"ज्ञानकांड": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('{{शब्द संदर्भ नया |अर्थ=वेद में तीन कांडों या विभागो...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "Category:हिन्दू धर्म कोश" to "Category:हिन्दू धर्म कोशCategory:धर्म कोश") |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''ज्ञानकांड''' [[वेद|वेदों]] में समुच्चय रूप से प्रधानत: तीन विषयों में से एक है। इसमें जीव और [[ब्रह्मा]] के पारस्परिक संबंधों, स्वरूपों आदि पर विचार किया गया है। वेद के ज्ञानकाण्ड के अधिकारी बहुत थोड़े से व्यक्ति होते हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दू धर्मकोश|लेखक=डॉ. राजबली पाण्डेय|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=278|url=}}</ref> | |||
| | *वेदों में जिन तीन विषयों का प्रधानत: प्रतिपादन हुआ है, वह हैं- | ||
| | #कर्मकाण्ड | ||
| | #ज्ञानकाण्ड | ||
| | #उपासनाकाण्ड | ||
| | |||
| | *ज्ञानकाण्ड वह है, जिससे इस लोक, परलोक तथा परमात्मा के सम्बन्ध में वास्तविक रहस्य की बातें जानी जाती हैं। | ||
| | *मनुष्य के स्वार्थ, परार्थ तथा परमार्थ की सिद्धि ज्ञानकाण्ड से हो सकती है। | ||
*[[वेदान्त]], ज्ञानकाण्ड एवं [[उपनिषद]] प्राय: समानार्थक शब्द हैं। | |||
*वेद के ज्ञानकाण्ड के अधिकारी बहुत थोड़े से ही व्यक्ति होते हैं। अधिकांश कर्मकाण्ड के ही अधिकारी हैं। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]][[Category:वैदिक साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:श्रुति ग्रन्थ]] | |||
__INDEX__ |
12:15, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण
ज्ञानकांड वेदों में समुच्चय रूप से प्रधानत: तीन विषयों में से एक है। इसमें जीव और ब्रह्मा के पारस्परिक संबंधों, स्वरूपों आदि पर विचार किया गया है। वेद के ज्ञानकाण्ड के अधिकारी बहुत थोड़े से व्यक्ति होते हैं।[1]
- वेदों में जिन तीन विषयों का प्रधानत: प्रतिपादन हुआ है, वह हैं-
- कर्मकाण्ड
- ज्ञानकाण्ड
- उपासनाकाण्ड
- ज्ञानकाण्ड वह है, जिससे इस लोक, परलोक तथा परमात्मा के सम्बन्ध में वास्तविक रहस्य की बातें जानी जाती हैं।
- मनुष्य के स्वार्थ, परार्थ तथा परमार्थ की सिद्धि ज्ञानकाण्ड से हो सकती है।
- वेदान्त, ज्ञानकाण्ड एवं उपनिषद प्राय: समानार्थक शब्द हैं।
- वेद के ज्ञानकाण्ड के अधिकारी बहुत थोड़े से ही व्यक्ति होते हैं। अधिकांश कर्मकाण्ड के ही अधिकारी हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 278 |