"त्रित (देवता)": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(''''त्रित''' प्राचीन देवताओं में से थे, जिन्होंन...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "Category:हिन्दू धर्म कोश" to "Category:हिन्दू धर्म कोशCategory:धर्म कोश") |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय मिथक कोश|लेखक= डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=121|url=}} | |||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{हिन्दू देवी देवता और अवतार}} | {{हिन्दू देवी देवता और अवतार}} | ||
[[Category:हिन्दू देवी-देवता]] | [[Category:हिन्दू देवी-देवता]] | ||
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]] | [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] | ||
[[Category:पौराणिक कोश]] | [[Category:पौराणिक कोश]] | ||
[[Category:हिन्दू धर्म]] | [[Category:हिन्दू धर्म]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
12:13, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण
त्रित प्राचीन देवताओं में से थे, जिन्होंने सोम बनाया था। इन्होंने बल के दुर्ग को नष्ट किया था। युद्ध के समय मरुतों ने इनकी शक्ति की रक्षा की थी। जब सालावृकों से परास्त होने पर त्रित को एक कुएँ में गिरा दिया गया, तब देवगुरु बृहस्पति ने उन्हें वहाँ से बाहर निकाला।
- जब एक दिन त्रित अपनी अनेक गायों को लेकर जा रहे थे, तब मार्ग में आततायी सालावृकों ने उन पर आक्रमण कर दिया।
- त्रित को बाँधकर एक अंधे कुएँ में डाल दिया तथा वे लोग गायों को बलपूर्वक हाँकते हुए ले गये।
- जलविहीन टूटे-फूटे कुएँ में गिरकर त्रित को बहुत खेद हुआ।
- सूखे कुएँ पर सब ओर सूखी हुई काई और टूटी हुई दीवारें थीं।
- त्रित अपने विगत पराक्रम, पौरुष, स्तुतियों तथा देव-मित्रों का स्मरण करके बहुत क्षुब्ध हुए, कि उनमें से कोई भी उनकी सहायता करने के लिए नहीं आता।
- त्रित निरन्तर सोचते रहे कि भविष्य में उनका कंकाल उसी कुएँ में पड़ा रहेगा और ऋतुएँ उसे नष्ट कर डालेंगी।
- टूटे कुएँ की दीवारों से टकराकर आहत त्रित की स्थिति पर दया कर देवगुरु बृहस्पति ने वहाँ जाकर उन्हें बाहर निकाला तथा सालावृक से उनकी गउएँ लौटवा दीं।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय मिथक कोश |लेखक: डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति |प्रकाशक: नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 121 |
- ↑ ऋग्वेद, 105 से 109 तक