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'''कुंजबन महल''' [[त्रिपुरा]] के ऊंचे-ऊंचे [[पर्वत|पर्वतों]] पर स्थित एक ख़ूबसूरत दर्शनीय स्थल है।  
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*कुंजबन महल का निर्माण महाराजा बिरेन्द्र किशोर माणिक्य ने 1917 ई. में करवाया था।  
*कुंजबन महल का निर्माण महाराजा बिरेन्द्र किशोर माणिक्य ने 1917 ई. में करवाया था।  
*चिड़ियाघर, हरी-भरी घास, उद्यान और बगीचों से भरी यह जगह शहर से दूर आराम करने के लिए अच्छा स्थान है।
*चिड़ियाघर, हरी-भरी घास, उद्यान और बगीचों से भरी यह जगह शहर से दूर आराम करने के लिए अच्छा स्थान है।
*[[राज्य]] के लिए 7 वीं और अंतिम यात्रा के दौरान [[कवि]] [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] 1926 में कुंजबन महल के पूर्वी अपार्टमेंट में रुके थे।
*[[राज्य]] के लिए 7वीं और अंतिम यात्रा के दौरान [[कवि]] [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] 1926 में कुंजबन महल के पूर्वी अपार्टमेंट में रुके थे।
*कुंजबन महल में उद्यान भी है और इस उद्यान के दक्षिणी ओर को जनता के लिए खोल दिया गया है और इसे 'रवीन्द्र कानन' नाम दिया गया है।
*कुंजबन महल में उद्यान भी है और इस उद्यान के दक्षिणी ओर को जनता के लिए खोल दिया गया है और इसे 'रवीन्द्र कानन' नाम दिया गया है।


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कुंजबन महल त्रिपुरा के ऊंचे-ऊंचे पर्वतों पर स्थित एक ख़ूबसूरत दर्शनीय स्थल है।

  • कुंजबन महल का निर्माण महाराजा बिरेन्द्र किशोर माणिक्य ने 1917 ई. में करवाया था।
  • चिड़ियाघर, हरी-भरी घास, उद्यान और बगीचों से भरी यह जगह शहर से दूर आराम करने के लिए अच्छा स्थान है।
  • राज्य के लिए 7वीं और अंतिम यात्रा के दौरान कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर 1926 में कुंजबन महल के पूर्वी अपार्टमेंट में रुके थे।
  • कुंजबन महल में उद्यान भी है और इस उद्यान के दक्षिणी ओर को जनता के लिए खोल दिया गया है और इसे 'रवीन्द्र कानन' नाम दिया गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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