"सदस्य:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास6": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
(पन्ने को खाली किया)
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
==इतिहास==
{| class="bharattable-green" width="100%"
|-
| valign="top"|
{| width="100%"
|
<quiz display=simple>
{[[मगध साम्राज्य]] की प्रथम राजधानी कौन-सी थी?
|type="()"}
-[[पाटलिपुत्र]]
-[[वैशाली]]
+[[गिरिव्रज]]
-[[चम्पा]]
||[[बुद्ध]] के समकालीन [[मगध]] नरेश [[बिंबिसार]] ने शिशुनाग अथवा [[हर्यक वंश]] के नरेशों की पुरानी राजधानी [[गिरिव्रज]] को छोड़कर नई राजधानी उसके निकट ही बसाई थी। पहले गिरिव्रज के पुराने नगर से बाहर उसने अपने प्रासाद बनवाए थे, जो राजगृह के नाम से प्रसिद्ध हुए। पीछे अनेक धनिक नागरिकों के बस जाने से [[राजगृह]] के नाम से एक नवीन नगर ही बस गया। गिरिव्रज [[महाभारत]] के समय में [[जरासंध]] की राजधानी भी रह चुकी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गिरिव्रज]]


{[[महाजनपद]] काल में श्रेणियों के संचालक को क्या कहा जाता था?
|type="()"}
+श्रेष्ठिन
-सेठ
-जेट्ठल
-ग्राम भोजक
{'[[बुद्धचरित]]', जिसे 'बौद्धों की रामायण' कहा जाता है, के रचनाकार कौन हैं?
|type="()"}
-वसुमित्र
-बुद्धघोष
+[[अश्वघोष]]
-[[नागार्जुन]]
||अश्वघोष ने 'सज्रसूची', 'महायानश्रद्धोत्पादशास्त्र' तथा 'सूत्रालंकार' अथवा 'कल्पनामण्डितिका' नामक [[धर्म]] और [[दर्शन]] विषयों के अतिरिक्त 'शारिपुत्रप्रकरण' नामक एक रूपक तथा '[[बुद्धचरित]]' और 'सौन्दरनन्द' नामक दो महाकाव्यों की भी रचना की है। इन रचनाओं में 'बुद्धचरित' महाकवि [[अश्वघोष]] का कीर्तिस्तम्भ है। इसमें कवि ने तथागत के सात्त्विक जीवन का सरल और सरस वर्णन किया है। 'सौन्दरनन्द' अश्वघोषप्रणीत द्वितीय [[महाकाव्य]] है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अश्वघोष]]
{चार [[धातु|धातुओं]]- [[सोना]], [[चाँदी]], [[ताँबा]] एवं [[सीसा]]  के सम्मिश्रण से बनने वाले सिक्के को क्या कहा जाता था?
|type="()"}
-शतमान
-[[निष्क]]
-पल
+कार्षापण
{[[मुजरिस]] किस वंश के राज्य का प्रमुख बंदरगाह था?
|type="()"}
+[[चेर वंश|चेर]]
-[[चोल]]
-[[पांड्य]]
-[[कदम्ब]]
||[[रामायण]], [[महाभारत]], [[अशोक के शिलालेख]], [[कालिदास]] के '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]' [[महाकाव्य]] एवं 'संगम साहित्य' से चेरों के बारे में काफ़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है। [[चेर वंश|चेर]] शासकों ने [[मुजरिस]] को अपने प्रमुख बन्दरगाह के रूप में चुना था, जहाँ से उनके राज्य का अधिकांश मात्रा में विदेशों से व्यापार होता था। चेरों का राजकीय चिह्न '[[धनुष]]' था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चेर वंश|चेर]]
{[[नालन्दा विश्वविद्यालय]] की स्थापना का युग कौन-सा था?
|type="()"}
-[[मौर्य काल|मौर्य]]
-[[कुषाण काल|कुषाण]]
+[[गुप्त काल|गुप्त]]
-[[पाल साम्राज्य|पाल]]
||[[चित्र:Nalanda-University-Bihar.jpg|right|120px|नालन्दा विश्वविद्यालय]]विदेशी यात्रियों के विवरण में [[फ़ाह्यान]], जो [[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] के काल में [[भारत]] आया था, उसने मध्य देश की जनता का वर्णन किया है। 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] के विवरण से भी [[गुप्त]] इतिहास के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। उसने [[बुद्धगुप्त]], [[कुमारगुप्त प्रथम]], शकादित्य तथा बालदित्य आदि गुप्त शासकों का उल्लेख किया है। उसके विवरण से यह ज्ञात होता है कि कुमारगुप्त ने ही 'नालन्दा विहार' की स्थापना की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]]
{[[गुप्तकाल|गुप्तकालीन]] पुस्तक 'नवनीतकम्' का संबंध किससे है?
|type="()"}
-खगोलशास्त्र से
+चिकित्सा विज्ञान से
-गणित से
-धातु विज्ञान से
{निम्नांकित में से [[दिल्ली]] का पहला [[तुग़लक वंश|तुग़लक]] सुल्तान कौन था?
