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'''राधानाथ राय''' (जन्म- [[27 सितम्बर]] 1848; मृत्यु- [[17 अप्रैल]], 1908) [[उड़िया भाषा]]-[[साहित्य]] के प्रमुख कवि थे।  
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==परिचय==  
==परिचय==  
राधानाथ राय का जन्म 1848 ई. में बालेश्वर ज़िले के केदारपुर गाँव में हुआ था। राधानाथ उड़िया भाषा-साहित्य के प्रमुख कवि थे। वे शरीर से दुर्बल थे। उन दिनों उच्च शिक्षा के लिए [[कोलकाता]] जाना पड़ता था। स्वास्थ्य के कारण वे मैट्रिक की परीक्षा के बाद कोलकाता नहीं रुक सके। लेकिन एक विशेष बात यह थी कि वे अपने ज़िले में मैट्रिक पास करनेवाले पहले व्यक्ति थे। इसलिए उनको अध्यापक की नौकरी सरलता से मिल गई और आगे चलकर वे स्कूलों के डिवीजनल इंस्पेक्टर पद तक पहुँचे।
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==रचना==  
==रचनाएँ==  
स्वाध्याय से राधानाथ राय ने अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। काव्य की प्रतिभा उनमें नैसर्गिक थी। वे प्रकृति के पुजारी थे और प्रकृति में उन्हें परमात्मा के सत्ता के दर्शन होते थे। इस दृष्टि से उनकी मनोरम काव्य कृति 'चिलिका' बहुत प्रसिद्ध हुई। उन्होंने पौराणिक, ऐतिहासिक और काल्पनिक आधार पर 'केदारगौरी', 'चंद्रभागा', 'महायात्रा', 'ऊषा' आदि काव्य ग्रंथों की रचना की। उनकी रचनाओं से देश प्रेम और गरीबों के प्रति सहानभूति का परिचय मिलता है।  
स्वाध्याय से राधानाथ राय ने अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। काव्य की प्रतिभा उनमें नैसर्गिक थी। वे प्रकृति के पुजारी थे और प्रकृति में उन्हें परमात्मा के सत्ता के दर्शन होते थे। इस दृष्टि से उनकी मनोरम काव्य कृति 'चिलिका' बहुत प्रसिद्ध हुई। उन्होंने पौराणिक, ऐतिहासिक और काल्पनिक आधार पर 'केदारगौरी', 'चंद्रभागा', 'महायात्रा', 'ऊषा' आदि काव्य ग्रंथों की रचना की। उनकी रचनाओं से देश प्रेम और ग़रीबों के प्रति सहानभूति का परिचय मिलता है।  
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==निधन==  
राधानाथ राय का निधन 17 अप्रैल, 1908 को हुआ था।  
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राधानाथ राय
पूरा नाम राधानाथ राय
जन्म 27 सितम्बर, 1848
जन्म भूमि बालेश्वर
मृत्यु 17 अप्रैल, 1908
कर्म भूमि भारत
मुख्य रचनाएँ 'चिलिका, 'केदारगौरी', 'चंद्रभागा', 'महायात्रा', 'ऊषा' आदि।
प्रसिद्धि उड़िया कवि तथा साहित्यकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी ये अपने ज़िले में मैट्रिक पास करने वाले पहले व्यक्ति थे।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

राधानाथ राय (अंग्रेज़ी: Radhanath Rai, जन्म- 27 सितम्बर, 1848; मृत्यु- 17 अप्रैल, 1908) उड़िया भाषा-साहित्य के प्रमुख कवि थे। वे ऐसे बंगाली कुल से थे, जो पीढ़ियों से ओडिशा में ही बसा था। उनके काव्यों ने ओड़िया कविता में एक नयी परपरा की सृष्टि की और बीसवीं शताब्दी के लगभग मध्य तक के परवर्ती कवियों को प्रभावित किया। ओड़िया कविता को राधानाथ राय ने नये रूपों, नये विषयों, एक नये उपागम और पूर्वापेक्षा से अधिक उन्मुक्तता के प्रवर्त्तन से समृद्ध किया।

परिचय

राधानाथ राय का जन्म 1848 ई. में बालेश्वर के केदारपुर गाँव में हुआ था। राधानाथ उड़िया भाषा-साहित्य के प्रमुख कवि थे। वे शरीर से दुर्बल थे। उन दिनों उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता जाना पड़ता था। स्वास्थ्य के कारण वे मैट्रिक की परीक्षा के बाद कोलकाता नहीं रुक सके। लेकिन एक विशेष बात यह थी कि वे अपने ज़िले में मैट्रिक पास करने वाले पहले व्यक्ति थे। इसलिए उनको अध्यापक की नौकरी सरलता से मिल गई और आगे चलकर वे स्कूलों के डिवीजनल इंस्पेक्टर पद तक पहुँचे।

रचनाएँ

स्वाध्याय से राधानाथ राय ने अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। काव्य की प्रतिभा उनमें नैसर्गिक थी। वे प्रकृति के पुजारी थे और प्रकृति में उन्हें परमात्मा के सत्ता के दर्शन होते थे। इस दृष्टि से उनकी मनोरम काव्य कृति 'चिलिका' बहुत प्रसिद्ध हुई। उन्होंने पौराणिक, ऐतिहासिक और काल्पनिक आधार पर 'केदारगौरी', 'चंद्रभागा', 'महायात्रा', 'ऊषा' आदि काव्य ग्रंथों की रचना की। उनकी रचनाओं से देश प्रेम और ग़रीबों के प्रति सहानभूति का परिचय मिलता है।

निधन

राधानाथ राय का निधन 17 अप्रैल, 1908 को हुआ था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 719।

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