य जयसिंहसूरि ने 9वीं शती ई. में अपनी धर्मोपदेशमाला में अयलपुर या अचलपुर के अरिकेसरी नामक जैन नरेश का उल्लेख किया है-
- 'अयलपुरे दिगंबर भत्तो अरिकेसरी राजा'।
- अचलपुर से 7वीं शती ई. का एक ताभ्रपट्ट भी प्राप्त हुआ है।
- अचलपुर में 1869 ई. में नगरपालिका बनी।
- सूत के व्यापार के लिए यह स्थान प्रसिद्ध है।[2]