|type="()"}
+[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]]
-[[महमूद तुग़लक]]
-[[मुहम्मद बिन तुग़लक़]]
-[[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]]
||[[चित्र:The-Tomb-Of-Ghayasuddin-Tughlak.jpg|ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा|120px|right]][[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] (1320-1325 ई.), [[8 सितम्बर]], 1320 ई. को [[दिल्ली]] के सिंहासन पर बैठा। इसे [[तुग़लक़ वंश]] का संस्थापक भी माना जाता है। इसने कुल 29 बार [[मंगोल]] आक्रमण को विफल किया। सुल्तान बनने से पहले वह [[क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी]] के शासन काल में उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रान्त का शक्तिशाली गर्वनर नियुक्त हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]]
{किसके समय में [[कलकत्ता]] में प्रथम न्यायालय की स्थापना की गई थी?
|type="()"}
-[[रॉबर्ट क्लाइव]]
-[[लॉर्ड डलहौज़ी|डलहौज़ी]]
+[[वारेन हेस्टिंग्स]]
-[[लॉर्ड कैनिंग|कैनिंग]]
||[[चित्र:Warren Hastings.jpg|वारेन हेस्टिंग्स|100px|right]]वारेन हेस्टिंग्स के समय में [[रेग्युलेटिंग एक्ट]] के तहत 1774 ई. में [[कलकत्ता]] (वर्तमान कोलकाता) में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई, जिसका अधिकार क्षेत्र कलकत्ता तक था। कलकत्ता में रहने वाले सभी भारतीय तथा [[अंग्रेज़]] इसकी परिधि में थे। कलकत्ता से बाहर के मामले यह तभी सुनता था, जब दोनों पक्ष सहतम हों। इस न्यायालय में न्याय [[अंग्रेज़]] क़ानूनों द्वारा किया जाता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वारेन हेस्टिंग्स]]
{[[राजा राममोहन राय]] द्वारा '[[ब्रह्म समाज]]' की स्थापना कब की गई?
|type="()"}
-1816 में
-1820 में
+1828 में
-1830 में
{[[अंग्रेज़]] शासन का प्रभाव किस क्षेत्र में अधिक पड़ा?
|type="()"}
-राजनीतिक
+आर्थिक
-धार्मिक
-मनोवैज्ञानिक
{[[सांची]] का [[स्तूप]] किसने बनवाया था?
|type="()"}
-[[गौतम बुद्ध]]
+[[अशोक]]
-[[चन्द्रगुप्त]]
-[[खरगोन]]
||[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|अशोक|100px|right]][[अशोक]] के  [[सारनाथ]] तथा [[सांची]] के लघु स्तंभ लेख में संघभेद के विरुद्ध यह आदेश जारी किया गया है कि, जो भिक्षु या भिक्षुणी संघ में फूट डालने का प्रयास करें, उन्हें संघ से बहिष्कृत किया जाए। यह आदेश [[कौशाम्बी]] और [[पाटलिपुत्र]] के महापात्रों को दिया गया है। इससे पता चलता है कि [[बौद्ध धर्म]] का संरक्षक होने के नाते संघ में एकता बनाए रखने के लिए अशोक ने राजसत्ता का उपयोग किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]]
{[[दादाभाई नौरोजी]] ने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ो]] द्वारा किए गए किस कार्य को 'अनिष्टो का अनिष्ट' की संज्ञा दी?
|type="()"}
-भारतीय परंपरागत उद्योगों का विनाश
-सभी उच्च पदों पर [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] की भर्ती
+धन का निकास
-भारतीयों के साथ किया गया व्यवहार
{[[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] की स्थापना किसने की थी?
|type="()"}
+[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]]
-[[मोहम्मद इक़बाल]]
-[[मुहम्मद अली जिन्ना]]
-इनमें से कोई नहीं
||[[चित्र:Sir-Syed-Ahmed-Khan.jpg|सर सैयद अहमद ख़ाँ|100px|right]]सैयद अहमद ख़ाँ ने यूरोपीय शिक्षा-पद्धति का ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से 'इंगलिस्तान' की यात्रा की थी। वहाँ से लौटकर आए, तो कुछ वर्षों के भीतर ही मई 1875 ई. में [[अलीगढ़]] में 'मदरसतुलउलूम' एक [[मुस्लिम]] स्कूल स्थापित किया, और 1876 ई. में सेवानिवृत्ति के बाद सैयद जी ने इसे कॉलेज में बदलने की बुनियाद रखी। उनकी परियोजनाओं तहत कॉलेज ने तेज़ी से प्रगति की और 1920 ई. में इसे विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]]
{पूर्व मध्यकाल में [[विजयालय]] ने [[चोल वंश|चोल]] राज्य की स्थापना कब की?
|type="()"}
-750 ई.
+850 ई.
-950 ई.
-1050 ई.
</quiz>
|}
|}
__NOTOC__

09:25, 27 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण